...तो टैरिफ का अरबों डॉलर हड़प जाएगा ट्रंप प्रशासन! अमेरिकी वित्त मंत्री ने खोल दी सरकार के प्लान की पोल

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप भले ही दुनिया के 180 देशों से मनमाना रेसिप्रोकल टैरिफ वसूल रहे हैं, लेकिन अमेरिका की फेडरल कोर्ट ने इसे अवैध बताया है. अब इस मामले पर अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है. अगर सुप्रीम कोर्ट भी इसे नियमों के विपरित बताता है तो ट्रंप प्रशासन को वसूला गया अरबों डॉलर वापस करना पड़ेगा. लेकिन ट्रंप सरकार का प्लान कुछ और है.

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अमेरिकी वित्त मंत्री ने कहा है कि टैरिफ लौटाने के कई और रास्ते हैं. (Photo: ITG) अमेरिकी वित्त मंत्री ने कहा है कि टैरिफ लौटाने के कई और रास्ते हैं. (Photo: ITG)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 08 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 11:29 AM IST

टैरिफ के मुद्दे पर दुनिया की कई दिग्गज अर्थव्यवस्थाओं से पंगा ले रही ट्रंप सरकार को जल्द ही अरबों डॉलर वापस करने पड़ सकते हैं. ये सब अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निर्भर करता है. अमेरिका के वित्त मंत्री स्कॉट बेसेन्ट ने चेतावनी दी है कि यदि अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट फैसला देता है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने व्यापक आयात शुल्क लगाने में अपने अधिकार का अतिक्रमण किया है तो संयुक्त राज्य अमेरिका को टैरिफ से हुई अरबों डॉलर की कमाई को वापस करने के लिए बाध्य होना पड़ सकता है. 

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एनबीसी न्यूज पर एक कार्यक्रम के दौरान वित्त मंत्री स्कॉट बेसेन्ट से सुप्रीम कोर्ट में टैरिफ मामले के बारे में पूछा गया और पूछा गया कि क्या होगा यदि सर्वोच्च न्यायालय 29 अगस्त के फेडरल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखता है तो क्या होगा? बता दें कि फेडरल कोर्ट ने कहा था कि ट्रंप द्वारा 'रेसिप्रोकल टैरिफ' लगाना राष्ट्रपति के अधिकार का उल्लंघन है.

स्कॉट बेसेन्ट ने कहा, "हमें लगभग आधे टैरिफ पर रिफंड देना होगा, जो राजकोष के लिए भयानक होगा... इसमें कोई 'तैयार रहो' नहीं है. अगर अदालत कहती है, तो हमें यह करना होगा."

इसका मतलब है कि अगर अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ट्रंप के टैरिफ लगाने के अधिकार को अवैध भी ठहरा देती है तो भी अमेरिकी सरकार कई देशों का आधा टैरिफ हड़पने के इरादे से तैयार बैठी है.

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स्कॉट बेसेन्ट ने टैरिफ वापस करने के प्लान की कोई विस्तृत जानकारी दिए बिना कहा कि टैरिफ लौटाने के बजाय कई अन्य रास्ते हैं जिन्हें अपनाया जा सकता है. हालांकि इससे 'राष्ट्रपति ट्रंप की तोल-मोल की ताकत कमजोर हो जाएगी'.

पिछले महीने एक फेडरल अपील अदालत ने फैसला सुनाया कि अंतर्राष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्ति अधिनियम (आईईईपीए) का उपयोग राष्ट्रपति को आपातकालीन टैरिफ लगाने के लिए अधिकृत नहीं करता है. ट्रंप ने इन्हीं शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए भारत समेत कई देशों पर टैरिफ लगाया था. 

इस फेडरल कोर्ट ने बहुमत से अपने फैसले में कहा था, "हमें IEEPA के तहत रेसिप्रोकल टैरिफ और ट्रैफिकिंग टैरिफ की इतनी बड़ी मात्रा के लिए कोई स्पष्ट संसदीय प्राधिकार नहीं दिखता."

चूंकि अपील अदालत ने अपने आदेश के कार्यान्वयन को 14 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दिया है, इसलिए ट्रंप प्रशासन द्वारा अगस्त की शुरुआत में लगाई गई नई टैरिफ दरें सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक लागू रहेंगी.

इधर वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने कहा कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट में संघीय सरकार की जीत का भरोसा है, हालांकि अपील अदालत के फैसले ने ट्रंप प्रशासन की व्यापार वार्ता जारी रखने की क्षमता पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है. 

ट्रंप प्रशासन टैरिफ के रूप में कितना पैसा वसूल चुका है?

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बता दें कि ट्रंप की आक्रामक व्यापार नीतियों ने 180 से अधिक देशों पर 10% से 50% तक के टैरिफ लागू किए, जिसमें भारत, चीन, कनाडा, और ब्राजील जैसे देश शामिल हैं. भारत तो ऐसा देश है जिस पर ट्रंप ने 50 फीसदी टैरिफ लागू किया है. 

एक रिपोर्ट के अनुसार ट्रंप सरकार ने सिर्फ अगस्त में टैरिफ से 31 अरब डॉलर कमाए हैं. भारत पर 7 अगस्त 2025 से 25% और 27 अगस्त 2025 से 50% टैरिफ लागू हो गया है. 

सुप्रीम कोर्ट में कब है सुनवाई?

ट्रंप प्रशासन ने 4 सितंबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट में एक अपील दायर की थी.इसमें आपातकालीन आर्थिक शक्तियों के कानून (IEEPA) के तहत लगाए गए टैरिफ को वैध ठहराने की मांग की गई. सॉलिसिटर जनरल डी. जॉन सॉयर ने कोर्ट से अनुरोध किया कि इस मामले की सुनवाई नवंबर 2025 के पहले सप्ताह में शुरू हो.  हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अभी तक सुनवाई की अंतिम तारीख की पुष्टि नहीं की है.

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