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क्रेडिट कार्ड लिमिट बढ़ाने का झांसा, 85 लाख की ठगी... दिल्ली में फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़, 6 ठग गिरफ्तार

दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने विकासपुरी इलाके में चल रहे एक फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया है. इस कॉल सेंटर से जुड़े छह साइबर ठगों को दिल्ली, हरियाणा और तेलंगाना से गिरफ्तार किया गया है. यह गिरोह खुद को बैंक का अधिकारी बताकर नए क्रेडिट कार्ड धारकों को फोन करता था.

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दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने एक फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया. (Representative Image)
दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने एक फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया. (Representative Image)

दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने विकासपुरी इलाके में चल रहे एक फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया है. इस कॉल सेंटर से जुड़े छह साइबर ठगों को दिल्ली, हरियाणा और तेलंगाना से गिरफ्तार किया गया है. यह गिरोह खुद को बैंक का अधिकारी बताकर नए क्रेडिट कार्ड धारकों को फोन करता था. तकनीकी मदद के नाम पर उनके बैंक खातों से लाखों रुपए उड़ा लेता था.

पुलिस जांच में ये सामने आया है कि इस ठगों के इस गिरोह ने अब तक कई लोगों से लगभग 85 लाख रुपए ठगे हैं. इनसे बरामद मोबाइल नंबरों के खिलाफ राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर पहले से ही 95 शिकायतें दर्ज हैं. इस छापेमारी के दौरान पुलिस ने 41 मोबाइल फोन, एक लैपटॉप, एक राउटर और बैंक ग्राहकों का डेटा रखने वाली डायरी भी जब्त की है.

एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि ये मामला तब सामने आया जब द्वारका निवासी वीरेंद्र कुमार ने 21 जून को साइबर सेल में शिकायत दर्ज कराई. उन्होंने बताया कि निजी बैंक का नया क्रेडिट कार्ड लेने के बाद उन्हें पिन जनरेट करने के बहाने एक कॉल आया. कॉल के कुछ घंटों बाद ही उनके बैंक खाते से 2.81 लाख रुपए उड़ गए. पहले उन्हें समझ ही नहीं आया कि क्या हुआ है.

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पुलिस जांच में चौंकाने वाला खुलासा

हालांकि, कुछ समय बाद उनको इस बात का एहसास हो गया कि उनके साथ ठगी की गई है. इसके बाद उन्होंने पुलिस संपर्क किया. पुलिस ने उनकी शिकायत के आधार पर केस दर्ज करते हुए मामले की जांच शुरू कर दी. जांच से पता चला कि आरोपी विकासपुरी में कॉल सेंटर चला रहे थे. यहां से टेलीकॉलर खुद को बैंक का अधिकारी बताते और ग्राहकों को मदद करने का झांसा देते थे.

लोगों से ऐसे ठगी करता था गिरोह

उनकी तरफ से क्रेडिट कार्ड लिमिट बढ़ाने या पिन बनाने की बात कही जाती थी. बातचीत के दौरान ग्राहकों को एक एपीके फाइल डाउनलोड करने के लिए कहते थे. जैसे ही पीड़ित वो फाइल इंस्टॉल करता, गैंग उसके मोबाइल फोन तक रिमोट एक्सेस हासिल कर लेता. इससे उन्हें ओटीपी और बैंक डिटेल्स मिल जाते. इसके बाद कार्ड की सीमा पूरी तरह खत्म कर दी जाती.

गैंग का मास्टरमाइंड और नेटवर्क

आरोपी धोखाधड़ी से हासिल रकम को कई बैंक खातों में ट्रांसफर कर देते थे. इसके अलावा ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से महंगे मोबाइल फोन खरीद लेते थे. उन फोन को बाजार में डिस्काउंट पर बेच दिए जाते. ठग खुद को कंपनी का डीलर बताते थे. गिरोह का सरगना विजय कुमार शर्मा (46) उत्तम नगर का रहने वाला है. वह बी.कॉम, एलएलबी और सॉफ्टवेयर-हार्डवेयर में डिग्रीधारी है.

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महिला टेलीकॉलर्स की भूमिका

वो इस पूरे नेटवर्क को संभाल रहा था. पुलिस जांच में सामने आया कि उसने पीड़ितों को लुभाने के लिए चार महिला टेलीकॉलर्स को रखा था. शुरुआती बातचीत के बाद खुद कॉल संभालकर एपीके फाइल भेजता और पैसों का लेन-देन करता. हैदराबाद से काम कर रहा अमित (27) नकली सिम कार्ड और बैंक खातों का का इंतजाम करता था. प्रदीप साहू (28) गरीबों के नाम पर सिम कार्ड लेता था.

तीन राज्यों से हुई गिरफ्तारी

मूलचंद मिश्रा (51) कॉल सेंटर का मैनेजर था, जबकि गौरव (38) ड्राइवर और सह-भागीदार के तौर पर मदद करता था. इसके अलावा हेमंत (25) भी गैंग की गतिविधियों में शामिल था. पुलिस ने विकासपुरी और हैदराबाद में एक साथ छापेमारी करते हुए मास्टरमाइंड सहित सभी छह आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया. इनके नाम विजय कुमार शर्मा, मूलचंद मिश्रा, अमित, प्रदीप साहू, गौरव और हेमंत हैं.

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