डोनाल्ड ट्रंप जब से अमेरिका के राष्ट्रपति बने हैं. दुनियाभर में भारी उथल-पुथल मची हुई है. ऐसे में ट्रंप के टैरिफ पर हंगामे के बीच प्रधानंमत्री नरेंद्र मोदी सात साल बाद चीन की यात्रा पर जा रहे हैं. इसे लेकर अब व्हाइट हाउस ने प्रतिक्रिया दी है.
व्हाइट हाउस में विदेश विभाग के प्रिसिंपल उपप्रवक्ता टॉमी पिगॉट से जब पूछा गया कि पीएम मोदी सात साल में पहली बार चीन जा रहे हैं. चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने ब्राजील और चीन जैसे देशों पर अमेरिकी टैरिफ की आलोचना की है. क्या आप चिंतित हैं कि टैरिफ के खिलाफ BRICS एकजुट हो रहा है? इस पर पिगॉट ने कहा कि भारत से व्यापार असंतुलने को लेकर राष्ट्रपति ट्रंप बहुत स्पष्ट हैं, विशेष रूप से रूस से तेल खरीदने के संदर्भ में. आपने देखा भी होगा कि राष्ट्रपति ने इस पर सीधेतौर पर एक्शन भी लिया है.
उन्होंने कहा कि भारत हमारा स्ट्रैटेजिक पार्टनर है, जिनके साथ हमारे अच्छे और दोस्ताना संबंध हैं, जो जारी रहेंगे. जैसे की विदेश नीति में भी होता है, आपर हमेशा अपने साझेदार देश के साथ 100 फीसदी सहमत नहीं हो सकते लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप भारत के साथ व्यापार असंतुलन को लेकर स्पष्ट है.
इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत के रूस से सस्ता तेल खरीदने पर आपत्ति जताई थी. ट्रंप ने रूस का तेल खरीदने की वजह से भारत पर अतिरिक्त 25 फीसदी टैरिफ लगाया था.
प्रधानमंत्री मोदी की ये यात्रा ऐसे समय में हो रही है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिक्स देशों पर रूस से तेल खरीदने के लिए निशाना साधा है और अमेरिकी राष्ट्रपति का दावा है कि ब्रिक्स देश डॉलर के प्रभुत्व को चुनौती दे रहे हैं.
पीएम मोदी आखिरी बार 2018 में गए थे चीन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस महीने के अंत में जापान और चीन की यात्रा पर जाएंगे. वह 31 अगस्त से 1 सितंबर के बीच चीन के तियानजिन शहर में आयोजित होने वाली SCO समिट में हिस्सा लेंगे. रूस भी SCO का सदस्य है, वह समिट में अपने प्रतिनिधिमंडल को भेज रहा है, लेकिन राष्ट्रपति पुतिन की उपस्थिति अब तक तय नहीं है. SCO में 9 सदस्य देश हैं, इसमें भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, ईरान, कजाखिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान शामिल है.
पीएम मोदी की 2018 के बाद ये पहली चीन यात्रा होगी. साथ ही 2020 के गलवान घाटी संघर्ष के बाद वह पहली बार चीन की जमीन पर कदम रखेंगे.
इससे पहले जून के महीने में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह चीन के किंगदाओ में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के रक्षामंत्रियों की बैठक में शामिल हुए थे, जहां उन्होंने एक ऐसे दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था, जिससे भारत की आतंकवाद के प्रति सख्त नीति को लेकर स्थिति कमजोर पड़ सकती थी.
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