फिक्स्ड डिपॉजिट में आज भी देश की ज्यादातर आबादी निवेश करती है, क्योंकि लोग इससे ज्यादा सेफ निवेश का माध्यम मानते हैं. भारतीय अपनी घरेलू बचत का 60 फीसदी से ज्यादा हिस्सा Fixed Deposit में जमा करते हैं. लेकिन क्या यहां निवेश करने से आप गरीब हो रहे हैं या फिर आपकी वेल्थ कम हो रही है. एक वेल्थ मैनेजर का ऐसा ही कहना है.
वेल्थ मैनेजर खुशी मिस्त्री ने लिंक्डइन पोस्ट में कुछ सवाल उठाए हैं, जो आपको हैरान कर देगी. FD पर अपनी एक पोस्ट में उन्होंने कहा कि फिक्स्ड डिपॉजिट 'छिपे हुए धन का सबसे बड़ा जाल' है. उनका तर्क है कि एफडी सेफ तो लगता है, लेकिन महंगाई और टैक्स को ध्यान में रखते हुए अक्सर इससे वास्तविक रिटर्न निगेटिव में ही होता है.
कैसे आप हो रहे हैं गरीब?
अपनी पोस्ट में वह लिखती हैं कि अगर आपकी FD पर 7% ब्याज मिलता है और महंगाई 6 फीसदी के रेट से चल रही है तो आपका रिटर्न मुश्किल से 1 फीसदी होगा. वहीं अगर आप 30% टैक्स ब्रैकेट में आते हैं तो Tax के बाद रिटर्न घटकर सिर्फ 4.9% रह जाता है, जो बढ़ती महंगाई और लाइफस्टाइल के साथ काफी कम है. इस हिसाब से देखा जाए तो आप धीरे-धीरे गरीब होते जा रहे हैं.
मान लीजिए 2010 में FD में निवेश किए गए ₹10 लाख आज ₹20 लाख के बराबर होते हैं, लेकिन उसी अवधि में, सोने ने ₹40 लाख, निफ्टी 50 ने ₹50 लाख से ज्यादा और रियल एस्टेट ने ₹30-50 लाख का रिटर्न दिया होता. वेल्थ एक्सपर्ट ने कहा कि यह अस्थिरता नहीं है, यह रिस्क लेने की बात है.
एफडी में बीमा सिर्फ 5 लाख तक ही
एफडी में लिक्विडिटी का भ्रम एक और जाल है. समय से पहले विड्रॉल पर लगने वाले जुर्माने और पुराने रेट्स के कारण FDs लचीजें और निराशाजनक दोनों हो सकते हैं और जबकि कई लोग मानते हैं कि FD पूरी तरह से इंश्योर्ड होते हैं. वास्तव में DICGC द्वारा प्रति बैंक प्रति जमाकर्ता केवल ₹5 लाख की सुरक्षा प्रदान की जाती है. कॉर्पोरेट FDs शून्य बीमा प्रदान करते हैं.
एक्सपर्ट ने स्पष्ट तौर पर कहा कि FD बुरी नहीं है, बस उनका जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल होता है. वे कहती हैं कि इसका यूज इमरजेंसी फंड, शॉर्टटर्म टारगेट, कैपिटल स्टेबिलिटी चाहने वाले सीनियर सिटीजन के लिए किया जाना चाहिए. यह लॉन्ग टर्म फंड जमा करने के लिए नहीं है. वह लिखती हैं कि आज सबसे बड़ा वित्तीय जोखिम बाजार में अस्थिरता नहीं है, बल्कि सुरक्षा का भ्रम है.