टूटे जबड़े की फोटो, नफरती कमेंट... भारतीयों के खिलाफ अमेरिका में हेट की हद हो गई!

पुणे के राजेंद्र पंचाल का जबड़ा एक दुर्घटना में विकृत हो गया था. अब उनकी सर्जरी हो गई लेकिन अमेरिका में उनकी पुरानी तस्वीरों का इस्तेमाल कर भारतीयों के खिलाफ नस्लवादी टिप्पणी की जा रही है.

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राजेंद्र पंचाल की सर्जरी से पहले की तस्वीर शेयर की जा रही है (Photo: X via Mohammed Zubair) राजेंद्र पंचाल की सर्जरी से पहले की तस्वीर शेयर की जा रही है (Photo: X via Mohammed Zubair)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 27 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 2:09 PM IST

पश्चिमी देशों में रंगभेद (रेसिज्म) झेलना उतना ही सामान्य है, जितना कि हाई स्कूल की अंग्रेजी की क्लास में शेक्सपियर को पढ़ना. लेकिन जब आपको लगा कि नस्लवाद इससे अधिक नीचे नहीं जा सकता, तभी उसका स्तर और नीचे गिर गया- और इस बार, बात सिर्फ नस्लवाद की नहीं है, बल्कि विकलांगता का मजाक उड़ाने की भी है.

सोशल मीडिया साइट एक्स पर नस्लभेदी पोस्ट की बाढ़ सी आ गई है जिसमें पुणे के 40 वर्षीय हेल्पर राजेंद्र पंचाल की पुरानी तस्वीरों का इस्तेमाल भारतीयों का मजाक उड़ाने के लिए किया जा रहा है.

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अमेरिका स्थित कई अकाउंट्स से पंचाल की सर्जरी से पहले वाली तस्वीरें शेयर कर भारतीयों के खिलाफ नफरती कमेंट्स की जा रही हैं. राजेंद्र पंचाल के साथ एक दुर्घटना की वजह से उनका जबड़ा विकृत हो गया था लेकिन कुछ समय पहले ही उनके जीवन की यह त्रासदी खत्म हो गई. लेकिन नस्लवादियों ने उन्हें नहीं बख्शा और अपने एजेंडे को फैलाने के लिए उनकी तस्वीरों का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं.

क्या हुआ था राजेंद्र पंचाल के साथ?

राजेंद्र पंचाल जब सिर्फ एक साल के थे, तभी खेलते वक्त मुंह के बल गिरे और उनका जबड़ा टूट गया. चोट के कारण पंचाल के साथ TMJ ankylosis नामक दुर्लभ स्थिति पैदा हो गई, जिसमें जबड़ा खोपड़ी से जुड़ जाता है और मुंह खोलना लगभग असंभव हो जाता है.

राजेंद्र पंचाल का परिवार उनकी सर्जरी का खर्च नहीं उठा सका जिसकी वजह से उनकी सर्जरी नहीं हो पाई. 38 सालों तक पंचाल दूध, पानी और पतली खिचड़ी जैसी लिक्विड चीजों पर जीवित रहे, लगातार कुपोषण का शिकार रहे और ठोस भोजन चबा नहीं सके.

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जबड़ा टूटने की वजह से उनकी बोलने की क्षमता पर भी असर हुआ. 2017 में जाकर उनकी सर्जरी हो सकी.

'खराब शक्ल वाले नौकरी-चोर': MAGA समूह की नई शर्मनाक हरकत

अमेरिका के कई X यूजर्स ने पंचाल की पुरानी तस्वीरें शेयर करके भारतीयों को 'खराब शक्ल वाले नौकरी चोर' कहा है. ये आरोप और हेट कमेंट्स ट्रंप समर्थक MAGA समूह(Make America Great Again) की विचारधारा से मेल खाता है. यह सब ऐसे समय में हो रहा है जब भारत और भारतीयों के प्रति ट्रंप प्रशासन का रवैया बेहद कठोर है. H-1B वीजा पर सख्ती और सबसे ज्यादा टैरिफ लगाना इसका उदाहरण है.

राष्ट्रपति ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में विदेशियों और विशेष रूप से विकलांगों के प्रति घृणा और बढ़ चुकी है.

यह मामला तब सामने आया जब मंगलवार को एक फैक्ट-चेकर ने X पर थ्रेड पोस्ट कर पंचाल की असली कहानी साझा की. इस पोस्ट को बुधवार शाम तक 36,000 से अधिक लाइक और 4.5 मिलियन व्यूज मिले.

'भारतीय अमेरिका पर कब्जा कर रहे हैं'

अमेरिकी यूजर्स पंचाल की विकृत चेहरे वाली तस्वीर शेयर कर भारतीयों का मजाक उड़ा रहे हैं और कह रहे हैं कि ऐसे भारतीय अमेरिकी नौकरियों पर अपना कब्जा कर रहे हैं. एक पोस्ट जिसे 11 मिलियन से ज्यादा बार देखा गया, में पंचाल की तस्वीर US टेक हब्स के नक्शे के साथ दिखाई गई है. इस पोस्ट में संकेत दिया गया कि H-1B वीजा वाले भारतीय 'अमेरिका पर कब्जा कर रहे हैं'.

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एक और वेरिफाइड अकाउंट ने लिखा, 'यह है H-1B भीड़ का चेहरा जो असली अमेरिकियों को बदल रही है.'

ऐसी पोस्टों में 'Pajeet' जैसे अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल होता है. इसकी शुरुआत 2015 में 4chan पर भारतीय पुरुषों को नीचा दिखाने के लिए की गई थी.

ट्रंप के शपथ ग्रहण के बाद एंटी-इंडियन पोस्टों में जबरदस्त बढ़ोतरी

सितंबर 2025 की Center for the Study of Organized Hate (CSOH) की रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी में ट्रंप के शपथ लेने के बाद से X पर भारतीयों के खिलाफ पोस्टों में भारी इजाफा हुआ है.

जुलाई से सितंबर के बीच 680 ऐसी पोस्टों पर 281 मिलियन व्यूज मिले हैं.

CSOH के विश्लेषण में पाया गया कि 70% पोस्ट भारतीयों को 'हक मारने वाले' या 'नौकरी चोर' बताती हैं.

पंचाल आज ठीक हैं, इसका श्रेय डॉ. समीर गार्डे, मैक्सिलोफेशियल सर्जन (ओएसिस क्लीनिक, पुणे) को जाता है, जिन्होंने 2017 में उन्हें मुफ्त इलाज दिया. लगभग 38 वर्षों बाद उन्होंने पहली बार ठोस भोजन खाया.

लेकिन उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उनकी निजी त्रासदी को MAGA समर्थक और नस्लवादी लोग पूरे देश के खिलाफ गाली के रूप में इस्तेमाल करेंगे- एक ऐसे देश के खिलाफ जिसके नागरिकों ने अमेरिका के निर्माण में श्वेत नागरिकों जितना ही योगदान दिया है.

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