'भीख का कटोरा लेकर नहीं...', पाकिस्तान की बदहाली पर प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कुबूला कड़वा सच

शहबाज शरीफ ने कहा, 'दुनिया हमसे उम्मीद करती है कि हम उनसे व्यापार, इनोवेशन, शिक्षा, स्वास्थ्य और मुनाफे वाले क्षेत्रों में निवेश के जरिए जुड़ें, न कि हम भीख मांगें. मैं और फील्ड मार्शल आसिम मुनीर, इस बोझ को अब और नहीं उठाएंगे.' उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान को अपने संसाधनों का बेहतर उपयोग करते हुए उन्हें विकास में लगाना चाहिए.

Advertisement
शहबाज शरीफ ने कुबूला कड़वा सच शहबाज शरीफ ने कुबूला कड़वा सच

aajtak.in

  • इस्लामाबाद,
  • 01 जून 2025,
  • अपडेटेड 12:18 PM IST

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा है कि दुनिया अब पाकिस्तान से यह उम्मीद नहीं करती कि वह भीख का कटोरा लेकर उनके पास जाए. उन्होंने कहा कि देश को अब मदद (aid) के बजाय व्यापार, निवेश और विकास पर ध्यान देना चाहिए.

31 मई को क्वेटा में सेना के जवानों को संबोधित करते हुए, शरीफ ने कहा कि पाकिस्तान को आर्थिक आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ाने चाहिए और देश के प्राकृतिक संसाधनों का पूरा इस्तेमाल करना चाहिए.

Advertisement

'मैं और मुनीर अब ये बोझ नहीं उठाएंगे'

उन्होंने कहा, 'दुनिया हमसे उम्मीद करती है कि हम उनसे व्यापार, इनोवेशन, शिक्षा, स्वास्थ्य और मुनाफे वाले क्षेत्रों में निवेश के जरिए जुड़ें, न कि हम भीख मांगें. मैं और फील्ड मार्शल आसिम मुनीर, इस बोझ को अब और नहीं उठाएंगे.' उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान को अपने संसाधनों का बेहतर उपयोग करते हुए उन्हें विकास में लगाना चाहिए.

शहबाज शरीफ ने लिए अपने दोस्तों के नाम
 
शरीफ ने कुछ देशों के साथ पाकिस्तान की करीबी दोस्ती की भी बात की. चीन को उन्होंने 'पाकिस्तान का सबसे आजमाया हुआ दोस्त' बताया और सऊदी अरब को 'सबसे भरोसेमंद और विश्वसनीय साथी' कहा. साथ ही उन्होंने तुर्की, कतर और यूएई का भी नाम लिया.

'आतंकवाद की वजह से संधि लागू नहीं हो पा रही'

Advertisement

दूसरी ओर ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में शुक्रवार को आयोजित ग्लेशियर्स पर संयुक्त राष्ट्र के पहले सम्मेलन के पूर्ण सत्र को संबोधित करते हुए पर्यावरण राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने कहा कि पाकिस्तान खुद आतंकवाद के जरिए इस संधि का उल्लंघन कर रहा है. उन्होंने कहा, 'हम पाकिस्तान की ओर से इस मंच का दुरुपयोग करने और ऐसे मुद्दों को उठाने की कोशिश से स्तब्ध हैं, जो इस मंच के दायरे में नहीं आते. हम ऐसी कोशिश की कड़ी निंदा करते हैं.' 

सिंह ने कहा कि यह एक अटल सत्य है कि सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद से परिस्थितियों में बुनियादी बदलाव आए हैं, जिससे संधि की शर्तों पर पुनर्विचार की आवश्यकता है. इन बदलावों में तकनीकी प्रगति, जनसंख्या में वृद्धि, जलवायु परिवर्तन और लगातार जारी सीमा पार आतंकवाद शामिल हैं. 

'भारत पर दोष मढ़ने से बचे पाकिस्तान'
 
कीर्तिवर्धन सिंह ने कहा कि इस संधि की भूमिका में यह स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि इसे सद्भावना और मित्रता की भावना में संपन्न किया गया था, और इसे ईमानदारी से लागू करना अनिवार्य है. हालांकि पाकिस्तान से होने वाला लगातार सीमा पार आतंकवाद इस संधि के प्रावधानों के अनुसार इसके उपयोग की भारत की क्षमता में हस्तक्षेप करता है. पाकिस्तान, जो खुद इस संधि का उल्लंघन कर रहा है, उसे इसके लिए भारत पर दोषारोपण करने से बचना चाहिए.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement