बिहार विधानसभा चुनाव करीब आते ही सभी राजनीतिक दल अपने-अपने वोट बैंक को मजबूत करने में जुट गए हैं. इस बार भी कई सीटों पर निर्णायक भूमिका मुस्लिम मतदाताओं की मानी जा रही है. ऐसे में यह बड़ा सवाल है कि आखिर मुस्लिम वोटर किस पार्टी के साथ खड़ा है.
दरभंगा में ग्राउंड जीरो पर मुस्लिम मतदाताओं और विभिन्न दलों के मुस्लिम नेताओं से बात करने पर अलग-अलग राय सामने आई. आम मतदाता का कहना है कि महागठबंधन ने अब तक सिर्फ वादे किए हैं, लेकिन नतीजा नहीं दिया. कुछ मतदाता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भरोसा जता रहे हैं और मानते हैं कि विकास के मुद्दे पर एनडीए ही सही विकल्प है.
निर्णायक भूमिका मुस्लिम मतदाताओं की
दूसरी तरफ महागठबंधन के मुस्लिम नेताओं का दावा है कि मुसलमान वोटर उनके साथ हैं और उन्होंने एनडीए को कभी समर्थन नहीं दिया. वहीं, बीजेपी नेताओं का कहना है कि पिछली बार एनडीए को लगभग बारह प्रतिशत मुस्लिम वोट मिले थे और इस बार उससे भी ज्यादा वोट मिलने की उम्मीद है.
इस बीच, असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम भी सीमांचल के बाद मिथिलांचल में अपने पांव फैलाने की कोशिश कर रही है. सवाल यह है कि क्या एआईएमआईएम की मौजूदगी महागठबंधन के लिए परेशानी खड़ी करेगी या मुस्लिम वोटों का बंटवारा बीजेपी-एनडीए के लिए आसान बनाएगी.
पिछली बार NDA को लगभग 12% मुस्लिम वोट मिले थे
स्पष्ट है कि बिहार चुनाव में मुस्लिम वोटरों का मन किस ओर झुकेगा, यह नतीजे ही बताएंगे. लेकिन इतना तय है कि बिना मुस्लिम वोटरों के समर्थन के किसी भी दल का जीत का रास्ता आसान नहीं होगा.