बांग्लादेश में सुप्रीम कोर्ट भी है... फिर शेख हसीना को मौत की सजा देने वाला ICT क्या है?

शेख हसीना के साथ ही पूर्व गृह मंत्री और पूर्व आईजी को भी मौत की सजा सुनाई गई है. जस्टिस गुलाम मुर्तजा की अगुवाई वाली तीन जजों की ट्रिब्यूनल ने अपना फैसला छह पार्ट में सुनाया है.

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बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को बांग्लादेश की इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल ने मौत की सजा सुनाई है. ऐसे में जानते हैं ITC क्या है? ( Photo: AP) बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को बांग्लादेश की इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल ने मौत की सजा सुनाई है. ऐसे में जानते हैं ITC क्या है? ( Photo: AP)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 17 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 9:05 AM IST

बांग्लादेश की इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मानवता के खिलाफ अपराध के आरोपों में दोषी ठहराया है. अदालत ने कहा कि शेख हसीना पर लगे तीन आरोप साबित हो गए, इसलिए उन्हें मौत की सजा दी जाती है. कोर्ट ने साफ कहा कि तीनों आरोपों के लिए एक ही फांसी की सजा मायने रखेगी. जैसे ही फैसला सुनाया गया, कोर्ट रूम में मौजूद कुछ वकीलों ने तालियां बजाईं. चलिए जानते हैं सुप्रीम कोर्ट के होते हुए ICT ने शेख हसीना का फैसला क्यों सुनाया और ITC क्या है?

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ICT (International Crimes Tribunal) क्या है?
बांग्लादेश में सुप्रीम कोर्ट तो है, फिर भी ICT (International Crimes Tribunal) अलग क्यों है और उसकी क्या ताकत है? सबसे पहले जान लें कि ICT का मतलब International Crimes Tribunal है. यह बांग्लादेश की एक विशेष अदालत (Special Court) है, जो सिर्फ 1971 के युद्ध अपराधों (War Crimes) के मामलों की सुनवाई करती है. यह अदालत सुप्रीम कोर्ट की तरह आम मामलों को नहीं सुनती. यह सिर्फ 1971 युद्ध अपराध मामलों के लिए बनाई गई थी.

किन लोगों को देती है सजा
इसका काम उन लोगों को सजा देना है, जिन पर आरोप है कि उन्होंने पाकिस्तान सेना की मदद की. इसके अलावा मानवता के विरुद्ध अपराध किए, नरसंहार, बलात्कार, हत्या, गांव जलाने के अपराध किए और  देश के खिलाफ साजिश की. यह अदालत सुप्रीम कोर्ट की तरह आम मामलों को नहीं सुनती. यह सिर्फ 1971 युद्ध अपराध मामलों के लिए बनाई गई थी.

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ICT क्यों बना, जब सुप्रीम कोर्ट पहले से है?
ITC इसलिए बनाया गया क्योंकि सुप्रीम कोर्ट सामान्य कानूनी मामलों की सुनवाई करता है. 1971 जैसे विशेष ऐतिहासिक अपराधों को उससे अलग रखना जरूरी था. ICT इसलिए बनाया गया ताकि पुराने युद्ध अपराधियों को ट्रायल किया जा सके और प्रक्रिया तेज हो. युद्ध अपराध की सुनवाई राजनीतिक प्रभाव से बची रहे.

ICT की शक्तियां क्या हैं?

  • ICT को उतनी ही शक्तियां दी गईं हैं जितनी किसी “High Court-level” ट्रिब्यूनल को मिलती हैं, जैसे—
  • गवाहों को बुलाना
  • साक्ष्य स्वीकार करना
  • दोषी साबित होने पर "सज़ा-ए-मौत" (Death penalty) देना
  • फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की अनुमति

आसान भाषा में कहें तो सुप्रीम कोर्ट देश के सारे बड़े मामलों की सामान्य अदालत है और ICT सिर्फ 1971 युद्ध अपराधों के लिए बनाई गई विशेष अदालत है. 

सुप्रीम कोर्ट क्या है? (देश की सबसे बड़ी अदालत)
हर देश में एक सुप्रीम कोर्ट होता है. यह देश की सबसे ऊंची अदालत होती है और इसका काम होता है.

देश के सभी कानूनों पर अंतिम फैसला देना

  • हाई कोर्ट के फैसलों की समीक्षा करना
  • केंद्र व राज्य की सरकारों के विवाद सुलझाना
  • आम नागरिकों के मामलों पर सुनवाई करना
  • संविधान की रक्षा करना

इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल कोर्ट क्या है? (खास मामलों के लिए बनाई गई कोर्ट)
Interational Tribunal Court या International Crimes Tribunal ऐसी अदालत होती है जो किसी एक खास अपराध, किसी एक अवधि, किसी विशेष ऐतिहासिक घटना के लिए बनाई जाती है.

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  • बांग्लादेश का ICT — 1971 के युद्ध अपराधों की सुनवाई
  • ICC (International Criminal Court) — युद्ध अपराध, नरसंहार, मानवता के ख़िलाफ़ अपराध
  • ICTY (युगोस्लाविया ट्रिब्यूनल) — नरसंहार व युद्ध अपराध
  • ICTR (रवांडा ट्रिब्यूनल) — नरसंहार मामलों की सुनवाई

क्यों बनाया जाता है ITC
मतलब यह कोर्ट तभी बनती है जब कोई बड़ा अपराध या ऐतिहासिक घटना हुई हो. मान लीजिए आपके शहर में 1971 में एक बड़ा अपराध हुआ था. 40 साल बाद सरकार तय करती है कि उन अपराधियों को सज़ा देनी है.ऐसे में सरकार सुप्रीम कोर्ट को रोजमर्रा के केस से निकालकर सिर्फ 1971 के अपराध सुनने को नहीं कहेगी. इसलिए सरकार एक स्पेशल कोर्ट बनाएगी जो सिर्फ़ उन्हीं पुराने अपराधों की सुनवाई करे.

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