अब तक साल 2025 टाटा ग्रुप (Tata Group) के लिए मुसीबत भरा है, ये आंकड़े बता रहे हैं. क्योंकि टाटा ग्रुप की कंपनियों के शेयर लगातार गिर रहे हैं. जिस वजह से इस साल टाटा समूह के मार्केट कैप में बड़ी गिरावट दर्ज की गई. TCS, Trent और Tata Motors के शेयरों में गिरावट की वजह से 2025 में पूरे समूह का मार्केट कैप करीब 5.5 लाख करोड़ रुपये तक कम हो गया है.
दरअसल, 31 दिसंबर 2024 को टाटा ग्रुप की कुल लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप 31.09 लाख करोड़ रुपये था, जो अब यह घटकर 25.57 लाख करोड़ रुपये रह गया है. यानी करीब 17.8% की गिरावट दर्ज की गई. सबसे ज्यादा झटका ग्रुप की दिग्गज कंपनी TCS और Trent ने दिया है.
TCS के शेयर में गिरावट से संकट
बता दें, TCS टाटा ग्रुप की सबसे बड़ी कंपनी है, जिसका शेयर साल 2025 में करीब 21% तक लुढ़क चुका है. इससे ग्रुप का मार्केट कैप करीब 3.10 लाख करोड़ रुपये घटा है. इसके अलावा Trent Ltd. ने भी झटका दिया है, इस कंपनी का शेयर 2024 के अंत में 7,116 रुपये का था, जहां से करीब 42.5% तक टूट चुका है. Trent के कारण समूह की मार्केट वैल्यू में करीब 1.07 लाख करोड़ रुपये की कमी हुई.
वैसे साल 2025 में टाटा ग्रुप की सभी कंपनियों ने एक तरह से निराश किया है. Voltas लिमिटेड, The Indian Hotels Company Ltd. (IHCL), Tejas Network Ltd के शेयरों में बड़ी गिरावट देखी गई. तेजस नेटवर्क के शेयर इस साल करीब 60 फीसदी तक गिर गए हैं. कुल मिलाकर साल 2025 में Tata Group की करीब 24 लिस्टेड कंपनियों में से 18 की मार्केट-वैल्यू में गिरावट आई है.
टाइटन समेत कुछ कंपनियों में तेजी
टाटा टेक्नोलॉजीज लिमिटेड के शेयर में करीब 25 फीसदी की गिरावट आई है. टाटा केमिकल्स लिमिटेड, टाटा टेलीसर्विसेज (महाराष्ट्र) लिमिटेड, टाटा पावर कंपनी लिमिटेड, ओरिएंटल होटल्स लिमिटेड, नेल्को लिमिटेड और रैलिस इंडिया लिमिटेड के शेयरों में 38 फीसदी तक की गिरावट आई है, जिससे ग्रुप का मार्केट कैप तेजी से घटा है.
हालांकि इस बीच टाइटन (Titan) कंपनी लिमिटेड, टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड और टाटा स्टील लिमिटेड के शेयरों में इस साल अब तक 15 से 25 फीसदी तक की तेजी देखी गई है. इन कंपनियों के शेयरों में तेजी की वजह से टाटा ग्रुप का मार्केट कैप में करीब 1 लाख करोड़ रुपये का पॉजीटिव योगदान रहा है.
टाटा समूह के मार्केट कैप में गिरावट के कई कारण हैं. अगर TCS की बात करें तो वैश्विक आर्थिक मंदी, बढ़ती यूएस और यूरोप में ट्रेड टेंशन, डॉलर के मुकाबले रुपये का कमजोर पड़ना भी कारण रहा है, जिससे विदेशी ग्राहकों की मांग में कमी आई. वहीं रिटेल सेक्टर में कमजोरी का नुकसान Trent को उठाना पड़ रहा है.