अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पुष्टि की है कि अमेरिका सऊदी अरब को एफ-35 फाइटर जेट्स बेचेगा. उन्होंने कहा कि ये जेट वही “टॉप-क्लास” मॉडल होंगे जो इजरायल को दिए गए हैं. सऊदी अरब ने आधिकारिक तौर पर 48 एफ-35 विमान की मांग की है.
व्हाइट हाउस में क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के साथ बैठे ट्रंप से पूछा गया कि इजरायल की सैन्य बढ़त कैसे बरकरार रहेगी जब सऊदी को भी वही पांचवीं पीढ़ी के विमान दिए जाएंगे? इस पर ट्रंप ने कहा कि दोनों देश अमेरिका के “करीबी साझेदार” हैं.
इसके बाद उन्होंने मजाकिया अंदाज में प्रिंस से कहा, “इजरायल चाहता था कि आपको कम क्षमता वाले विमान मिलें… जो आपको पसंद नहीं आता.” ट्रंप ने कहा, “मेरी नजर में दोनों देशों को टॉप-ऑफ-द-लाइन विमान मिलने चाहिए. हम एक बड़ा सौदा करने जा रहे हैं, सऊदी एफ-35 खरीदने वाला है.”
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यह डील अंतिम रूप लेने के बाद मध्य पूर्व में सैन्य संतुलन बदल देगी, क्योंकि अब तक केवल इजरायल को ही एफ-35 की अनुमति थी. यह सवाल पूछे जाने पर कि क्या यह डील सऊदी-इजरायल संबंधों के सामान्यीकरण से जुड़ी है? ट्रंप ने सीधा जवाब देने से परहेज किया. बस इतना कहा कि इजरायल को डील की जानकारी है और वे बहुत खुश होंगे.
इससे पहले सात साल बाद व्हाइट हाउस पहुंचे क्राउन प्रिंस का भव्य स्वागत हुआ. उन्हें मिलिट्री ऑनर गार्ड, तोपों की सलामी और अमेरिकी युद्धक विमानों की फ्लाईपास के साथ सलामी दी.
सऊदी का निवेश वादा बढ़कर हुआ 1 ट्रिलियन डॉलर
बैठक के दौरान प्रिंस सलमान ने बताया कि सऊदी अमेरिका में अपने निवेश को 600 बिलियन डॉलर से बढ़ाकर 1 ट्रिलियन डॉलर करेगा. ट्रंप ने इसका स्वागत करते हुए कहा, “बहुत अच्छा, मुझे यह बहुत पसंद है.”
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कम तेल कीमतों के बीच इतने बड़े निवेश पर सवाल पूछे जाने पर प्रिंस ने कहा कि यह सौदे सऊदी के विकास और टेक्नोलॉजी मिशन, विशेषकर सेमीकंडक्टर सेक्टर की रणनीति के अनुरूप हैं. ट्रंप ने फिर दोहराया कि उनके ट्रेड और डिप्लोमेसी मॉडल से साल के अंत तक कुल 21 ट्रिलियन डॉलर के निवेश प्रतिबद्धताएं आएंगी.
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