बांग्लादेश में पिछले साल हुए छात्र आंदोलन पर हिंसक दमन और उससे जुड़े मानवाधिकार उल्लंघनों पर आए ताज़ा फैसले पर संयुक्त राष्ट्र ने प्रतिक्रिया दी है. UN मानवाधिकार कार्यालय (OHCHR) ने एक बार फिर मौत की सजा का कड़ा विरोध जताया, लेकिन पीड़ितों के लिए न्याय सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया.
जुलाई 2024 में हुए छात्र विरोध प्रदर्शनों के हिंसक दमन के बाद, एक UN-नेतृत्व वाली जांच में पाया गया था कि पिछले साल जुलाई और अगस्त के दौरान 1,400 लोग मारे गए और हजारों घायल हुए थे.
OHCHR ने इस फैसले को "पिछले साल विरोध प्रदर्शनों के दमन के दौरान किए गए गंभीर मानवाधिकार उल्लंघनों के पीड़ितों के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण" बताया है. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर तुर्क ने कहा था कि एकत्र किए गए सबूत "राज्य की बेलगाम हिंसा और लक्षित हत्याओं की एक परेशान करने वाली तस्वीर पेश करते हैं." यह मानवाधिकारों का सबसे गंभीर उल्लंघन है और अंतर्राष्ट्रीय अपराध भी हो सकता है.
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मौत की सज़ा पर विरोध और न्याय की मांग
फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए, संयुक्त राष्ट्र ने सभी परिस्थितियों में मौत की सज़ा का विरोध करने की अपनी स्थिति दोहराई है. OHCHR ने कहा कि भले ही उन्हें इस मुकदमे के संचालन की जानकारी नहीं थी, लेकिन उन्होंने लगातार इस बात की वकालत की है कि सभी जवाबदेही कार्यवाही, विशेष रूप से अंतर्राष्ट्रीय अपराधों के आरोपों पर निश्चित रूप से ड्यू प्रोसेस और निष्पक्ष सुनवाई के अंतर्राष्ट्रीय मानकों को पूरा करे.
जवाबदेही आवश्यक
आयोग ने इस बात पर ज़ोर दिया कि यह विशेष रूप से तब महत्वपूर्ण है जब मुकदमे अभियुक्त की अनुपस्थिति में चलाए गए हों और इसका परिणाम मृत्युदंड हो. OHCHR फरवरी 2025 में अपनी रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद से मांग कर रहा है कि दोषियों, जिनमें कमांड और नेतृत्व के पदों पर बैठे व्यक्ति शामिल हैं, को अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार जवाबदेह ठहराया जाए और पीड़ितों को प्रभावी समाधान और मुआवजा मिले.
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वोल्कर तुर्क ने उम्मीद जताई कि बांग्लादेश अब राष्ट्रीय सुलह और उपचार के मार्ग के रूप में "सत्य-कथन, मुआवजा और न्याय" की व्यापक प्रक्रिया के साथ आगे बढ़ेगा. उन्होंने सभी पक्षों से शांति बनाए रखने और संयम बरतने का आह्वान किया है.
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