बांग्लादेश में मौत की सजा पर आया शेख हसीना का पहला बयान, ICT को बताया 'फर्जी अदालत'

बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल द्वारा सुनाई गई मौत की सजा को राजनीतिक बदले से की गई कार्रवाई बताया है. उन्होंने इसे 'फर्जी अदालत' का फैसला बताया. हसीना ने कहा कि यह मुकदमा उनकी अनुपस्थिति में चला और उन्हें अपने बचाव का कोई मौका नहीं दिया गया.

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बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल ने शेख हसीना को मानवता के खिलाफ अपराध का दोषी मानते हुए उन्हें मौत की सजा सुनाई. (File Photo: PTI) बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल ने शेख हसीना को मानवता के खिलाफ अपराध का दोषी मानते हुए उन्हें मौत की सजा सुनाई. (File Photo: PTI)

इंद्रजीत कुंडू

  • नई दिल्ली,
  • 17 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 3:59 PM IST

बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल (ICT) द्वारा सुनाई गई मौत की सजा को 'पूरी तरह पक्षपातपूर्ण, राजनीतिक रूप से प्रेरित और अवैध' करार दिया है. सजा के ऐलान के बाद किसी न्यूज चैनल को नई दिल्ली से दिए अपने पहले इंटरव्यू में 78 वर्षीय शेख हसीना ने आजतक से कहा कि यह फैसला एक 'फर्जी और तथाकथित अदालत' का है जिसे कोई जनादेश प्राप्त नहीं है.

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शेख हसीना 5 अगस्त 2024 से ही भारत में शरण लिए हुए हैं. उन पर पिछले साल के हिंसक छात्र आंदोलन के दौरान मानवता के खिलाफ अपराध करने का आरोप लगाते हुए इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल ने उन्हें दोषी ठहराया है. हसीना ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 'मैं खुद पर लगे आरोपों को सिरे से खारिज करती हूं. यह मुकदमा मेरी अनुपस्थिति में चला और मुझे न तो अपना बचाव करने का मौका दिया गया, न ही अपनी पसंद के वकील रखने की इजाजत दी गई.'

उन्होंने कहा, 'आईसीटी में इंटरनेशनल जैसा कुछ भी नहीं है. यह ट्रिब्यूनल केवल अवामी लीग के सदस्यों को ही निशाना बना रहा है, जबकि विपक्षी दलों द्वारा की गई हिंसा को पूरी तरह नजरअंदाज कर रहा है.' हसीना ने कहा, 'दुनिया का कोई भी सम्मानित और पेशेवर कानूनविद् बांग्लादेश के इस ICT को मान्यता नहीं देगा. इसका मकसद बांग्लादेश की आखिरी चुनी हुई प्रधानमंत्री को सत्ता से हटाना और अवामी लीग को राजनीतिक रूप से खत्म करना है.'

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यूनुस सरकार पर हसीना ने लगाए गंभीर आरोप

शेख हसीना ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस पर 'असंवैधानिक तरीके से सत्ता हथियाने और चरमपंथी ताकतों के समर्थन' का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि यूनुस के शासन में छात्रों, कपड़ा उद्योग में काम करने वाले मजदूरों, डॉक्टरों और शिक्षकों के शांतिपूर्ण प्रदर्शनों का दमन किया जा रहा है, कई जगह गोलीबारी हुई है और पत्रकारों को प्रताड़ित किया जा रहा है. उन्होंने दावा किया कि मोहम्मद यूनुस समर्थकों ने पूरे देश में अवामी लीग नेताओं और कार्यकर्ताओं के सैकड़ों घरों, दुकानों और संपत्तियों को नष्ट कर दिया.

अंतरराष्ट्रीय अदालत में मुकदमा लड़ने को तैयार

इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल द्वारा बताए जा रहे 1,400 से ज्यादा मृतकों के आंकड़े को शेख हसीना ने खारिज करते हुए कहा कि खुद बांग्लादेश के स्वास्थ्य मंत्रालय ने सिर्फ 614 परिवारों को 'शहीद' का दर्जा देकर सहायता राशि दी है. उन्होंने ये भी आरोप लगाए कि अभियोजन पक्ष ने गवाहों पर दबाव बनाकर उनके बयान दर्ज किए हैं. हसीना ने कहा, 'मैं किसी तटस्थ अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में अपने ऊपर लगे आरोपों के खिलाफ मुकदमा लड़ने को पूरी तरह तैयार हूं, जहां निष्पक्ष तरीके से सबूतों की जांच हो सके. यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार इसलिए इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (ICC) में मेरा केस नहीं जाने दे रही, क्योंकि उन्हें पता है कि वहां मैं बरी हो जाऊंगी.'

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