रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 4-5 दिसंबर को भारत दौरे पर आ रहे हैं, जो भारत और रूस के बीच 23वां द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन होगा. पुतिन का यह दौरा दोनों देशों के लिए काफी अहम माना जा रहा है. वह भी ऐसे समय में जब अमेरिका ने तेल पर प्रतिबंध लगाकर भारत और रूस के बीच दरार पैदा करने की कोशिश की है. पुतिन का ये दौरा भारत-रूस के रिश्ते को और भी मजबूत करेगा.
पिछले दिनों विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय व्यापार 5 गुना से अधिक बढ़ गया है, जो 2021 में 13 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर 2024-25 में 68 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया है.
रूस और भारत की ये दोस्ती दुनिया के सबसे भरोसेमंद संबंधों में से एक मानी जाती है. एनर्जी संकट, एशिया में बढ़ते तनाव और दुनिया की बदलती राजनीति के बावजूद भी ये दोस्ती डममगाई नहीं है. चाहे डिफेंस डील, ऊर्जा सुरक्षा या कुटनीतिक सपोर्ट... भारत और रूस 5 दशकों से एक दूसरे के साथ खड़े रहे हैं. आइए कुछ आंकड़ों से समझते हैं भारत और रूस के बीच ये दोस्ती कितनी खास और गहरी है?
1971 में रूस ने किया था खुलकर सपोर्ट
साल 1971 में भारत और पाकिस्तान के युद्ध के दौरान अमेरिका और चीन खुलकर पाकिस्तान के साथ थे. अमेरिका ने पाकिस्तान के सपोर्ट में 7फ्लीट को बंगाल की खाड़़ी की तरफ भेजा था. वही चीन भी हथियारों और विमानों से पाकिस्तान की मदद कर रहा था. ऐसे में रूस ने बड़ी भूमिका निभाई और भारत का खुलकर सपोर्ट किया. रूस ने अपनी नौसेना को भारत की तरफ भेजा और अमेरिकी 7फ्लीट को रोकने की कार्यवाई की, जिसके बाद अमेरिका पीछे हट गया.
इतना ही नहीं जब युद्ध शुरू हुआ तो रूस ने संयुक्त राष्ट्र में चीन और अमेरिका को रोकते हुए 3 बार वीटो लगाया, ताकि युद्ध जल्दी नहीं रोका जाए और भारत को एक निर्याणक जीत मिले. इस दौरान भारत और रूस में एक समझौता भी हुआ था, जिसमें लिखा था कि अगर किसी तीसरे देश ने भारत पर हमला किया तो रूस भारत की मदद करेगा. तभी से भारत और रूस की दोस्ती की शुरुआत मानी जाती है.
भारत और रूस के बीच डिफेंस डील
रूस भारत का सबसे बड़ा रक्षा साझेदार भी है. भारतीय सेना में कई बड़े तकनीक रूसी टेक्नोलॉजी पर बेस्ड हैं. ब्रह्मोस मिसाइल से लेकर सु-30 MKI लड़ाकू विमान और S-400 डिफेंस सिस्टम तक भारत और रूस ने मिलकर ऐसी डिफेंस सिस्टम डेवलप किए हैं, जो एशिया में भारत की स्थिति को मजबूत करती हैं. रूस ने भारत को टेक्नोलॉजी भी ट्रांसफर किया है. भारत के करीब 55–60% सैन्य उपकरण लंबे समय तक रूस से आते रहे हैं.
एनर्जी और तेल का व्यापार
भारत और रूस के बीच अक्सर एनर्जी और तेल सप्लाई होती रही है. लंब समय तक भारत रूस का सबसे बड़ा तेल आयातक बना रहा, वह भी ऐसे समय में जब ग्लोबल प्रतिबंधों के बीच भारत पर दबाव रहा. अमेरिका ने रूसी तेल खरीदने के कारण भारत पर अतिरक्त 25 फीसदी टैरिफ भी लगाया, फिर भी भारत और रूस की दोस्ती की टूटी. हालांकि अब अमेरिका ने रूस तेल कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिस कारण भारत आने वाले तेल का आयात कम हुआ है. इसके अलावा, परमाणु ऊर्जा (कुडनकुलम प्लांट) में भी रूस भारत का प्रमुख साझेदार है.
स्पेस टेक्नोलॉजी और साइंस
भारत की स्पेस जर्नी रूस के बिना अधूरा माना जाएगा, क्योंकि 1984 में राकेश शर्मा को रूस ने ही स्पेस में भेजा था. वहीं आज भी रूस भारत के साथ आधुनिक स्पेस टेक्नोलॉजी शेयर करता है. रूस भारतीय छात्रों के लिए भी टेक्नोलॉजी का नया सेंटर बनाता जा रहा है.
तेजी से बढ़ रहा कारोबार
दोनों देशों के बीच कारोबार तेजी से फैल रहा है. तेल, कोयला, उर्वरक, दवाइयां और डिफेंस इन सेक्टर्स में दोनों देशों का व्यापार रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच रहा है. रुपये और रूबल व्यापार की संभावना दोनों देशों के बीच आर्थिक मजबूती को बढ़ा रही है. यह डॉलर पर निर्भरता को भी कम कर रही है.