ये मानसून नहीं आसां बस इतना समझ लीजिए...आज हिंदुस्तान के किसी भी कोने में रहने वाले आम इंसान को जिगर मुरादाबादी के इन अल्फाज़ों को अपने जिगर में बसा लेना चाहिए...क्योंकि पहाड़ों पर बादल फटें तो वो कुदरती तबाही हो सकती है...पहाड़ों पर फ्लैश फ्लड आ जाए वो भी कुदरती तबाही हो सकती है लेकिन कुदरती तबाही में दर्जनों लापता हो जाएं ये कुदरती नहीं हो सकता.