23 जुलाई 2024 को बजट पेश होना है, जिस दौरान निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) कई बड़े ऐलान कर सकती हैं. उम्मीद की जा रही है कि मिडिल क्लास से लेकर गरीब परिवारों के लिए इस बजट में खास ऐलान हो सकता है. जिसका असर शेयर बाजार (Stock Market) पर देखने को मिलेगा. इस बीच, एक्सपर्ट ने बजट का शेयर बाजार पर क्या असर होगा, इसे लेकर आपना व्यू रखा है.
क्या बाजार में आएगी गिरावट
जेफरीज में इक्विटी स्ट्रैटेजी के ग्लोबल हेड क्रिस्टोफर वुड के अनुसार, हाल के वर्षों में मजबूत रैली के बावजूद, भारतीय शेयर बाजार अभी भी एक मजबूत इक्विटी विकसित करने के मामले में अपने शुरुआती अवस्था में है. 23 जुलाई को बजट 2024 की घोषणा के करीब आने पर, इक्विटी पर कैपिटल गेन टैक्स में कोई भी बदलाव बाजार में महत्वपूर्ण गिरावट ला सकता है, जो संभवतः 4 जून को लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद देखी गई थी.
रिटेल और म्यूचुअल फंड इन्वेस्टर्स पर बाजार होगा निर्भर
वुड का मानना है कि रिटेल इन्वेस्टर्स की बढ़ती संख्या, खासकर म्यूचुअल फंड में, शेयर बाजार को मजबूती देगी. उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा के चुनावी झटके के बावजूद, शेयर बाजार में तेजी से उछाल आया है. 4 जून से अब तक 13.3% की बढ़ोतरी हुई है. यह तेज रिकवरी रिटेल निवेशकों के बढ़ते प्रभाव को उजागर करती है, जिन्होंने बिकवाली के बावजूद खरीदारी जारी रखी है.
बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय शेयर बाजार का नेचर बदल रहा है. रिटेल इन्वेस्टर्स और म्यूचुअल फंडों ने वित्त वर्ष 21 के अंत में अपनी हिस्सेदारी 16.6% से बढ़ाकर वित्त वर्ष 24 के अंत तक 18.4% कर ली है. इसके विपरीत इसी अवधि में विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) स्वामित्व 22.1% से घटकर 19.9% हो गया है.
कितना है भारतीय शेयर बाजार का कैपिटल?
भारतीय शेयर बाजार का कैपिटल 5.2 ट्रिलियन डॉलर तक बढ़ गया है, जो मार्च 2020 में 1.3 ट्रिलियन डॉलर के निचले स्तर से 296 प्रतिशत की उछाल है. यह अब MSCI AC वर्ल्ड इंडेक्स का 1.96% है, जो मार्च 2020 में 0.93% था. हालांकि मार्केट कैपटिल अब सकल घरेलू उत्पाद का 145% है, जो मार्च 2020 में 52% था.
इन पॉइंट पर रखें नजर
वुड ने गठबंधन सहयोगियों को संतुष्ट करने के लिए लोकलुभावन ऐलान के संकेतों के लिए बजट 2024 पर कड़ी नजर रखने की सलाह दी है. हालांकि कैपिटल गेन टैक्स की दर में संभावित बढ़ोतरी के बारे में चिंता कम है, लेकिन कोई भी महत्वपूर्ण ऐलान अनुमान से कहीं ज़्यादा बड़े बाजार सुधार को ट्रिगर कर सकती है. बजट से अल्पसंख्यक दलों की मांगों को संबोधित करने की उम्मीद है.
भारतीय बाजार में विश्वास को बढ़ाने वाला एक और कारक रुपये की लॉन्ग टर्म स्थिरता में बढ़ता विश्वास है. स्थिर रुपया भारतीय इक्विटी के आकर्षण को बढ़ाएगा, जो मुख्य रूप से घरेलू मांग को बढ़ाएगा. यह घरेलू फोकस, बढ़ती रिटेल भागीदारी और स्थिर मुद्रा की उम्मीद शेयर बाजार की निरंतर ग्रोथ बढ़ा सकते हैं.
(नोट- शेयर बाजार में किसी भी तरह के निवेश से पहले अपने मार्केट एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें.)