क्या ISS को 'अंतरिक्ष यानों के कब्रिस्तान' में दफ्न कर देगा NASA? जानिए कहां है यह जगह

60-70 के दशक के बाद एक बार फिर स्पेस रेस शुरू हो रही है. रूस अब अमेरिका से आगे निकलना चाहता है. वह ISS से अलग होकर अपने भविष्य के स्पेस मिशन में चीन को शामिल करना चाहता है. रूस और चीन घोषणा कर चुके हैं दोनों मिलकर चांद की सतह पर अपनी मौजूदगी दर्ज करवाएंगे.

Advertisement
Roscosmos ने रूस के ISS से अलग होने का आधिकारिक एलान किया (फाइल फोटो) Roscosmos ने रूस के ISS से अलग होने का आधिकारिक एलान किया (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 28 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 3:48 AM IST
  • अब 2024 तक अमेरिका के साथ काम करेगा रूस
  • इसके बाद खुद का स्पेस स्टेशन बनाएगा रूस

रूस ने आखिरकार अमेरिका से कह दिया,' अब हमें अंतरिक्ष में साथ नहीं रह सकते. अब हमें अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) में 24 वर्षों से चली आ रही पार्टनरशिप को तोड़कर अलग होना पड़ेगा.' रूस अब खुद का एक अलग स्पेस स्टेशन तैयार करेगा जिसकी शुरुआत वह 2024 से करेगा. रूस की स्पेस ऐजेंसी. Roscosmos ने इसका आधिकारिक एलान कर दिया है.

Advertisement

रूस के अलग होने के बाद ISS का संचालन बहुत मुश्किल हो जाएगा. ऐसे में या तो नासा को इसे अपने दम पर चलाते रहना होगा या फिर इसे नष्ट करना होगा. वैसे NASA ने इसे नष्ट करने लिए प्रशांत महासागर के point nemo नाम की जगह पहले से तय की हुई है. इसी जगह पर स्टेशन को डुबो दिया जाएगा. इस जगह को अंतरिक्ष यान का कब्रिस्तान भी कहा जाता है.

रूस ने इसलिए लिया यह फैसला

पिछले 5 महीने से चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध में अमेरिका ने यूक्रेन की लगातार मदद की है. इस दौरान अमेरिका ने रूस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए, जिसकी वजह से यह माना जा रहा था कि ISS में अमेरिका और रूस की पार्टनरशिप कभी भी टूट सकती है. 

इस युद्ध की वजह से रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच व्यक्तिगत स्तर पर भी दूरियां बढ़ गई हैं. बाइडन ने अपने एक बयान में पुतिन को कसाई तक कह दिया था. शायद इन्हीं सब वजहों से पुतिन ने यह पार्टनरशिप को तोड़ने का फैसला लिया.

Advertisement

2030 तक साझेदारी बढ़ाना चाहता था नासा

अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा यह चाहती थी कि इस पार्टनरशिप को 2030 तक बढ़ाना चाहिए लेकिन रूस अपने नए स्पेस स्टेशन की तैयारी कई वर्ष पहले ही शुरू कर चुका था वो सिर्फ इस रिश्ते को तोड़ने के लिए सही समय का इंतजार कर रहा था. 

18 देशों ने मिलकर तैयार किया है ISS

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) अंतरिक्ष में बनाई गई एक ऐसी लैब है जिसे रूस और अमेरिका समेत 18 देशों ने तैयार किया है. 1998 में इसे धरती से 400 किमी की ऊंचाई पर स्थापित किया गया था.

उस समय यह तय किया गया था कि इसे 15 साल तक चलाया जाएगा लेकिन बाद में यह समय बढ़ता चला गया. इसको बनाने में करीब 12 लाख करोड़ रुपये लागत आई थी. इसे हर साल चलाने के लिए 24 हजार करोड़ रुपये का खर्च आता है. अभी इस स्पेस स्टेशन में रूस और अमेरिका के तीन-तीन अंतरिक्ष यात्री मौजूद हैं.

रूस के पास स्टेशन की कंट्रोलिंग मा जिम्मा

स्पेस स्टेशन के ऑपरेशन और मेंटेनेंस के लिए हर देश को अलग-अलग जिम्मेदारी दी गई है. स्टेशन के कंट्रोलिंग यूनिट की जिम्मेदारी रूस के पास है.

इस यूनिट में स्टेशन को गिरने से रोकने वाली नियंत्रण तकनीक पर काम किया जाता है जबकि स्टेशन के लिए शक्ति पैदा करने का काम अमेरिका सहित 4 देशों के पास है. 
 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement