'भारत पर लगाए गए टैरिफ के कारण पुतिन बातचीत के लिए हुए तैयार...', ट्रंप का दावा

डोनाल्ड ट्रंप ने बड़ा दावा किया कि भारत पर लगाए गए अतिरिक्त टैरिफ की वजह से रूस के राष्ट्रपति पुतिन अलास्का में बैठक के लिए मजबूर हुए. उन्होंने कहा कि हर चीज का असर होता है. रूस अपना दूसरा सबसे बड़ा तेल ग्राहक खो रहा है.

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पुतिन से अलास्का में होने वाली बातचीत के पहले डोनाल्ड ट्रंप ने किया बड़ा दावा (File Photo: AP) पुतिन से अलास्का में होने वाली बातचीत के पहले डोनाल्ड ट्रंप ने किया बड़ा दावा (File Photo: AP)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 15 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 7:10 AM IST

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच अलास्का में यूक्रेन संघर्ष को लेकर आज यानि 15 अगस्त को महत्वपूर्ण बैठक होने वाली है. इस बैठक के पहले ट्रंप ने कहा है कि भारत पर लगाए गए टैरिफ की वजह से रूसी राष्ट्रपति को मिलने के लिए प्रभावित किया गया. 

फॉक्स न्यूज रेडियो के एक शो में डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि हर चीज का असर होता है. भारत पर लगाए अतिरिक्त टैरिफ के कारण उन्हें रूस से तेल खरीदने से रोक दिया. रूस एक बड़ा तेल उत्पादक है और उसका सबसे दूसरा बड़ा बाज़ार भारत है. जब आप अपना दूसरा सबसे बड़ा ग्राहक खो देते हैं और पहला ग्राहक भी खोने वाला है, तो इसका असर जरूर पड़ता है. 

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अलास्का बैठक और यूक्रेन शांति प्रयास

जब से डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति बने हैं उन्होंने कई देशों के बीच युद्ध रुकवाने का दावा किया है. गुरुवार को तो उन्होंने एक बार फिर से दोहरा दिया कि भारत और पाकिस्तान के बीच उन्होंने युद्ध रुकवाया है. अगर वह ऐसा नहीं करते तो न्यूक्लियर जंग हो सकती थी. 

ट्रंप-पुतिन की मुलाकात से पहले बढ़ा तनाव, यूक्रेन में भीषण जंग

ट्रंप-पुतिन के बीच होने वाली मुलाकात पर पूरी दुनिया की निगाहें टिकी हैं क्योंकि इसका परिणाम युद्ध विराम या महायुद्ध तय करेगा. मीटिंग से ठीक पहले यूक्रेन और रूस के बीच भीषण युद्ध शुरू हो गया है. रूस ने यूक्रेन की मिसाइल फैक्ट्री को हवाई हमले में नष्ट कर दिया है, जो जर्मनी की मदद से मध्यम दूरी की मिसाइलें बना रहा था. यूक्रेन का दावा है कि रूस ने ड्रोन से कई शहरों को निशाना बनाया है, जिससे आम नागरिक घायल हुए हैं.

इस तनाव के बीच, ट्रंप ने चेतावनी दी है कि यदि रूस युद्ध विराम के लिए तैयार नहीं हुआ तो उसे "बहुत बुरे परिणाम भुगतने होंगे." यह मुलाकात यूक्रेन-रूस संघर्ष में शांति लाएगी या इसे और बढ़ाएगी, यह देखना बाकी है. दोनों देशों के बीच हवाई हमले शांति वार्ता में बाधा बन सकते हैं.

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यह भी पढ़ें: अलास्का पर टिकीं सबकी निगाहें, पुतिन संग मीटिंग से पहले ट्रंप ने कर दिया बड़ा दावा

महायुद्ध का खतरा या शांति की उम्मीद?

अगले 24 घंटे वैश्विक शांति के लिए निर्णायक माने जा रहे हैं. यदि यह बैठक विफल होती है, तो यूक्रेन के साथ-साथ यूरोप तक रूस की मिसाइलों का कहर बरप सकता है, जिससे महायुद्ध की आशंका बढ़ जाएगी. पुतिन ने युद्धविराम के लिए अपनी शर्तें स्पष्ट कर दी हैं, जिसमें यूक्रेन के कब्जे वाली जमीन को न छोड़ने का दावा शामिल. 

शुरुआत में ट्रंप ने जमीन की अदला-बदली का संकेत दिया था, लेकिन यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने अपनी एक इंच भी जमीन न छोड़ने का ऐलान कर दिया. यूरोपीय यूनियन ने भी यूक्रेन के इस रुख का समर्थन किया, जिसके बाद ट्रंप को अपने रुख से पलटना पड़ा. अब ट्रंप भी यूक्रेन की लाइन पर आ गए हैं, यानी जमीनों की अदला-बदली नहीं होगी. यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा कि यूक्रेन की जमीन पर बातचीत केवल यूक्रेन के राष्ट्रपति ही कर सकते हैं. इस स्थिति में, पुतिन अपनी शर्तों पर अडिग हैं और यूक्रेन भी पीछे हटने को तैयार नहीं है, जिससे बैठक से पहले ही ट्रम्प का दांव उल्टा पड़ता दिख रहा है.

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