पाकिस्तान का सिंध प्रांत विरोध की आग में जल रहा है और यह आग लगाई है शहबाज शरीफ सरकार ने ताकि उनकी सरकार और उनके करीबी दोस्त चीन को फायदा हो सके. शहबाज शरीफ ने बिना अपने नागरिकों की परवाह किए खुद की जेब भरने और चीनी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए सिंधु और सतलज नदियों पर छह नहर बनाने की प्लानिंग कर दी है. सिंध प्रांत में इसका भारी विरोध हो रहा है और मंगलवार को प्रदर्शनकारियों ने सिंध के गृह मंत्री जियाउल हसन लंजर के नौशहरो फिरोज जिले में स्थित आवास पर धावा बोल दिया और आग लगा दी.
प्रदर्शनकारियों ने नेशनल हाईवे के पास मोरो शहर में स्थित मंत्री के आवास को निशाना बनाया और पास में खड़े दो ट्रेलरों को भी आग के हवाले कर दिया. इस दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों की झड़प में दो प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई और एक डीएसपी और छह अन्य पुलिसकर्मियों सहित एक दर्जन से अधिक लोग घायल हो गए.
सिंध के लोग पहले से ही पानी की किल्लत झेल रहे हैं और शहबाज शरीफ सरकार ने अगर सिंधु और सतलज पर छह नहरों का निर्माण किया तो वो बूंद-बूंद को तरस जाएंगे.
क्या है छह नहर प्रोजेक्ट जिस पर मचा है विवाद?
छह नहर प्रोजेक्ट 3.3 अरब डॉलर का प्रस्तावित प्रोजेक्ट है जिसे 'ग्रीन पाकिस्तान इनिशिएटिव' के तहत 2023 में लॉन्च किया गया था. इस प्रोजेक्ट को शहबाज शरीफ ने पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर के समर्थन से लॉन्च किया था.
प्रोजेक्ट के तहत पाकिस्तान के रेगिस्तानी इलाकों को हरा-भरा बनाने की योजना है. पाकिस्तान इस योजना के तहत सिंधु और सतलज के पानी को पंजाब के चोलिस्तान रेगिस्तान में ले जाना चाहता है. इस प्रोजेक्ट की लंबाई करीब 175 किमी होगी जिसमें छह नहरें शामिल होंगी.
नहरों की कुल क्षमता 4,120 क्यूसेक होगी और कहा जा रहा था कि यह प्रोजेक्ट 2030 में पूरा हो जाएगा. नहरों के निर्माण के लिए अधिकारियों ने पंजाब में 12 लाख एकड़ जमीन अधिग्रहित की है जिसमें से 90% से अधिक जमीन चोलिस्तान में है. चोलिस्तान भारत के राजस्थान की सीमा से सटा हुआ रेगिस्तान है.
प्रोजेक्ट के पहले चरण में 400,000 एकड़ से ज्यादा रेगिस्तानी जमीन को उर्वर बना उस पर खेती की योजना है. दूसरे चरण के पूरा होने पर प्रोजेक्ट के तहत 750,000 भूमि की सिंचाई की योजना है. इस पूरे प्रोजेक्ट के तहत पाकिस्तान की सरकार चीन और खाड़ी देशों के निजी निवेशकों को खेती के लिए जमीन यानी कॉर्पोरेट फार्मिंग के लिए जमीन दे रही है. चोलिस्तान रेगिस्तान में 170,000 एकड़ से ज्यादा जमीन पहले से ही निजी निवेशक ले चुके हैं.
सिंध के लोगों का कहना है कि उनके हक का पानी विदेशी कंपनियों की तरफ से की जा रही कॉर्पोरेट फार्मिंग के लिए इस्तेमाल होगा जिससे उनके यहां पानी की किल्लत हो जाएगी. सिंध के लोग पीने के पानी और सिंचाई के लिए पूरी तरह से सिंधु के पानी पर निर्भर हैं.
सिंध में यह बात दशकों से चली आ रही है कि केंद्र सरकार केवल और केवल एक ही प्रांत पंजाब के विकास पर फोकस करती है. सिंध के लोगों का कहना है कि सरकार अब उनके पीने और सिंचाई करने का पानी छिनकर पंजाब के रेगिस्तान को उर्वर बनाने चली है. लोग कह रहे हैं कि सरकार ने पाकिस्तान को 'पंजाबिस्तान' बना दिया है जहां सभी संसाधनों पर केवल उसी का हक होता है.
सरकार से नाराज लोग हिंसक विरोध प्रदर्शनों पर उतर आए हैं जिसे देखते हुए पाकिस्तान की सरकार ने फिलहाल प्रोजेक्ट पर कुछ समय के लिए रोक लगा दिया है.
बिलावल और शरीफ आमने-सामने
सिंध प्रांत में पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री और शहबाज शरीफ की गठबंधन सरकार में सहयोगी बिलावल भुट्टो की पार्टी पीपीपी (पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी) की सरकार है. केंद्र सरकार के इस फैसले से बिलावल भुट्टो बेहद नाराज हैं और कुछ समय पहले तो उन्होंने सरकार को धमकी भी दी थी.
अप्रैल 2025 में, बिलावल ने एक सख्त अल्टीमेटम जारी किया था जिसमें धमकी दी गई कि अगर प्रोजेक्ट को नहीं छोड़ा गया तो वह सत्तारूढ़ गठबंधन से पीपीपी का समर्थन वापस ले लेंगे. बिलावल ने कहा था कि उनकी पार्टी राजनीतिक गठबंधन से ज्यादा अपने लोगों को प्राथमिकता देती है.
उन्होंने सिंध की चिंताओं को नजरअंदाज करने के लिए शहबाज शरीफ सरकार की आलोचना की थी और कहा था कि सरकार की नीतियां किसानों को नुकसान पहुंचा रही है.
पाकिस्तान के सेना प्रमुख आसिम मुनीर भी निशाने पर
इस पूरे विवाद की जड़ में अगर कोई है तो वो है पाकिस्तान का सेना प्रमुख आसिम मुनीर. छह नहर प्रोजेक्ट पाकिस्तान की स्पेशल इन्वेस्टमेंट कमिटी का है जिसके सदस्यों में आसिम मुनीर भी शामिल हैं. आसिम मुनीर ने ही अप्रैल 2022 में इमरान खान सरकार को सत्ता से बेदखल कर शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली मिली-जुली सरकार बनवाई थी. मुनीर की इजाजत के बिना शहबाज शरीफ इस प्रोजेक्ट से पीछे नहीं हट सकते.
इधर, सिंध के साथ-साथ पंजाब में भी विरोध के स्वर बुलंद होने लगे हैं. दक्षिण पंजाब के किसानों का कहना है कि इस प्रोजेक्ट के जरिए सरकार उनका पानी छीन रही है और उनकी जमीनों को बंजर कर रही है.
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