चीन के साथ सीमा विवाद को लेकर एस. जयशंकर का बड़ा बयान

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि चीन के साथ जारी सीमा विवाद जमीन अतिक्रमण को लेकर नहीं बल्कि फॉर्वर्ड डिप्लॉयमेंट को लेकर है. विदेश मंत्री का यह बयान ऐेसे समय में आया है जब पूर्व सांसद और कांग्रेस नेता राहुल गांधी चीन के साथ जारी सीमा विवाद को लेकर सरकार पर लगातार सवाल उठा रहे हैं.

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भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर (फाइल फोटो- रॉयटर्स) भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर (फाइल फोटो- रॉयटर्स)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 09 जून 2023,
  • अपडेटेड 1:08 PM IST

अगस्त 2020 में गलवान घाटी में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद से ही दोनों देशों के बीच जारी सीमा विवाद चरम पर है. इसी बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के साथ सीमा जारी विवाद को लेकर एक बड़ा बयान दिया है. गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने कहा कि चीन के साथ सीमा गतिरोध भारतीय क्षेत्र (जमीन) पर अतिक्रमण को लेकर नहीं बल्कि यह विवाद फॉरवर्ड डिप्लॉयमेंट को लेकर है.

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मोदी सरकार के नौ साल पूरे होने के अवसर पर जयशंकर गुरुवार को एक विशेष प्रेस ब्रीफिंग कर रहे थे. इस दौरान वह कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ओर से चीन सीमा विवाद मुद्दे को लेकर सरकार की जा रही आलोचनाओं से जुड़े पूछे गए सवालों का भी जवाब दे रहे थे. 

विवाद का कारण फॉरवर्ड डिप्लॉयमेंटः जयशंकर

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एस जयशंकर से जब यह पूछा गया कि राहुल गांधी बार-बार कहते हैं कि चीन ने भारत के बड़े भू-भाग पर कब्जा कर लिया है. क्या चीन ने गतिरोध के कारण भारत की जमीन पर कब्जा कर लिया है या राहुल गांधी निराधार बयान दे रहे हैं?

इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा, "चीन के साथ सीमा गतिरोध भारतीय क्षेत्र (जमीन) पर अतिक्रमण को लेकर था ही नहीं. मुद्दा वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर है. सैनिक आमतौर पर वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर नहीं होते हैं. एलएसी की पेट्रोलिंग होती है. हमारी फौज पेट्रोलिंग बेस से निकलकर पेट्रोलिंग कर वापस पेट्रोलिंग बेस आ जाती है.

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लेकिन 2020 के बाद यह नहीं हुआ. क्योंकि उन्होंने 1993 और 1996 समझौता का उल्लंघन कर एलएएसी के पास बहुत बड़ी मात्रा में फौज लेकर आ गए. ऐसे में पेट्रोलिंग कर वापस आने के बजाय हमें फॉरवर्ड डिप्लॉयमेंट करना पड़ा. अभी समस्या क्या है? फॉरवर्ड डिप्लॉयमेंट की ही समस्या है. हम दोनों फॉरवर्ड डिप्लॉयमेंट हैं. इसी से टेंशन पैदा होती है. यही वह मामला है जिसे दोनों देशों को सुलझाना है."

चीन 1950 से भारत की जमीन पर कब्जा कर चुका हैः जयशंकर

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जयशंकर ने पूर्व सांसद और कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी कभी पैंगोंग झील पर चीनी पुल की बात करते हैं तो कभी अरुणाचल सीमा के पास बने चीनी गांव का. उन्हें यह समझना चाहिए कि चीन ने 1965 में ही पैंगोंग झील पर कब्जा कर लिया था.

कांग्रेस अरुणाचल सीमा के पास बनी चीन के आधुनिक गांव की बात करती है, तो कांग्रेस को यह भी बताना चाहिए कि जिस क्षेत्र में चीन आज आधुनिक गांव बना रहा है, वह 1959 से उसके अधीन है. चीन 1950 से ही भारत की जमीन पर कब्जा कर चुका है. वह (राहुल गांधी) तथ्यों को बिना समझे ही बहुत कुछ बोलते हैं. उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान मुद्दा केवल पेट्रोलिंग से संबंधित है. क्योंकि गलवान की घटना के बाद दोनों देशों ने फॉरवर्ड पोस्टिंग की है. वर्तमान मुद्दा इससे पहले के मुद्दे से बिल्कुल अलग है. 

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चीन पर साधा निशाना 

चीन के साथ रिश्तों पर टिप्पणी करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत चीन के साथ संबंध सुधारना चाहता है, लेकिन यह तभी संभव हो सकता है, जब सीमा पर अमन-चैन और शांति हो.

उन्होंने जोर देते हुए कहा कि चीन को छोड़कर दुनिया की सभी प्रमुख शक्तियों के साथ भारत के संबंधों में सुधार हुआ है. सच्चाई यह है कि दोनों देशों के बीच संबंध प्रभावित हुए हैं और यह होता रहेगा... अगर कोई उम्मीद भी है कि हम अपने संबंधों को समान्य करें, लेकिन अगर बॉर्डर पर अमन-चैन नहीं होगा तब तक यह संभव नहीं है. 

उन्होंने कहा, 'बातचीत का रास्ता अभी भी खुला है, लेकिन मिनिमल स्तर पर. हम ऐसा नहीं कह रहे हैं कि बातचीत का रास्ता बंद हो गया है. मुद्दा यह है कि गलवान हिंसा से पहले भी हम चीन से बातचीत कर रहे थे. हमने उन्हें बताया था कि हम आपकी सेना की आवाजाही पर नजर बनाए हुए हैं. यह हमारे बीच हुए समझौता का उल्लंघन है. गलवान हिंसा के बाद भी हमने चीनी विदेश मंत्री से बात की थी." 

भारतीय क्षेत्र में कोई नहीं घुसा हैः पीएम मोदी

विदेश मंत्री जयशंकर का यह बयान इसलिए भी मायने रखता है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जून 2020 में कहा था कि भारतीय क्षेत्र में किसी ने भी कोई घुसपैठ नहीं की है. प्रधानमंत्री के इस बयान के बाद विपक्षी नेताओं ने सरकार पर निशाना साधा था. विपक्षी नेताओं का कहना था कि प्रधानमंत्री का यह बयान चीन को इस बात को लेकर क्लीन चिट देता है कि चीन एलएसी के पास भारतीय क्षेत्र में नहीं घुसा. 

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दरअसल, 2020 में चीनी सैनिकों को पूर्वी लद्दाख में भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ करते देखा गया था, जिसके कारण दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़पें भी हुईं. उसके बाद से ही यह कोशिश की जा रही है कि दोनों देशों के बीच सीमा सीमा गतिरोध को समाप्त किया जाए और समझौते के मुताबिक सीमा पर शांति और यथास्थिति बरकरार की जाए.

गलवान घटना के बाद से कॉर्प कमांडरों की 18 वार्ता हो चुकी है. इस वार्ता से दोनों देशों के बीच लगभग चार सीमा संघर्ष बिंदु पर सहमति बन गई है. लेकिन डेपसांग मैदान और डेमचोक क्षेत्र को सुलझाना बाकी है.

एलएएसी के पास चीन बना रहा सैन्य बुनियादी ढांचाः रिपोर्ट

सैटेलाइट इमेजरी के आधार पर लगातार ऐसी रिपोर्टें आती रही हैं कि चीन एलएएसी के पास सैन्य बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहा है. ताकि सैनिकों को तुरंत डिप्लॉय किया जा सके. 

लंदन बेस्ड थिंक टैंक Chatham House ने 2 जून को एक आर्टिकल पब्लिश की है. इस आर्टिकल में उसने दावा किया है कि चीन पूर्वी लद्दाख में बहुत तेजी से अपनी सैन्य उपस्थिति मजबूत कर रहा है. रिपोर्ट के अनुसार, थिंक टैंक ने पिछले छह महीने की सैटेलाइट इमेज का एनालिसिस किया है. एनालिसिस के लिए अक्टूबर 2022 के बाद का सेटेलाइट इमेज का इस्तेमाल किया गया है. 

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रिपोर्ट में कहा गया है कि जहां कभी चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की बहुत ही कम उपस्थिति थी. वहां अब चीनी सैनिक मजबूती से मौजूद हैं. आर्टिकल में यह भी कहा गया है कि गलवान घाटी में सड़कों से जुड़े पीएलए के कई ठिकाने हैं.

 

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