चीन से लड़ने के लिए हर साल एक लाख नए फाइटर्स तैयार करेगा ये देश, सभी नागरिकों को लेनी होगी मिलिट्री ट्रेनिंग

ताइवान की राष्ट्रपति साइ इंग वेन ने कहा कि कोई युद्ध नहीं चाहता.  न ही ताइवान के लोग और न ही सरकार और न ही अंतरराष्ट्रीय समुदाय. लेकिन यह फैसला ताइवान की सुरक्षा के लिए जरूरी है. उन्होंने कहा कि हमें युद्ध को रोकने के लिए युद्ध की तैयारियां करने की जरूरत है. हमें युद्ध को रोकने के लिए युद्ध लड़ने में सक्षम होना चाहिए.

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ताइवान एयरफोर्स के जवानों के साथ राष्ट्रपति साइ इंग वेन (फाइल फोटो- पीटीआई) ताइवान एयरफोर्स के जवानों के साथ राष्ट्रपति साइ इंग वेन (फाइल फोटो- पीटीआई)

aajtak.in

  • ताइपे,
  • 28 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 12:02 PM IST

चीन की विस्तारवादी नीति किसी से छिपी नहीं है. यही वजह है कि चीन का भारत समेत 17 देशों से सीमा को लेकर विवाद है. इन देशों में एक ताइवान भी है. चीन ताइवान को अपना हिस्सा बताता है और लगातार उसपर कब्जा करने की कोशिश में है. यही वजह है कि दोनों देशों के बीच विवाद चरम पर है. यहां तक कि चीन ने रविवार को ताइवान की समुद्री सीमा पर 47 एयरक्राफ्ट भेज दिए. इसके बाद ताइवान ने चीन की हरकतों का जवाब देने के लिए अब अपनी सैन्य क्षमताओं को और बढ़ाने का फैसला किया है.

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इसी क्रम में ताइवान की राष्ट्रपति साइ इंग वेन ने मंगलवार को बड़ा ऐलान किया. इसके तहत अब ताइवान में हर नागरिक के लिए 1 साल की मिलिट्री ट्रेनिंग लेना अनिवार्य हो गया है. यह 2024 से लागू होगा अभी तक ताइवान में हर नागरिक को चार महीने की मिलिट्री ट्रेनिंग लेनी होती थी. साइ इंग वेन ने कहा कि जिस तरह के हालात पैदा हो रहे हैं, उसके हिसाब से ताइवान की रक्षा के लिए चार महीने की ट्रेनिंग पर्याप्त नहीं है. हालांकि, उन्होंने इसे कठिन और जरूरी फैसला बताया है. 
 
हर साल 1 लाख युवा लेंगे ट्रेनिंग

एक अनुमान के मुताबिक, ताइवान में हर साल 1 लाख युवा 18 साल के होते हैं. ताइवान में 18 साल के होने पर हर नागरिक को मिलिट्री ट्रेनिंग लेना अनिवार्य है. ऐसे में चीन से मुकाबला करने के लिए ताइवान में एक लाख नए फाइटर्स तैयार होंगे. ताइवान में पहले 3 साल के लिए युवाओं को अनिवार्य रुप से सेना में सेवाएं देनी होती थीं. इसके बाद 1990 के दशक में इसे घटाकर 1 साल कर दिया गया था. बाद में इसे घटाकर 4 महीने कर दिया गया था. लेकिन चीन का जवाब देने के लिए अब फिर से इसे 1 साल कर दिया गया है. 

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कोई युद्ध नहीं चाहता- ताइवान की राष्ट्रपति

ताइवान की राष्ट्रपति साइ इंग वेन ने कहा कि कोई युद्ध नहीं चाहता.  न ही ताइवान के लोग और न ही सरकार और न ही अंतरराष्ट्रीय समुदाय. लेकिन यह फैसला ताइवान की सुरक्षा के लिए जरूरी है. उन्होंने कहा कि हमें युद्ध को रोकने के लिए युद्ध की तैयारियां करने की जरूरत है. हमें युद्ध को रोकने के लिए युद्ध लड़ने में सक्षम होना चाहिए. 

ताइवान और चीन 1949 तक एक थे. कम्युनिस्टों की सरकार आने के बाद कॉमिंगतांग की पार्टी के लोग भागकर ताइवान आ गए. इसके बाद से ताइवान और चीन अलग अलग हैं. लेकिन चीन लगातार सीमा पर भड़काऊ कदम उठाता रहा है. चीन ने रविवार को ताइवान की समुद्री सीमा पर 47 एयरक्राफ्ट भेजे थे. ये हाल के दिनों की सबसे बड़ी घुसपैठ थी. 

44 हफ्ते की ग्राउंड ट्रेनिंग होगी

ताइवान के डिफेंस मिनिस्ट्री ने बताया कि ताइवान में पहले 8 हफ्तों की ट्रेनिंग दी जाएगी. इसके बाद 44 हफ्तों की ग्राउंड ट्रेनिंग दी जाएगी. ट्रेनिंग के दौरान युवाओं को ड्रोन जैसे आधुनिक हथियार चलाना सिखाया जाएगा. साथ ही युद्ध के दौरान जान बचाने संबंधी ट्रेनिंग दी जाएगी. इतना ही नहीं मिलिट्री ट्रेनिंग के दौरान मिलने वाली सैलरी को भी 195 डॉलर से बढ़ाकर 650 डॉलर करने का फैसला किया गया है. अमेरिका ने ताइवान के इस कदम का स्वागत किया है. 

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ताइवान की राष्ट्रपति साइ इंग वेन ने सैन्य स्ट्रक्चर में बदलाव का भी ऐलान किया. अब चाइवान में सेना को चार कैटेगरी में बांटा जाएगा. ये कॉम्बेट फोर्स, गैरीसन फोर्ट, सिविल डिफेंस सिस्टम और रिजरविस्ट फोर्स होंगी. मुख्य कॉम्बेट फोर्स में पेशेवर सैनिक शामिल होंगे और सीमा सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालेंगे. जबकि गैरीसन फोर्स सैन्य टुकड़ियों से बना होगा और ताइवान के भीतर प्रमुख बुनियादी ढांचे की सुरक्षा में तैनात रहेगा. 


 

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