US में राष्ट्रपति बदलने का भारत पर क्या असर? समझें अमेरिकी पॉलिसी का इंडिया कनेक्शन

चीन, ईरान, रूस या मिडिल ईस्ट के विपरीत अमेरिका में सत्ता परिवर्तन को लेकर भारत किसी तरह की टेंशन में नहीं है. पिछले राष्ट्रपति बाइडेन के कार्यकाल में दोनों देशों के संबंध काफी घनिष्ठ हुए हैं. दोनों उम्मीदवार, ट्रंप और हैरिस, मजबूत भारत-अमेरिका संबंधों का समर्थन करते हैं और दोनों पार्टियों के पास लंबे समय से ऐसे विशेषज्ञ हैं जो इस साझेदारी को गहरा करने के इच्छुक हैं.

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अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव का भारत पर क्या असर पड़ेगा? अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव का भारत पर क्या असर पड़ेगा?

aajtak.in

  • वॉशिंगटन,
  • 03 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 2:23 PM IST

पूरी दुनिया की नजर इस वक्त अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव पर है जिसकी वोटिंग 5 नवंबर को होगी. रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेटिक कमला हैरिस के बीच मुकाबला बेहद करीबी है. प्रचार अपने अंतिम दौर में है और दोनों ही उम्मीदवार देशवासियों से समर्थन करने और उन्हें व्हाइट हाउस भेजने की भावुक अपील कर रहे हैं. अन्य देशों की तरह भारत भी इस चुनाव पर करीब से नजर बनाए हुए है. सवाल है कि अमेरिका में अगर सत्ता परिवर्तन होता है तो उसका भारत पर क्या असर पड़ेगा. एक तरफ ट्रंप हैं जो भारत के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों के पुराने पक्षधर हैं. उनकी और पीएम मोदी की दोस्ती जगजाहिर है. तो वहीं दूसरी तरफ कमला हैरिस हैं जिनके भारतीय मूल की वजह से भारत के लोग उन्हें ज्यादा करीबी मानते हैं.

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हालांकि पीएम मोदी के हालिया अमेरिकी दौरे के बावजूद पिछले कुछ समय में कई चीजों को लेकर भारत और अमेरिका के बीच तल्खी आई है. अमेरिका ने खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश रचने के आरोप में एक भारतीय नागरिक पर आरोप तय किए हैं. भारत-कनाडा विवाद को लेकर अमेरिका ने बयान दिया था कि 'कनाडा के आरोप गंभीर हैं और भारत को उसकी जांच में सहयोग करना चाहिए.' हाल ही में अमेरिका ने रूस के सैन्य-औद्योगिक अड्डे का कथित रूप से समर्थन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की. इसके तहत 275 व्यक्तियों और संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाए गए जिनमें भारत की 15 कंपनियां भी शामिल हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि अमेरिका में राष्ट्रपति बदलने का भारत पर क्या असर पड़ेगा.

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बाइडेन के कार्यकाल में मजबूत हुए रिश्ते

अमेरिका में सत्ता परिवर्तन को लेकर भारत को चीन, ईरान, रूस या मिडिल ईस्ट जैसी चिंता नहीं है. पिछले राष्ट्रपति बाइडेन के कार्यकाल में दोनों देशों के संबंध काफी घनिष्ठ हुए हैं. दोनों उम्मीदवार, ट्रंप और हैरिस, मजबूत भारत-अमेरिका संबंधों का समर्थन करते हैं और दोनों पार्टियों के पास लंबे समय से ऐसे विशेषज्ञ हैं जो इस साझेदारी को गहरा करने के इच्छुक हैं.

नए राष्ट्रपति से भारत के साथ संबंधों पर क्या असर पड़ेगा?
 
विशेषज्ञों के अनुसार, अगर व्हाइट हाउस में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी होती है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मजबूत व्यक्तिगत संबंधों का लाभ दोनों देशों को मिल सकता है. ये संबंध एक ऐसी विदेश नीति को बढ़ावा देंगे जिसमें व्यापार, बाजार तक पहुंच और आप्रवासन जैसे मुद्दों पर संतुलन देखने को मिलेगा. दूसरी ओर, राष्ट्रपति बाइडेन की तरह, कमला हैरिस भी दक्षिण एशिया में भारत को चीन के सबसे मजबूत प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखती हैं और वह मतभेदों को बढ़ावा नहीं देंगी.

साझा मूल्यों पर टिका है रिश्ता

अमेरिका और भारत की साझेदारी का आधार साझा मूल्य और आपसी रणनीतिक हित रहे हैं. बहुआयामी अमेरिका-भारत साझेदारी मजबूत वाणिज्यिक संबंधों, करीबी रक्षा सहयोग और साझा रणनीतिक विचारों पर आधारित है. भारत की रणनीतिक स्थिति, आर्थिक क्षमता और सैन्य क्षमताएं इसे एक खास जगह, यूरेशिया और इंडो पैसिफिक, पर अमेरिका के लिए एक आदर्श और सबसे मजबूत भागीदार बनाती हैं.

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चीन से मुकाबले के लिए भारत का साथ जरूरी

भारत एक महत्वपूर्ण भागीदार इसलिए भी है क्योंकि अमेरिका इंडो पैसिफिक और उससे आगे, चीन के सैन्य और आर्थिक उदय के खिलाफ कदम उठाना चाहता है. चीन के साथ भारत की अपनी दशकों पुरानी प्रतिद्वंद्विता इन साझा हितों को और मजबूत करती है. 

एक रिपोर्ट के अनुसार, ऐतिहासिक रूप से, हैरी ट्रूमैन से लेकर डेमोक्रेटिक राष्ट्रपती इस धारणा को अपनाते रहे हैं कि भारत का उदय, अपने आप में, अमेरिका के लिए अच्छा है. डेमोक्रेटिक प्रशासन चाहेगा कि भारत तेजी से आर्थिक रूप से विकसित हो और चीन का मुकाबला करने में भागीदार बने.
 
वहीं अधिकांश रिपब्लिकन राष्ट्रपतियों ने भारत के साथ संबंधों को इस चश्मे से देखा है कि भारत की आर्थिक वृद्धि से अमेरिकी कंपनियों को कैसे लाभ होगा. ड्वाइट आइजनहावर (1953-61) और जॉर्ज डब्लू. बुश (2000-08) का प्रशासन इसका अपवाद था.

जोर-शोर से प्रचार में जुटे ट्रंप और हैरिस

उपराष्ट्रपति हैरिस ने शनिवार को विस्कॉन्सिन में अपने हजारों उत्साही समर्थकों को संबोधित ​करते हुए कहा, 'हम जीतेंगे. यह अमेरिका की राजनीति में नई पीढ़ी को आगे लाने का समय है.' वह शनिवार को विस्कॉन्सिन और नॉर्थ कैरोलिना में चुनाव प्रचार कर रही थीं. वह रविवार और सोमवार को मिशिगन, जॉर्जिया और पेंसिल्वेनिया में क्लोजिंग डिबेट कर सकती हैं. 

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वहीं 78 वर्षीय डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को चुनाव प्रचार के लिए वर्जीनिया को चुना. सलेम में अपने हजारों समर्थकों को संबोधित करते हुए पूर्व राष्ट्रपति ने देश में शांति और समृद्धि का एक नया युग लाने का वादा किया. उन्होंने कमला हैरिस को उदार वामपंथी और कट्टरपंथी बताया. अगले दो दिनों में ट्रंप का मिशिगन, पेंसिल्वेनिया, जॉर्जिया और उत्तरी कैरोलिना में प्रचार करने की योजना है.

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