ब्रिटेन की राजधानी लंदन की सड़कों पर आज (रविवार) सुबह ऐसा नज़र देखने को मिला जिसने पूरी दुनिया की निगाहें अपनी ओर खींचीं. ब्रिटेन सरकार की इमिग्रेशन नीति के ख़िलाफ़ क़रीब डेढ़ लाख प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए और 'हमें अपना देश वापस चाहिए' जैसे नारे लगाए. इस प्रदर्शन का नेतृत्व टॉमी रॉबिन्सन नाम के एक दक्षिणपंथी नेता ने किया.
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर ने लंदन में हिंसक प्रदर्शन के खिलाफ कड़ा रुख दिखाया. उन्होंने कहा कि वह इन प्रदर्शनकारियों के आगे झुकने वाले नहीं हैं. क्यों कि वे राष्ट्रीय झंडे का इस्तेमाल हिंसा का दिखावा करने के लिए कर रहे हैं. प्रधानमंत्री ने प्रदर्शन के दौरान पुलिस अधिकारियों पर हुए हमलों की निंदा की.
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह झंडा 'हमारे विविध देश' का प्रतिनिधित्व करता है और वह लोगों को यह महसूस कराने की अनुमति नहीं देंगे कि 'उनकी बैकग्राउंड या त्वचा के रंग के कारण हमारे सड़कों पर उन्हें डर महसूस करना पड़े.'
सेंट्रल लंदन में प्रदर्शन के दौरान उस वक्त तनाव बढ़ गया जब प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर बोतलें और अन्य सामनों को फेंक दिया. इस दौरान चार पुलिसकर्मी भी घायल हो गए. कुछ प्रदर्शनकारियों की गिरफ्तारी भी की गई है.
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इस प्रदर्शन को 'यूनाइट द किंगडम' नाम दिया गया. इसका उद्देश्य प्रमुख रूप से देश में इमिग्रेशन यानी देशों में अवैध या अधिक मात्रा में प्रवास के खिलाफ था. प्रदर्शनकारियों ने मांग किया कि सरकार अवैध प्रवास को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए.
यूनाइट द किंगडम के विरोध में एक समूह ने 'स्टैंड अप टू रेसिज्म' रैली निकाली, जिसमें क़रीब पांच हज़ार लोग शामिल हुए. इसमें शामिल प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वे लोग नस्लीय नफरत फैला रहे हैं. हमें सभी को साथ मिलकर रहना चाहिए.
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