बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना का पतन 2024 के छात्र आंदोलन से शुरू हुआ और 17 नवंबर 2025 को उनके खिलाफ दिए गए फांसी के फैसले तक यह मामला 15 महीनों तक लगातार सुर्खियों में रहा. इस दौरान कई बड़े राजनीतिक, कानूनी और अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम सामने आए, जिन्होंने इस मुकदमे को इतिहास के सबसे विवादास्पद मामलों में ला खड़ा किया.
5 अगस्त 2024: छात्र आंदोलन के बाद हसीना सत्ता से बेदखल
5 अगस्त 2024 को बांग्लादेश में छात्र-नेतृत्व वाले एक बड़े जनविरोध ने अचानक उग्र रूप ले लिया. सोशल मीडिया प्रतिबंध, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और पुलिस कार्रवाई को लेकर छात्रों का आक्रोश बढ़ता गया और आखिरकार देश भर में उथल-पुथल मच गई. जब प्रदर्शन काबू से बाहर हो गए, तो सुरक्षा बल भी हालात संभालने में नाकाम रहे.
इसी दौरान भारी दबाव के चलते प्रधानमंत्री शेख हसीना को पद छोड़ना पड़ा और वह भारत में शरण लेना पड़ा. यह आधुनिक बांग्लादेश के इतिहास का सबसे बड़ा राजनैतिक बदलाव रहा. फिलहाल देश की नोबेल विजेता मोहम्मद यूनुस के हाथों में है.
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8 अगस्त 2024: अंतरिम सरकार का गठन
सिर्फ तीन दिन बाद, 8 अगस्त 2024 को अर्थशास्त्री और नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार बनाई गई. इस सरकार का उद्देश्य देश में स्थिरता लाना, कानून व्यवस्था संभालना और छात्र आंदोलन में हुई हिंसा की जांच कराना था. अंतरिम सरकार ने सत्ता संभालते ही साफ किया कि वह न्यायिक प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी बनाएगी.
14 अगस्त 2024: अंतरिम सरकार ने ICT-BD में मुकदमा चलाने का फैसला किया
14 अगस्त को अंतरिम सरकार ने घोषणा की कि छात्र आंदोलन के दौरान हुई हत्याओं और हिंसा की जांच इंटरनेशनल क्राइम्स ट्राइब्यूनल-बांग्लादेश (ICT-BD) में कराई जाएगी. इसका मतलब यह था कि मामला केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि मानवता के खिलाफ अपराध के दायरे में आएगा.
अक्टूबर 2024: ICT-BD का पुनर्गठन
अक्टूबर 2024 में सरकार ने ICT-BD को नई संरचना के साथ पुनर्गठित किया. इसका उद्देश्य था कि जांच और सुनवाई बिना किसी राजनीतिक प्रभाव के हो सके. नई टीम को तेजी से काम करने की जिम्मेदारी दी गई.
17 अक्टूबर 2024: हसीना सहित 46 लोगों के खिलाफ अरेस्ट वारंट
17 अक्टूबर को ट्राइब्यूनल ने शेख हसीना और 45 अन्य दिग्गज अवामी लीग नेताओं के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया. उन पर आंदोलन के दौरान हुई हत्याओं, दमन और मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप लगाए गए. शेख हसीना के पहले से देश से बाहर होने के कारण वारंट प्रतीकात्मक ही रहा, लेकिन यह मुकदमे का निर्णायक मोड़ था.
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नवंबर 2024: दिसंबर तक जांच पूरी करने का आदेश
नवंबर 2024 में ICT-BD की तीन-सदस्यीय पीठ ने जांच दल को दिसंबर 2024 तक जांच पूरी करने का निर्देश दिया. यह बेहद कम समय सीमा थी, लेकिन सरकार इसे तेजी से निपटाना चाहती थी.
फरवरी 2025: UN रिपोर्ट में 1,400 मौतों का दावा
फरवरी 2025 में संयुक्त राष्ट्र की फैक्ट-फाइंडिंग रिपोर्ट सामने आई, जिसमें अनुमान लगाया गया कि आंदोलन के दौरान लगभग 1,400 लोग मारे गए. इस रिपोर्ट ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हलचल मचा दी और हसीना के खिलाफ आरोप और गंभीर हो गए.
1 जून 2025: मुकदमा औपचारिक रूप से शुरू
1 जून को ICT-BD ने मुकदमे की औपचारिक सुनवाई शुरू की. अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि यह हिंसा "संगठित और व्यवस्थित रूप से नागरिकों पर हमला" था.
19 जून 2025: बचाव पक्ष के लिए एमिकस क्यूरी नियुक्त
19 जून को ICT ने पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज एवाई मोशीउज्जमान को हसीना की ओर से एमिकस क्यूरी (न्यायालय सहायक) नियुक्त किया, क्योंकि शेख हसीना देश में मौजू द नहीं थीं.
2 जुलाई 2025: कोर्ट की अवमानना में 6 माह की सजा
2 जुलाई को शेख हसीना को कोर्ट की अवमानना के मामले में अनुपस्थिति के बावजूद छह महीने की सजा सुनाई गई.
10 जुलाई 2025: पांच गंभीर आरोपों में अभियोग
10 जुलाई को ICT ने हसीना, पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमान खान कमाल और पूर्व पुलिस प्रमुख एए अल-मामून पर पांच आरोप तय किए - जिनमें सामूहिक हत्याएं और मानवता के खिलाफ अपराध शामिल थे.
3 अगस्त 2025: मुकदमे की मुख्य सुनवाई शुरू
3 अगस्त को हसीना और उनके दो सहयोगियों के खिलाफ मुख्य मुकदमे की इन-एब्सेंशिया सुनवाई शुरू हुई.
23 अक्टूबर 2025: सुनवाई समाप्त
23 अक्टूबर को ट्राइब्यूनल ने सभी गवाहियां और दलीलें सुनने के बाद केस की सुनवाई पूरी कर ली.
13 नवंबर 2025: फैसला सुनाने की तारीख तय
13 नवंबर को ICT ने घोषणा की कि फैसला 17 नवंबर को सुनाया जाएगा.
17 नवंबर 2025: आईसीटी ने शेख हसीना को फांसी की सजा सुनाई.
17 नवंबर को ICT-BD ने शेख हसीना और पूर्व गृह मंत्री कमाल को मानवता के खिलाफ अपराधों में फांसी की सजा सुनाई. जबकि पूर्व पुलिस प्रमुख अल-मामून, जो सरकारी गवाह बन गए थे, उन्हें 5 साल कैद की सजा मिली.
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