नेपाल की पहली महिला PM बनीं सुशीला कार्की, मानीं Gen-Z प्रदर्शनकारियों की पांच शर्तें

नेपाल में सोशल मीडिया बैन विरोधी युवा नेतृत्व वाले आंदोलन के बाद सुशीला कार्की को अंतरिम सरकार का प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया. वह नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री बनी हैं. आंदोलनकारियों ने कुछ प्रस्ताव रखे थे, जिनमें से पांच प्रमुख मांगों को उन्होंने स्वीकार कर लिया है.

Advertisement
नेपाल की पहली महिला पीएम बनीं सुशीला कार्की (File Photo: Reuters) नेपाल की पहली महिला पीएम बनीं सुशीला कार्की (File Photo: Reuters)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 12 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 12:11 AM IST

Sushila Karki becomes Nepal interim PM: सोशल मीडिया बैन के ख़िलाफ़ 8 सितंबर को नेपाल में युवाओं के आंदोलन ने देश का नेतृत्व महज़ चार दिनों में ही बदल दिया. युवाओं के इस आंदोलन को दुनिया ने 'Gen Z आंदोलन' का नाम दिया. शुक्रवार रात क़रीब 9:30 बजे सुशीला कार्की को अंतरिम सरकार का प्रधानमंत्री नियुक्त गया. राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने उन्हें शपथ दिलाई. 

Advertisement

युवाओं की पहली पसंद सुशीला कार्की नहीं थीं. युवाओं की पहली पसंद काठमांडू के मेयर बालेन शाह थे, जिन्होंने इस आंदोलन का आह्वान दिया था. बालेन ने सत्ता संभालने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद सुशीला का नाम सामने आया. फिर बालेन ने भी अपना समर्थन सुशीला को दिया. जिसके बाद नेपाल में सियासी संकट पर विराम लगा. Gen Z आंदोलनकारियों के बीच वह लोकप्रिय रही हैं. वह नेपाल की पहली महिला प्रधान न्यायधीश रह चुकी हैं. उनकी छवि भ्रष्टाचार विरोधी रही है. नेपाल में सुशीला महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं. 

सुशीला कार्की के हाथों में नेपाल की कमान केवल इन्हीं कारणों से नहीं दी गई. इसके अलावा भी कई फैक्टर्स अहम रहे हैं, जिसकी वजह से वह अब आने वाले महीनों के लिए नेपाल का नेतृत्व करेंगी. 

Gen-Z प्रदर्शनकारियों की इन को शर्तें सुशीला कार्की ने माना

Advertisement

1. Gen Z आंदोलनकारियों की मांग थी कि 6 से 12 महीने के भीतर देश में आम चुनाव कराए जाएं. ताकि लोकतंत्र स्थापित हो और जनता अपनी इच्छा से नयी सरकार को चुन सके. सुशीला कार्की ने आंदोलनकारियों की इस मांग को मान लिया है.

2. आंदोलनकारियों की मांग थी कि नेपाल की संसद को भंग कर दिया जाए. इस मांग को स्वीकार कर लिया गया और सुशीला कार्की के हाथों में कमान सौंपी जा चुकी है.

3. आंदोलनकारियों की प्रमुख मांगों में से एक नागरिक-सैन्य सरकार का गठन था. इस प्रस्ताव के तहत आंदोलनकारी चाहते हैं कि नेपाल में ऐसा शासन बने जो नागरिक और सेना दोनों के रिप्रेजेंटेशन वाला हो. 

4. आंदोलनकारी का कहना था कि बस सोशल मीडिया बैन के ख़िलाफ़ जनता सड़कों पर नहीं उतरी है. जनता की सड़क पर उतरने की प्रमुख वजह - भ्रष्टाचार है. आंदोलनकारियों की ओर से प्रस्ताव रखा गया कि पुराने दल और नेताओं की संपत्ति की जांच के लिए शक्तिशाली न्यायिक आयोग गठन हो.

नेपाल के राष्ट्रपति सुशीला कार्की को शपथ दिलाते हुए (Photo: Youtube/@Nepal TV)

5. आंदोलनकारियों की बड़ी मांग ये भी रही कि आंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ हुई हिंसा की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच हो. इससे प्रभावित लोगों को न्याय मिले. इस मांग को मान लिया गया है और निष्पक्ष जांच की बात कही गई है.

Advertisement

यह भी पढ़ें: 'अब देश बचाइए...', नेपाल की नई PM सुशीला कार्की से राष्ट्रपति की अपील, शपथग्रहण का सांसदों ने किया बहिष्कार

राष्ट्रपति रामचन्द्र पौडेल का संदेश: देश बचाइए, सफल रहिए

सुशीला कार्की के शपथ दिलाने के बाद राष्ट्रपति रामचन्द्र पौडेल ने उनसे कहा, 'देश बचाइए, सफल रहिए.' जिसके जवाब में सुशीला ने 'धन्यवाद' कहकर जवाब दिया. सुशीला कार्की के शपथ ग्रहण समारोह को संसद के दोनों सदनों के प्रमुख ने बहिष्कार किया. 

प्रतिनिधि सभा के स्पीकर देवराज घिमिरे शपथ ग्रहण में शामिल नहीं हुए. वह ओली के पार्टी से आते हैं. राष्ट्रीय सभा के अध्यक्ष नारायण दहाल भी अनुपस्थित रहे. नारायण प्रचण्ड की पार्टी से जुड़े हुए हैं.

8 सितंबर से लेकर अब तक क्या-क्या हुआ?

8 सितंबर से शुरू हुए आंदोलन ने जल्दी ही हिंसक रूप धारण कर लिया. प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन, सरकारी दफ्तरों और निजी संपत्तियों में तोड़फोड़ और आगजनी की. इस हिंसा में अब तक 51 से अधिक लोग मारे गए हैं, जिनमें 3 पुलिसकर्मी, एक भारतीय नागरिक और कई नेपाली नागरिक शामिल हैं. 

इस आंदोलन का बड़ा राजनीतिक परिणाम 9 सितंबर को देखने को मिला, जब प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. यह कदम देश में राजनीतिक अस्थिरता के बीच एक नया मोड़ था. आंदोलनकारियों ने प्रमुख शहरों में कर्फ्यू और सेना की तैनाती के बावजूद लगातार विरोध प्रदर्शन जारी रखा, जिससे हालात और बिगड़ गए.

Advertisement

Gen-Z आंदोलन के प्रमुख नेताओं ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में प्रस्तावित किया, जो राजनीतिक स्थिरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास माना गया. इस बीच, कई सरकारी और निजी प्रतिष्ठानों को भारी नुकसान पहुंचा है. खासतौर पर एक पांच सितारा होटल में लगी आग में एक भारतीय महिला की मृत्यु हुई, जिससे देश में शोक की लहर दौड़ गई.

गुरुवार रात राष्ट्रपति कार्यालय शीतल निवास में महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें देश की वर्तमान राजनीतिक दिशा पर गहन चर्चा हुई. विभिन्न राजनीतिक गुटों के बीच समझौते की कोशिशें की गईं. ताकि जल्द से जल्द नई अंतरिम सरकार का गठन किया जा सके और देश को सामान्य स्थिति में लाया जा सके.
 

इनपुट: पंकज दास

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement