ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सीजफायर को लेकर चला आ रहा विवाद एक बार फिर गहरा गया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारतीय मूल के करीबी सलाहकार रिकी गिल को इस युद्धविराम की कथित नेगोशिएशन भूमिका के लिए नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल (NSC) का डिस्टिंग्विश्ड एक्शन अवॉर्ड दिया गया है.
इस फैसले को भारत में महज एक सम्मान नहीं, बल्कि अमेरिका की ओर से श्रेय लेने की राजनीतिक कोशिश के रूप में देखा जा रहा है. रिकी गिल वर्तमान में NSC में दक्षिण और मध्य एशिया के वरिष्ठ निदेशक और राष्ट्रपति ट्रंप के विशेष सहायक हैं. उन्हें यह पुरस्कार अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने प्रदान किया.
हालांकि, ट्रंप प्रशासन ने अब तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि भारत-पाक सीजफायर में गिल की भूमिका वास्तव में क्या थी. यह भी उल्लेखनीय है कि भारत सरकार कई बार दो टूक शब्दों में कह चुकी है कि 10 मई को हुए युद्धविराम में किसी तीसरे देश की मध्यस्थता नहीं हुई थी.
कौन हैं रिकी गिल?
37 वर्षीय रिकी गिल का जन्म न्यू जर्सी के लोदी में पंजाबी सिख प्रवासी डॉक्टर माता-पिता के घर हुआ. ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में वे भारत-पाकिस्तान, अफगानिस्तान और पूरे दक्षिण-मध्य एशिया जैसे संवेदनशील क्षेत्र का दायित्व संभाल रहे हैं. इससे पहले वे ट्रंप के पहले कार्यकाल में NSC में रूस और यूरोपीय ऊर्जा सुरक्षा से जुड़े अहम पद पर भी रह चुके हैं.
रिकी गिल का करियर कम उम्र से ही चर्चा में रहा है. महज 17 साल की उम्र में उन्हें तत्कालीन कैलिफोर्निया गवर्नर आर्नोल्ड श्वार्ज़नेगर ने राज्य शिक्षा बोर्ड का छात्र सदस्य नियुक्त किया था. उन्होंने प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से अंतरराष्ट्रीय मामलों में स्नातक और यूसी बर्कले से कानून की पढ़ाई की. वर्ष 2012 में उन्होंने अमेरिकी कांग्रेस का चुनाव भी लड़ा, हालांकि जीत हासिल नहीं कर सके.
गिल 2018 में उस वक्त भी सुर्खियों में आए थे, जब वे अमेरिकी दूतावास को तेल अवीव से यरुशलम स्थानांतरित करने की प्रक्रिया से जुड़े थे. एक ऐसा फैसला जिसने वैश्विक स्तर पर भारी विवाद और विरोध को जन्म दिया.
पुरस्कार से मचा राजनीतिक शोर
भारत में इस सम्मान को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं. पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने इसे हैरान करने वाला बताया और सवाल उठाया कि क्या यह विदेश मंत्रालय की ओर से ट्रंप से श्रेय छीनने की कोशिश है.
उन्होंने ट्वीट किया, “अब NSC का एक मिड-लेवल अधिकारी भारत और पाकिस्तान के सिर आपस में टकराकर सीजफायर करा सकता है. इसका कोई उद्देश्य समझ में नहीं आता, सिवाय इसके कि भारत को चिढ़ाया जाए, खासकर तब, जब भारत ट्रंप स्तर पर भी अमेरिकी भूमिका से इनकार कर चुका है.”
वहीं सेवानिवृत्त नौकरशाह और भू-राजनीतिक विश्लेषक एनएन ओझा ने ट्वीट किया, “क्या यह अमेरिका की ओर से मोदी सरकार के उस दावे को पलटने की घोषणा है कि सीजफायर में किसी तीसरे देश की भूमिका नहीं थी?”
वहीं, एक अन्य एक्स (पूर्व ट्विटर) यूज़र ने लिखा, “वॉशिंगटन अब दखलअंदाज़ी के लिए मेडल बांट रहा है… यह अमेरिकी छाती ठोकने और हमारी सुरक्षा पर स्पिन गढ़ने की कोशिश है.”
aajtak.in