रूस के राष्ट्रपति दो दिवसीय भारत दौरे पर गुरुवार शाम को दिल्ली पहुंचे, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रोटोकॉल तोड़ कर जोरदार स्वागत किया. पुतिन ने भारत दौरे से पहले 'आजतक' को दिए 'वर्ल्ड एक्सक्लूसिव' इंटरव्यू में आजतक की मैनेजिंग एडिटर अंजना ओम कश्यप और इंडिया टुडे की फॉरेन अफेयर्स एडिटर गीता मोहन से कई मुद्दों पर बात की. उन्होंने अमरता से जुड़े सवाल हेल्थ केयर और दुनिया भर में Gen Z के प्रोटेस्ट पर अपनी राय रखी. उन्होंने कहा कि हर चीज का अंत होता है, सिर्फ भगवान ही हमेशा रहने वाले हैं.
इंटरव्यू के दौरान जब इंडिया टुडे की फॉरेन अफेयर्स एडिटर गीता मोहन ने जब पुतिन से पूछा कि आपने अभी हेल्थ के बारे में बात की. आपके और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच एक हॉट माइक मोमेंट था. जब आपने लंबी उम्र, मेडिसिन में तरक्की और बायोहैकिंग के बारे में बात की तो इसकी काफी चर्चा हुई. क्या आपको लगता है कि सचमुच अमरता हासिल हो सकती है?.
लंबी उम्र पर तकनीकी दृष्टिकोण
इसके जवाब पुतिन ने कहा कि मेरा मानना है कि विज्ञान के जरिए उम्र को लंबा किया जा सकता है, वाकई हम उम्र को लंबा कर सकते हैं और ये सच है. हालांकि, हर चीज का एक अंत होता है. सिर्फ भगवान ही हमेशा रहने वाले हैं.
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, '77 साल पहले भारत में एक इंसान की औसत उम्र 31 साल थी और अब ये करीब 70 साल है.'
उन्होंने हेल्थ केयर में सुधार के कारण भारत में बच्चों की मौत चार गुना कम हो गई हैं, ये हेल्थ केयर का ही नतीजा है और इस के लिए मैं भारत को बधाई देता हूं.
पुतिन ने भविष्य के बारे में कहा कि अगर हेल्थ केयर में AI और जेनेटिक इंजीनियरिंग का इस्तेमाल किया जाए तो इसका असर जबरदस्त होगा, पर अंत में उन्होंने फिर दोहराया कि सभी चीजों का अंत होता ही है.
इसी दौरान अंजना ओम कश्यप ने पुतिन से पूछा कि आपकी उम्र की ओर इशारा किए बिना, हाल ही में दुनिया भर में Gen Z के बहुत सारे प्रोटेस्ट हुए हैं. आप युवा पीढ़ी से कैसे कनेक्ट करते हैं? आज बहुत सारे नेता ऐसे हैं जो अपनी उम्र से कम दिखते हैं. ये कैसे होता है और आप रूस में युवाओं से कैसे कनेक्ट करते हैं?
Gen Z के विरोध प्रदर्शनों पर पुतिन की राय
इस पर रूसी राष्ट्रपति ने कहा, यहां ये सब नया नहीं है. आप जानते हैं कि साहित्य और कला में हमेशा विरोधाभासों की बात होती रही है. पुरानी और नई पीढ़ी के बीच, पिता और बेटों के बीच. हमारी पुरानी रचनाओं में भी ये बातें और ये चित्र हमेशा से मौजूद रहे हैं. सभी को ये जानने की जरूरत है कि यहां कुछ भी नया नहीं है.
उन्होंने कहा, 'आप जानते हैं नया क्या है? नई है टेक्नोलॉजी. मैसेंजर, टेलीग्राम वगैरह, जिनका इस्तेमाल सक्रिय रूप से आज भी युवा पीढ़ी पर असर डालने के लिए किया जा रहा है. ये पीढ़ी कमोबेश वही युवा लोग हैं जो मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं और ज्यादा कट्टर हैं. युवा पीढ़ी सोचती है कि सिर्फ वो ही अन्याय का सामना कर रही है और उनसे पहले किसी ने ये सब देखा ही नहीं. युवा ये सब देखते हैं और अपने आसपास के सभी लोगों को बताते हैं.
मोबाइल इस्तेमाल करने वाले युवा ज्यादा कट्टर
पुतिन ने कहा, 'उन्हें लगता है कि इससे निपटना बहुत आसान है. इसे आसानी से सुलझाया जा सकता है, लेकिन जब व्यक्ति ज़्यादा समझदार हो जाता है और खुद कुछ बदलने की कोशिश करता है तो उसे पता लगता है कि जिसका हल ढूंढना वो आसान समझ रहे थे, वो उतना आसान है नहीं, जितना पहली नजर में लगता है.'
युवाओं के टूल्स का इस्तेमाल जरूरी
रूसी राष्ट्रपति ने नेताओं को सलाह दी कि हमें लोगों के साथ काम करने की ज़रूरत है ना कि यह कहने की कि 'आप बस युवा हैं, आप कुछ नहीं समझते'. उन्होंने कहा कि आपको हमेशा युवाओं के टच में रहने और उनके टूल्स (Tools), उन तक जानकारी पहुंचाने के तरीकों, सोशल नेटवर्क वगैरह में फीडबैक (Feedback) का इस्तेमाल करने की जरूरत है. पुतिन ने कहा कि वहां काम करने की जरूरत है और मुझे यकीन है कि भारत कुछ हद तक ऐसा कर रहा है. मैं आपको हर सफलता की शुभकामना देना चाहता हूं.
अंजना ओम कश्यप / गीता मोहन