रूस की वजह से यूरोप के कई देश अपना रक्षा बजट को तेजी से बढ़ा रहे हैं. बीते तीन साल से अधिक समय से यूक्रेन और रूस की जंग की वजह से यूरोप में सुरक्षा खतरा बढ़ता जा रहा है. इससे दुनिया का सबसे समृद्ध माना जाने वाला देश स्विट्ज़रलैंड भी अछूता नहीं है. स्विट्ज़रलैंड के सशस्त्र बलों के प्रमुख थॉमस सुसली ने बढ़ते रूसी खतरे को लेकर चिंता ज़ाहिर की है.
प्रमुख थॉमस सुसली ने कहा कि अगर स्विट्ज़रलैंड पर फुल-स्केल सैन्य हमला होता है तो वह ख़ुद को डिफ़ेंड नहीं कर सकेगा. मौजूदा हालात को देखते हुए लगता है कि हमें रक्षा बजट में इजाफा करने की ज़रूरत है.
एनजेडजेड अखबार से बातचीत करते हुए सुसली ने कहा कि स्विट्ज़रलैंड के प्रमुख इंफ्रास्ट्रक्चर और साइबर हमलों से हम निपटने के लिए तैयार हैं. हालांकि, हमारे पास बड़े पैमाने पर सैन्य हमलों को झेलने की क्षमता नहीं है.
थॉमस सुसली ने माना कि स्विट्ज़रलैंड के जवानों के पास बड़े स्तर पर उपकरणों की कमी का सामना कर रहा है. उन्होंने कहा कि किसी इमरजेंसी हालात में केवल एक तिहाई सैनिक ही पूरी तरह जरूरी उपकरणों से लैस होंगे.
स्विट्ज़रलैंड फ़िलहाल अपने रक्षा उपकरणों को एडवांस करने में जुटा है. पुराने लड़ाकू विमानों को एफ-35 से रिप्लेस करने की कोशिशि में काम कर रहा है. साथ ही साथ आर्टिलरी और ग्राउंड सिस्टम को भी एडवांस बनाने की प्रक्रिया जारी है.
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न्यूट्रैलिटी को लेकर क्या बोले स्विट्ज़रलैंड के सेना प्रमुख?
जब स्विट्ज़रलैंड के सेना प्रमुख से न्यूट्रैलिटी को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यूक्रेन युद्ध और रूस की ओर से लगातार यूरोप को स्थिर किए जाने की कोशिश के बावजूद स्विट्ज़रलैंड में सेना की सोच में बड़ा बदलाव नहीं आया. क्योंकि स्विट्ज़रलैंड की युद्ध से दूर है और हाल के सालों में हमारे पास युद्ध का एक्सपीरियंस नहीं है. यह ग़लत धारणा बनाई गई है कि अगर कोई न्यूट्रल है तो जरूरी नहीं है कि वह सुरक्षित है.
उन्होंने कि इतिहास से हम जानते हैं कि कोई अगर देश न्यूट्रल है और उसके पास हथियार हैं उन्हें युद्ध में खींच लिया जाता है. उनके मुताबिक न्यूट्रैलिटी तभी मायने रखती है, जब उसे हथियारों के जरिए सुरक्षित किया जा सके.
बता दें कि मौजूदा समय में स्विट्ज़रलैंड अपने जीडीपी का 0.7 फीसदी डिफेंस सेक्टर पर खर्च करता है. हालांकि, इसे बढ़ाकर एक फीसदी करने का लक्ष्य रखा गया है.
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