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Corona से मौतों के आंकड़े पर क्यों है बवाल, भारत में और WHO का डेटा कैसे जुटाया जाता है? 4 एक्सपर्ट्स से समझें

आईसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव, नीति आयोग के सदस्य (हेल्थ) वीके पॉल और एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने रिपोर्ट को अस्वीकार्य करते हुए दुर्भाग्यपूर्ण बताया है.

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WHO की रिपोर्ट पर सवाल खड़े हो रहे हैं (फाइल फोटो)
WHO की रिपोर्ट पर सवाल खड़े हो रहे हैं (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • WHO का दावा- भारत में कोरोना से 47 लाख मौतें हुईं
  • WHO के दावे पर भारत सरकार ने सवाल उठाए हैं

कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के दावे पर बवाल छिड़ गया है. दरअसल, WHO का दावा है कि भारत में कोरोना से 47 लाख लोगों की मौतें हुई हैं. ये संख्या आधिकारिक आंकड़े से करीब 10 गुना ज्यादा है. WHO के इस दावे पर भारत सरकार ने सवाल उठाए हैं. वहीं, एक्सपर्ट्स ने भी इस पर निराशा जताई है. 

आईसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव, नीति आयोग के सदस्य (हेल्थ) वीके पॉल और एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने रिपोर्ट को अस्वीकार्य करते हुए दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. वीके पॉल ने डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा कि हमारे पास सीआरएस (Civil Registration System) की एक मजबूत प्रणाली है और हमने कल उस रिपोर्ट को जारी किया. हमारे पास 2020 के लिए मौतों की वास्तविक संख्या है और समय पर 2021 की संख्या भी सामने आएगी.

Civil Registration System हमें जिला और राज्य प्रशासन द्वारा प्रमाणित सटीक अनुमान प्रदान करता है. पॉल ने कहा कि राज्यों के सबसेट के आधार पर, वेबसाइट और मीडिया के हवाले से आने वाली रिपोर्टों के आधार पर आंकड़ा बताना उचित नहीं है. डब्ल्यूएचओ ने जो किया है उससे हम निराश हैं.

जब मौतें हो रही थीं तब WHO के पास परिभाषा नहीं थी

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ICMR के डीजी बलराम भार्गव ने कहा कि जब कोरोना के कारण मौतें हो रही थीं तब WHO के पास भी कोई परिभाषा नहीं थी. भार्गव ने उदाहरण देकर समझाते हुए कहा कि यदि कोई मरीज आज कोरोना पॉजिटिव हो जाता है और दो सप्ताह के बाद मौत हो जाती है तो क्या यह COVID-19 के कारण मृत्यु मानी जाएगी. 2 महीने, 6 महीने के बाद मौत होगी तो क्या यह कोविड-19 की मृत्यु मानी जाएगी?

डॉ. भार्गव ने कहा कि हमने सभी डेटा को देखा और हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि COVID-19 पॉजिटिव होने के बाद हुई मौतों में से 95 फीसदी पहले 4 हफ्तों में हुई थी. इसलिए 30 की कट-ऑफ मृत्यु की परिभाषा के लिए दिन निर्धारित किए गए थे. उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार ने व्यवस्थित रूप से कोविड-19 महामारी से संबंधित सभी डेटा एकत्र किए हैं, जिसमें टीकाकरण करने वाले व्यक्तियों की संख्या भी शामिल है.

WHO की रिपोर्ट को दुर्भाग्यपूर्ण: एनके अरोड़ा

वहीं, NTAGI के COVID-19 वर्किंग ग्रुप के चेयरमैन डॉक्टर एनके अरोड़ा ने WHO की रिपोर्ट को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया. उन्होंने कहा कि भारत ने COVID-19 के प्रबंधन में अप्रत्याशित रूप से अच्छा प्रदर्शन किया है. कई विकसित देशों की तुलना में प्रति मिलियन भारत की मृत्यु दर सबसे कम है. मुझे लगता है कि भारत से अब वो महामारी का प्रबंधन करना सीख सकते हैं. वास्तव में, दुनिया को हमसे बहुत कुछ सीखना है.

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गुलेरिया ने कहा- रिपोर्स पर भरोसा नहीं, बताया ये कारण

AIIMS डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने भी  WHO के आंकड़ों को सही नहीं माना है. उनकी तरफ से तीन बड़े कारण बताए हैं जिस वजह से WHO की रिपोर्ट पर भरोसा नहीं किया जा सकता है. वो कहते हैं कि भारत में जन्म-मृत्यु के आंकड़े दर्ज करने का व्यवस्थित तरीका है जिसमें कोविड के अलावा हर तरह की मौत के आंकड़े दर्ज होते हैं, जबकि इस आंकड़े इस्तेमाल ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने नहीं किया है.

दूसरे कारण को लेकर डॉक्टर गुलेरिया ने कहा कि WHO ने जो आंकड़े जमा किए हैं जो विश्वसनीय नहीं हैं. वो कहीं से भी उठा लिए गए हैं. अपुष्ट स्रोतों से, मीडिया रिपोर्ट्स से या किसी और स्रोत से जो अवैज्ञानिक तरीके से जमा किए गए. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वहां से आंकड़े ले लिए जिन पर भरोसा नहीं किया जा सकता.

'भारत में Corona से 47 लाख लोगों की मौत', WHO के दावे पर केंद्र ने जताया ऐतराज 

इसके अलावा डॉक्टर गुलेरिया ने कोरोना मौत के बाद परिवारों को दिए मुआवजे का मुद्दा भी उठाया है. उनकी नजरों में अगर इतने लोगों की मौत हुई होती तो उनके परिवार सरकार से आर्थिक सहायता जरूर मांगते. अगर इतनी मौतें हुई होतीं तो वो रिकॉर्ड होता. जान गंवाने वाले परिवार के लोग मुआवजे के लिए आगे आते...इसलिए इस पर भरोसा नहीं किया जा सकता.

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बता दें कि डब्ल्यूएचओ का दावा है कि कोरोना महामारी के कारण अभी तक दुनिया में करीब डेढ़ करोड़ लोगों की मौत हुई है. ये आंकड़ा दो साल में कोविड के कारण हुई मौतों की तुलना में 13 फीसदी ज्यादा है. साथ ही कहा है कि कई देशों ने कोविड से मरने वालों की संख्या की कम गिनती की है. भारत में मृतकों की जो संख्या बताई है वो संख्या दुनियाभर में हुई मौतों की एक तिहाई है.

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