बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दौरान मतदाताओं की संख्या में बढ़ोतरी को लेकर सोशल मीडिया पर उठ रहे सवालों का निर्वाचन आयोग (ECI) ने अनौपचारिक तौर पर जवाब दिया है. कई यूजर्स यह पूछ रहे थे कि चुनाव की घोषणा के समय और मतदान के दिन जारी कुल मतदाताओं की संख्या में अंतर क्यों दिख रहा था. इस पर आयोग के उच्च पदस्थ सूत्रों ने पूरे मामले की प्रक्रिया स्पष्ट की है.
सूत्रों के अनुसार, चुनाव की घोषणा वाले दिन बिहार में कुल मतदाताओं की संख्या लगभग 7.43 करोड़ थी. यह वह आंकड़ा था, जो चुनाव शेड्यूल जारी होते समय उपलब्ध मतदाता सूची पर आधारित था. लेकिन घोषणा के बाद भी योग्य और नए मतदाताओं के लिए फॉर्म-6 के जरिए वोटर रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया जारी रही, जिसकी वजह से मतदाताओं की संख्या में स्वाभाविक रूप से बढ़ोतरी हुई.
फॉर्म-6 भरकर नाम जुड़वाने की आखिरी तारीख नामांकन भरने के अंतिम दिन से एक हफ्ता पहले तक तय थी. इसका मतलब यह हुआ कि पहले चरण के लिए मतदाता सूची में नाम जुड़वाने की अंतिम तारीख 10 अक्टूबर थी, जबकि दूसरे चरण के लिए यह आखिरी दिन 13 अक्टूबर था.
इस अवधि के दौरान बड़ी संख्या में नए योग्य मतदाताओं ने आवेदन किया, जिनके नाम मतदाता सूची में शामिल कर लिए गए. इसी प्रक्रिया के कारण मतदान के दिन कुल सुपात्र मतदाताओं की संख्या बढ़कर 7,45,26,858 हो गई.
आयोग ने यह भी बताया कि मुख्य और अतिरिक्त मतदाता सूची को मिलाकर इस बार 7,69,356 पहली बार वोट डालने वाले मतदाताओं के नाम दर्ज हुए. इसके अलावा, कुल मतदाताओं में से 8.81 प्रतिशत यानी 9,10,710 मतदाताओं ने NOTA का विकल्प चुना, जो इस बार के चुनाव की एक उल्लेखनीय बात रही.
निर्वाचन आयोग के अनुसार, 10 से 13 दिनों के भीतर हुए इस रजिस्ट्रेशन के कारण ही चुनाव की घोषणा के दिन और मतदान के दिन जारी मतदाताओं की कुल संख्या में अंतर दिखा. यह वृद्धि सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा है और वोटर लिस्ट अपडेट होने के चलते ऐसा हर चुनाव में होता है.