बगहा प्रखंड के पहाड़ी मझौआ प्राथमिक विद्यालय में 155 बच्चों की पढ़ाई आज भी खुले आसमान के नीचे हो रही है. यहां सात शिक्षक तैनात हैं, लेकिन न क्लासरूम है, न स्थायी ब्लैकबोर्ड और न ही शौचालय की सुविधा. गर्मी की तपती धूप और बरसात के दौरान बच्चे असुरक्षित माहौल में पढ़ाई करने को मजबूर हैं.
17 साल से अटका पड़ा निर्माण
प्रधानाध्यापक ने बताया कि 2008 में विद्यालय भवन निर्माण के लिए राशि आई थी, लेकिन ज़मीन विवाद और अतिक्रमण के कारण निर्माण शुरू नहीं हो सका. तब से अब तक हालात जस के तस बने हुए हैं. बारिश में बच्चों को फूस से बने जर्जर आंगनबाड़ी केंद्र में पढ़ाई करनी पड़ती है या घर भेजा जाता है.
ग्रामीणों का कहना है कि वर्षों से केवल आश्वासन ही दिए जा रहे हैं. अधिकारी और नेता आते हैं, कहते हैं भवन बनेगा, लेकिन हकीकत नहीं बदलती. बच्चियों के लिए शौचालय न होना सुरक्षा और सम्मान के लिए खतरा बन गया है.
बगहा 1 प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी पुरन शर्मा ने बताया कि यह विद्यालय भूमिहीन और भवनहीन है. उन्होंने कहा कि भूमि विवाद के कारण भवन निर्माण अब तक नहीं हो पाया है, और इस संबंध में अंचलाधिकारी को पत्र लिखा गया है.
डिजिटल इंडिया और स्मार्ट क्लास की चर्चाओं के बीच पहाड़ी मझौआ के बच्चे किताब थामे पेड़ की छांव में पढ़ाई कर रहे हैं. उनका कहना है कि एक दिन उन्हें भी सुरक्षित छत और पक्के क्लासरूम मिले.
विशेषज्ञों का मानना है कि यह केवल 155 बच्चों की लड़ाई नहीं है, बल्कि पूरे शिक्षा सिस्टम की परीक्षा है. अगर प्रशासन ने अब भी कदम नहीं उठाया, तो आने वाली पीढ़ी के सपने अधूरे रह जाएंगे.