एक तरफ बलूचिस्तान, सिंध तो दूसरी तरफ खैबर पख्तूनख्वा...पाकिस्तान के लगभग सभी प्रांतों में इस वक्त सरकार के खिलाफ विरोध की आग जल रही है. पड़ोसी पाकिस्तान लंबे समय से घरेलू अशांति से जूझ रहा है और अफगान तालिबान ने भी उसकी नाक में दम कर रखा है.
सोमवार को पाकिस्तान का 'रेड जोन', जो कि राजधानी इस्लामाबाद में देश की सर्वोच्च कार्यकारी, न्यायिक और विधायी इमारतों और महत्वपूर्ण दूतावासों का केंद्र है, को निशाना बनाया गया. लेकिन, इससे भी गहरा संकट देश के पश्चिमी सीमांत क्षेत्र, विशेषकर खैबर दर्रे के आसपास के इलाकों में पनप रहा है, जो अब पाकिस्तान की घरेलू सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बन गया है.
खैबर दर्रा ऐतिहासिक रूप से व्यापार और आक्रमणों का कॉरिडोर रहा है जो पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सीमा पर स्थित है. यह दर्रा हाल के सालों में असुरक्षा और अस्थिरता का पर्याय बन गया है.
पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में आतंकी हमलों में तेजी आई है. इन हमलों के लिए मुख्य रूप से तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) जिम्मेदार हैं.
पाकिस्तान का आरोप है कि अफगानिस्तान का तालिबान शासन टीटीपी को पाकिस्तान के खिलाफ अपनी जमीन का इस्तेमाल करने दे रहा है. उसका आरोप है कि टीटीपी अफगानिस्तान की जमीन पर खुद को मजबूत कर पाकिस्तान के लोगों और सुरक्षाबलों पर हमले कर रहा है. हालांकि, अफगान तालिबान इन आरोपों से इनकार करता रहा है.
कभी एक-दूसरे को 'बिरादर' (भाई) कहने वाले पाकिस्तान और अफगानिस्तान आरोपों-प्रत्यारोपों के बीच सीमा पर लड़ भी रहे हैं.
पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर TTP आतंकवादियों को शरण देने का आरोप लगाया है. इसी हफ्ते दोनों देशों के बीच घातक झड़पें हुई हैं. पाकिस्तान ने 15 अक्टूबर की सुबह अफगानिस्तान पर बड़े हमले किए थे. पाकिस्तानी एयरस्ट्राइक में कंधार प्रांत स्थित स्पिन-बोल्डक में 40 लोगों की मौत हो चुकी है और 170 लोग घायल हैं.
हालांकि, लड़ाई में पाकिस्तान को अधिक चोट पहुंची है और अफगान तालिबान ने उसे धूल चटा दिया है. अफगान तालिबान के आगे पाकिस्तानी सैनिकों ने घुटने टेक दिए और मैदान छोड़कर भाग गए. कई वीडियो सामने आए हैं जिसमें तालिबान लड़ाके पाकिस्तानी सैनिकों की वर्दी को बंदूक की नोक में लगाकर हवा में लहराते दिख रहे हैं.
पाकिस्तान-अफगानिस्तान के बीच अस्थायी संघर्षविराम हो गया है हालांकि, माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है.
पाकिस्तान मीडिया ने दावा किया कि इससे पहले 9 अक्टूबर को काबुल (अफगानिस्तान की राजधानी) के अंदर एक एयरस्ट्राइक में टीटीपी प्रमुख मौलाना नूर वली महसूद की हत्या कर दी गई है. लेकिन अब नूर वली महसूद ने खुद सामने आकर कहा है कि वो अफगानिस्तान से नहीं बल्कि अपनी जमीन से पाकिस्तानी सरकार और सेना के खिलाफ ऑपरेशन चला रहा है.
नूर अली महसूद ने एक वीडियो जारी कर कहा कि वो पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा की जमीन पर मौजूद है और सही सलामत है. महसूद का जिंदा होना और खैबर में होना पाकिस्तान के लिए गंभीर चिंता का विषय है. इसका अर्थ यह है कि खैबर और उसके आसपास के इलाकों में पाकिस्तानी सरकार और सेना को निशाना बनाकर और हमले किए जा सकते हैं.
खैबर पख्तूनख्वा में इतनी अस्थिरता पाकिस्तान के लिए हर लिहाज से चिंताजनक है. पाकिस्तान विश्व बैंक की मदद से खैबर दर्रे को क्षेत्रीय व्यापार के लिए एक पुल बनाने की कोशिश कर रहा है. इसके लिए उसने खैबर पास इकोनॉमिक कॉरिडोर (KPEC) जैसे प्रोजेक्ट्स शुरू किए हैं, लेकिन टीटीपी के हमलों और अफगानिस्तान बॉर्डर पर हो रही झड़पें इन प्रोजेक्ट्स के लिए बड़ा खतरा हैं.
जब भी खैबर पख्तूनख्वा या बलूचिस्तान में सुरक्षा स्थिति बिगड़ती है, तो इसका असर राजधानी इस्लामाबाद और उसके 'रेड जोन' तक महसूस होता है. 'रेड जोन' में विरोध प्रदर्शन और आतंकवादी खतरे की आशंका बनी हुई है.
विभिन्न राजनीतिक या धार्मिक समूहों, जैसे कि तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) की तरफ किए जाने वाले विरोध प्रदर्शन अक्सर रेड जोन को निशाना बनाते हैं. इन प्रदर्शनों के दौरान, कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशासन को पूरे क्षेत्र को बैरिकेड्स लगाकर सील करना पड़ता है.
इसी हफ्ते की शुरुआत में पाकिस्तान की कट्टरपंथी धार्मिक-राजनीतिक पार्टी TLP ने लाहौर से रेड जोन में स्थित अमेरिकी दूतावास तक मार्च रैली की शुरुआत की.
पंजाब और इस्लामाबाद की पुलिस ने बलप्रयोग के जरिए इजरायल के खिलाफ रैली कर रहे प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने की कोशिश की. पुलिस और प्रदर्शनकारियों की झड़प में एक ऑफिसर मारा गया और 48 पुलिसकर्मी घायल हो गए. पुलिस ने बताया कि इस दौरान एक राहगीर और टीएलपी से जुड़े तीन प्रदर्शनकारी मारे गए.
इजरायल के खिलाफ प्रदर्शनों को देखते हुए अमेरिकी डिप्लोमैटिक मिशनों को पाकिस्तान में निशाना बनाया जा रहा है जिसे देखते हुए अमेरिका ने अपने डिप्लोमैटिक स्टाफ से सतर्कता बरतने की सलाह दी है.
पाकिस्तान की राजधानी को सील कर दिया गया है, आने-जाने वाले रास्तों पर कंटेनर लगा दिए गए हैं और रेड जोन के चारों तरफ दंगा रोधी बल की तैनाती कर दी गई हैं. इस्लामाबाद में ट्रैफिक पर भी काफी पाबंदियां लगाई गई हैं.
रेड जोन के आसपास आतंकवादी हमले का खतरा भी लगातार बना रहता है. पाकिस्तान की पश्चिमी सीमा पर बढ़ती हिंसा का खतरा राजधानी तक भी फैलने की आशंका बनी रहती है. अफगानिस्तान के साथ सीमा पर चल रही लड़ाई में पाकिस्तान का फोकस बंटा है जिसका सीधा असर इस्लामाबाद की सुरक्षा रणनीति पर पड़ता है.
ऐसे वक्त में जब खैबर दर्रे के आसपास के इलाके सीधे तौर पर पाकिस्तान की संप्रभुता और घरेलू सुरक्षा को चुनौती दे रहे हैं, रेड जोन पर खतरा मंडराने लगा है. जब तक पाकिस्तान खैबर जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों में टीटीपी के हमलों और आतंकवादी घुसपैठ को कंट्रोल नहीं करता, यह खतरा कम नहीं होगा.
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