पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच हफ्तों चली झड़पों के बाद शुरू हुई शांति वार्ताएं कागज पर बड़ी सफलता नहीं दिखा सकी. लेकिन बंद कमरों में हुई बैठकों से दो बड़े खुलासे हुए हैं, जिन्होंने चिंता बढ़ा दी है. पहला, यह सामने आया कि अमेरिका, पाकिस्तान की हवाई सीमा का इस्तेमाल करते हुए अफगानिस्तान में ड्रोन हमले कर रहा था और इस्लामाबाद इसे रोकने में असहाय है. दूसरा, तालिबान अधिकारियों के मुताबिक, पाकिस्तान की सेना, जिसका नेतृत्व फील्ड मार्शल आसिम मुनीर कर रहे हैं, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार को किनारे कर काबुल के साथ तनाव बढ़ा रही है.
पाकिस्तान-अफगानिस्तान के बीच हालात कई वर्षों में सबसे ज्यादा तनावपूर्ण हैं. इसी महीने पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के कई हिस्सों पर हवाई हमले और बमबारी की, जिसमें काबुल के बाहरी इलाके और पक्तिका प्रांत में कई जगहें निशाना बनीं. इसमें दर्जनों नागरिक, जिनमें महिलाएं और बच्चे शामिल हैं, मारे गए. सितंबर-अक्टूबर की लड़ाई में अब तक 250 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. सीमा पर गोलाबारी कई दिनों तक चली, जिसके बाद दोनों देशों ने पहले कतर और फिर तुर्की में बातचीत की. लेकिन फिलहाल वार्ताओं से सिर्फ तनाव में थोड़ी कमी आई है और यह साफ हुआ है कि पाकिस्तान की सेना, हमेशा की तरह, शहबाज सरकार को किनारे कर अपने हिसाब से अफगान नीति चला रही है.
ट्रंप-शहबाज की मीटिंग में क्या कर रहे थे मुनीर?
इस बीच यह भी सामने आया कि अमेरिका को पाकिस्तान की हवाई सीमा का इस्तेमाल कर अफगानिस्तान में ड्रोन ऑपरेशन चलाने की अनुमति मिली हुई है. खास बात यह है कि पाक सेना प्रमुख आसिम मुनीर, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के साथ वॉशिंगटन में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बैठकों में मौजूद रहे- इससे सवाल उठे कि एक सैन्य प्रमुख को नागरिक नेता के साथ क्यों बुलाया गया. अमेरिका ने हाल ही में अफगानिस्तान के रणनीतिक बगराम एयरबेस पर कंट्रोल की इच्छा भी जताई है.
तालिबान का दावा क्या है?
तालिबान सरकार के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने दावा किया कि अमेरिकी ड्रोन पाकिस्तान के रास्ते अफगानिस्तान में घुस रहे हैं और पाकिस्तान ने इसे 'किसी विदेशी समझौते' की वजह से रोकने में असमर्थता जताई. मुजाहिद ने यह भी कहा कि पाकिस्तान की सेना का एक धड़ा, वैश्विक ताकतों के समर्थन से, काबुल-इस्लामाबाद तनाव बढ़ाए रख रहा है, जबकि पाकिस्तान की नागरिक सरकार रिश्ते बेहतर करना चाहती है.
'काबुल से रिश्ते खराब करना चाहती है पाक सेना'
मुजाहिद ने बताया कि पाकिस्तान के विशेष दूत सादिक खान काबुल में सकारात्मक बातचीत कर रहे थे, लेकिन उसी दौरान पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर हमले कर दिए. उनके मुताबिक, 'नागरिक सरकार रिश्तों को बेहतर करना चाहती है, लेकिन सेना इन्हें खराब करती है.' उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के समय में अफगानिस्तान से रिश्ते काफी बेहतर थे.
ड्रोन विवाद बना बड़ा मुद्दा
ड्रोन विवाद भी अब बड़ा मुद्दा बन रहा है. तालिबान का कहना है कि अमेरिकी ड्रोन बिना अनुमति अफगान जमीन पर उड़ रहे हैं और पाकिस्तान कहता है कि वह उन्हें नहीं रोक सकता. पाकिस्तान दावा करता है कि तालिबान टीटीपी आतंकियों को पनाह दे रहा है, जबकि अफगानिस्तान कहता है कि पाकिस्तान लाखों अफगानों को निकाल रहा है और उसकी जमीन पर लगातार हमले कर रहा है.
इस पूरे तनाव के पीछे पाकिस्तान की सिविल-मिलिट्री खाई फिर से खुलकर सामने आई है. मुजाहिद के अनुसार, असली नियंत्रण सेना के पास है और शहबाज शरीफ की सरकार सिर्फ औपचारिक है. यह पैटर्न पाकिस्तान की राजनीति में नया नहीं है और एक बार फिर अफगानिस्तान इसका केंद्र बन गया है.
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