शहबाज की शर्त मानेगा तालिबान? पाकिस्तान-अफगानिस्तान तीसरी बार बातचीत की टेबल पर

पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच पहले दौर की वार्ता कतर के दोहा में 18 और 19 अक्टूबर को हुई थी. इसके बाद 25 अक्टूबर को तुर्की के इस्तांबुल में दूसरे दौर की वार्ता हुई थी, जो कई दिनों तक चली थी लेकिन ये वार्ता असफल रही थी. 

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अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच तीसरे दौर की वार्ता हो रही है. (फाइल फोटो) अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच तीसरे दौर की वार्ता हो रही है. (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 06 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 5:32 PM IST

पाकिस्तान और अफगानिस्तान एक बार फिर बातचीत की मेज पर लौट आए हैं. तुर्की के इस्तांबुल में आज पाकिस्तान और अफगानिस्तान के प्रतिनिधियों के बीच तीसरे दौर की बातचीत शुरू हो गई है.

तुर्की और कतर के संयुक्त प्रयासों के तहत तीसरे दौर की वार्ता चल रही है. इस मौके पर दोनों देशों के प्रतिनिधि पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच के तनाव को कम करने की कोशिश कर रहे हैं.

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यह वार्ता दो दिनों तक चल सकती है. तीसरे दौर की इस वार्ता के लिए लेफ्टिनेंट जनरल आसिम मलिक पाकिस्तान के डेलिगेशन की अगुवाई करेंगे, जिसमें आईएसआई के महानिदेशक और अन्य वरिष्ठ सैन्य अधिकारी इस्ताबुंल में हैं. वहीं, अफगानिस्तान की ओर से जीडीआई अब्दुल हक वासेक, उपगृहमंत्री रहमतुल्लाह नजीब, तालिबान के प्रवक्ता सुहेल शाहीन, अनस हक्कानी सहित कई अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं.

पाकिस्तानी सेना का कहना है कि हम अभी भी हमारे रुख पर कायम हैं. हमारी मांग है कि अफगानिस्तान की जमीं का इस्तेमाल पाकिस्तान के खिलाफ आतंकवाद के खिलाफ नहीं होना चाहिए.

अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच शांति वार्ता की शुरुआत अक्टूबर 2025 की शुरुआत में उस समय हुई थी, जब पाकिस्तान ने अफगानिस्तान स्थित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के कैंपों पर हवाई हमले किए थे, जिसमें दर्जनों लोग मारे गए थे. इसके जवाब में 19 अक्टूबर को कतर के दोहा में पहली दौर की वार्ता हुई, जहां दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों ने तत्काल सीजफायर पर सहमति जताई और तनाव कम करने का वादा किया. लेकिन 25 से 28 अक्टूबर तक तुर्की के इस्तांबुल में दूसरी दौर की चार दिनों की वार्ता पूरी तरह विफल रही, क्योंकि कोई ठोस समझौता नहीं हो सका.

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यह वार्ता फेल होने का मुख्य कारण दोनों पक्षों के बीच गहरा अविश्वास और असहमति रहा. पाकिस्तान ने अफगान तालिबान सरकार से टीटीपी जैसे आतंकी संगठनों पर कड़ा एक्शन लेने, उनके कैंपों को खत्म करने और लिखित गारंटी देने की मांग की, साथ ही अपर्याप्त सबूत भी पेश किए. लेकिन अफगानिस्तान ने इन मांगों को असंभव बताते हुए कहा कि उनके पास टीटीपी पर पूरा नियंत्रण नहीं है और पाकिस्तान तीसरे देशों से ड्रोन हमलों की शिकायत कर रहा है. इसके बजाय अफगान पक्ष ने जिम्मेदारी टालते हुए पाकिस्तान पर ही दोष मढ़ा, जिससे बातचीत पटरी से उतर गई. 

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