चीन पर सख्त रुख अपनाने का दावा करने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक ऐसा कदम उठाया है जिसे चीन के सामने अमेरिका का आत्मसमर्पण कहा जा रहा है. अमेरिका ने चीनी जहाजों पर लगाए गए नए पोर्ट फीस को निलंबित कर दिया है जिसे लेकर अमेरिका में ट्रंप की कड़ी आलोचना हो रही है. अमेरिका की विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी का कहना है कि ट्रंप चीन को लेकर नरम हो रहे हैं. अमेरिका के ट्रेड यूनियन भी ट्रंप के पोर्ट फीस निलंबन के फैसले से खुश नहीं हैं.
व्यापारिक तनाव के बीच अमेरिका और चीन ने हाल ही में एक-दूसरे के जहाजों पर पोर्ट फीस लगा दिया था. बीते महीने दक्षिण कोरिया में एक शिखर सम्मेलन के दौरान राष्ट्रपति ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच मुलाकात के बाद दोनों देशों ने पोर्ट फीस निलंबन का फैसला लिया था. सबसे पहले अमेरिका ने पोर्ट फीस हटाई जिसके बाद सोमवार को चीन ने भी अमेरिका और अमेरिका से जुड़े जहाजों पर पोर्ट फीस हटा ली.
चीनी जहाजों की संख्या को देखते हुए पोर्ट फीस लगाने से अमेरिका फायदे में था. अब जबकि यह फीस निलंबित कर दी गई है, अमेरिकी विपक्ष और ट्रेड यूनियन नाराज हैं.
जहां एक ओर जहाज मालिकों का मानना है कि यह कदम लागत घटाने और व्यापार बढ़ाने में मदद करेगा, वहीं ट्रेड यूनियनों ने चेतावनी दी है कि इससे अमेरिका की समुद्री ताकत कमजोर होगी और चीन को गलत मैसेज जाएगा. उनका कहना है कि यह ट्रंप प्रशासन की चीन को जवाबदेह ठहराने वाली बयानबाजी के विपरीत है.
समुद्री मामलों के विशेषज्ञ हंटर स्टायर्स, जो जून तक अमेरिकी नौसेना सचिव जॉन फेलान के रणनीतिक सलाहकार रहे, ने सोमवार को सोशल मीडिया पर अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि (USTR) ऑफिस को भेजी अपनी टिप्पणी में इस निलंबन को 'एक गंभीर रणनीतिक गलती' बताया.
हॉन्गकॉन्ग के अखबार 'साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट (SCMP)' के मुताबिक, उन्होंने कहा, '10,000 से अधिक चीनी जहाजों पर अमेरिकी पोर्ट फीस हटाकर केवल 183 अमेरिकी जहाजों से चीन का पोर्ट फीस हटवाना वास्तव में अमेरिका का आत्मसमर्पण है, जिसे झूठे संतुलन के रूप में पेश किया जा रहा है.'
अमेरिका के विपक्षी सांसद और उद्योग जगत के लोग कह रहे हैं कि यह कदम अमेरिकी समुद्री हितों को दीर्घकालिक रूप से कमजोर कर सकता है.
7 नवंबर को USTR जेमीसन ग्रीयर को लिखे पत्र में प्रतिनिधि सभा की चीन मामलों पर चयन समिति के रैंकिंग मेंबर राजा कृष्णमूर्ति और सांसद जॉन गरमेंडी ने लिखा, 'सेक्शन 301 के तहत स्थापित पोर्ट फीस की वसूली को रोकना या घटाना, अमेरिका में इस महत्वपूर्ण क्षेत्र के पुनर्निर्माण की प्रक्रिया में और देरी करेगा.'
इलिनॉय से डेमोक्रेट सांसद राजा कृष्णमूर्ति और कैलिफोर्निया से डेमोक्रेट जॉन गरमेंडी ने कहा कि ट्रंप प्रशासन कह रहा है कि अमेरिका के समुद्र उद्योग को फिर से सशक्त बनाया जाएगा लेकिन यह हालिया कदम ट्रंप प्रशासन का अपने वादे से पीछे हटना है.
अमेरिका ने चीन में बने, चीनी स्वामित्व वाले या फिर चीन से जुड़े सभी जहाजों के अमेरिकी बंदरगाह पर रुकने के लिए 50 डॉलर प्रति टन का फीस लगाया था जो 14 अक्टूबर को लागू किया गया था. यह फीस बाइडेन प्रशासन के दौरान शुरू हुई जांच के नतीजों पर आधारित था. उस जांच में पाया गया था कि चीन की भारी सब्सिडी और संरक्षणवादी नीतियों ने चीन को वैश्विक जहाज निर्माण में बढ़त दिलाई है.
डेमोक्रेट्स की तरह ही अमेरिका के कई ट्रेड यूनियनों ने भी इस फैसले पर भी निराशा जताई है. संयुक्त बयान में यूनाइटेड स्टीलवर्कर्स, इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ मशीनिस्ट्स एंड एयरोस्पेस वर्कर्स, इंटरनेशनल ब्रदरहुड ऑफ बॉयलरमेकर्स और इंटरनेशनल ब्रदरहुड ऑफ इलेक्ट्रिकल वर्कर्स ने कहा, 'यह कदम चीन को उसकी शिकारी वाली नीतियों पर एक बार फिर छूट देगा और अमेरिकी समुद्री क्षेत्र के पुनर्निर्माण की कोशिशों को चोट पहुंचाएगा.'
बयान में आगे कहा गया, 'मजदूरों, शिपयार्ड्स और हमारे राष्ट्रीय हितों को फिर से अल्पकालिक राजनीतिक हितों के लिए दरकिनार किया जा रहा है.'
हालांकि, इस कदम के समर्थकों का कहना है कि पोर्ट फीस के निलंबन से शिपिंग उद्योग को राहत मिलेगी और व्यापारिक तनाव के बीच ग्लोबल सप्लाई चेन स्थिर होगी.
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