यमन के एक बड़े हिस्से पर नियंत्रण रखने वाले ईरान समर्थित विद्रोही समूह हूती द्वारा रेड सी में जहाजों पर हमला किए जाने के बाद अमेरिका और ब्रिटेन के नेतृत्व वाली गठबंधन सेना कार्रवाई कर रही है. बता दें कि हूती विद्रोहियों ने लाल सागर में पिछले कुछ दिनों में करीब 27 मालवाहक जहाजों को ड्रोन और रॉकेट हमलों से निशाना बनाया है. इसी के जवाब में अमेरिका और ब्रिटेन, यमन में हूती विद्रोहियों के ठिकानों पर हवाई हमले कर रहे हैं.
यमन की राजधानी सना और अल-हुदायदाह में अमेरिका और ब्रिटेन ने मिसाइलें दागी हैं. ये दोनों शहर लाल सागर बंदरगाह क्षेत्र में हूतियों के गढ़ माने जाते हैं. अलायंस फोर्स की ओर से हूतियों के लॉजिस्टिक हब, एयर डिफेंस सिस्टम और वेपन डिपो को निशाना बनाते हुए कुल 12 से अधिक क्षेत्रों में बमबारी हुई है. दरअसल, हूती विद्रोहियों ने गाजा में इजरायली हमले के विरोध में लाल सागर में मालवाहक जहाजों को निशाना बनाना शुरू किया था.
हूती कौन हैं और कितने ताकतवर हैं?
हूती यमन का एक शिया मिलिशिया ग्रुप है. इस विद्रोही समूह का गठन 1990 में हुसैन अल हूती ने किया था. हूतियों ने यमन के तत्कालीन राष्ट्रपति अली अब्दुल्ला सालेह पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर उनके शासन के खिलाफ आंदोलन छेड़ा. वे खुद को 'अंसार अल्लाह' यानी ईश्वर के साथी भी कहते हैं. अमेरिका द्वारा इराक पर 2003 में किए गए हमले के विरोध में हूती विद्रोहियों ने नारा दिया था, 'ईश्वर महान है. अमेरिका और इजरायल का खात्मा हो, यहूदियों का विनाश हो और इस्लाम की विजय हो'.
यमन में 2014 की शुरुआत में हूती राजनीतिक रूप से काफी मजबूत हो गए और सादा प्रांत पर नियंत्रण हासिल कर लिया. साल 2015 की शुरुआत में उन्होंने राजधानी सना पर भी कब्जा कर लिया. धीरे-धीरे हूती विद्रोहियों का यमन के एक बड़े हिस्से पर नियंत्रण हो गया. हूती विद्रोहियों को ईरान का सहयोगी बताया जाता है, क्योंकि अमेरिका, इजरायल और सऊदी अरब उनके साझा दुश्मन हैं. ईरान पर हूती की फंडिंग और हथियार मुहैया कराने के आरोप भी लगते हैं.
वहीं हिज्बुल्ला हूतियों को ट्रेनिंग देता है. हूती लाल सागर के एक बड़े तटीय इलाके पर नियंत्रण रखते हैं और यहीं से वे जहाजों को निशाना बना रहे हैं. यमन की ज्यादातर आबादी हूती विद्रोहियों के नियंत्रण में रह रही है. उनका संगठन देश के उत्तरी हिस्से में टैक्स वसूलता है और अपनी मुद्रा भी छापता है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के मुताबिक 2010 तक हूती विद्रोहियों के पास सवा लाख के करीब लड़ाके थे. एक तरह से कहें कि हूती ही यमन में सरकार चला रहे हैं तो यह गलत नहीं होगा.
लाल सागर में जहाजों को क्यों निशाना बना रहे हूती विद्रोही?
इजरायल ने 7 अक्टूबर 2023 को हमास के हमले के जवाब में गाजा में जब बमबारी शुरू की तो हूतियों ने हमास के लिए अपना समर्थन घोषित किया. हूती ने कहा कि वे इजरायल जाने वाली जहाजों को निशाना बनाएंगे. हालांकि, हूती विद्रोहियों द्वारा जिन जहाजों पर हमले किए गए वे सभी इजरायल नहीं जा रहे थे, न ही इजरायली स्वामित्व वाले थे. नवंबर और दिसंबर के बीच लाल सागर में हूतियों के हमले 500% बढ़ गए. खतरा इतना बड़ा हो गया है कि प्रमुख शिपिंग कंपनियों ने इस क्षेत्र में जहाजों का परिचालन बंद कर दिया.
इससे ईंधन की कीमतें बढ़ने और आपूर्ति शृंखला बाधित होने का खतरा उत्पन्न हो गया. बता दें कि वैश्विक समुद्री व्यापार का लगभग 15% लाल सागर से होकर गुजरता है, जो स्वेज नहर द्वारा भूमध्य सागर से जुड़ा हुआ है और यूरोप और एशिया के बीच सबसे छोटा शिपिंग मार्ग है. एशियाई और यूरोपीय देशों के अलावा अमेरिका का हित भी इस प्रमुख समुद्री मार्ग से जुड़ा हुआ है. इसी के चलते अमेरिका के नेतृत्व में 20 देशों ने लाल सागर के व्यापारिक मार्ग को सुरक्षित करने के लिए एक गठबंधन बनाया. फिलहाल अमेरिका और ब्रिटेन यमन में हूती ठिकानों पर हमले कर रहे हैं.
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