'यहीं से निकले कई आतंकी...', मुरिदके से लश्कर कमांडर का कुबूलनामा, PAK का आतंकी चेहरा बेनकाब

लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर कासिम ने पाकिस्तान के मुरिदके स्थित आतंकी कैंप की मौजूदगी और प्रशिक्षण की बात कैमरे के सामने स्वीकार की है. उसने बताया कि भारत के ऑपरेशन सिंदूर के दौरान यह कैंप ध्वस्त किया गया था और नया कैंप पहले से बड़ा बनाया जाएगा.

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लश्कर कमांडर कासिम ने युवाओं से जिहादी ट्रेनिंग प्रोग्राम में शामिल होने की अपील भी की. (Photo: Screengrab) लश्कर कमांडर कासिम ने युवाओं से जिहादी ट्रेनिंग प्रोग्राम में शामिल होने की अपील भी की. (Photo: Screengrab)

अरविंद ओझा

  • इस्लामाबाद,
  • 19 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 11:15 AM IST

जैश कमांडर इलियास कश्मीरी के बाद अब लश्कर-ए-तैयबा का कमांडर कासिम खुद पाकिस्तान के झूठ को बेनकाब कर रहा है. मुरिदके स्थित आतंकी ठिकानों को लेकर पाकिस्तान हमेशा इनकार करता रहा है, लेकिन कासिम ने कैमरे के सामने खड़े होकर इस सच को स्वीकार किया.

एक वीडियो में कासिम उस ध्वस्त मरकज-ए-तैयबा कैंप के सामने दिखाई दिया, जिसे भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान ध्वस्त कर दिया था. उसने न केवल यह माना कि यहां कई आतंकियों और तालेबा को ट्रेनिंग दी गई थी बल्कि बेशर्मी से यह भी कहा कि नया कैंप पहले से भी बड़ा बनाया जाएगा.

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युवाओं से कर रहा टेरर ट्रेनिंग से जुड़ने की अपील

एक अन्य वीडियो में कासिम युवाओं से खुलकर अपील कर रहा है कि वे पंजाब (पाकिस्तान) के मुरिदके में स्थित मरकज-ए-तैयबा के दौर-ए-सुफ्फा प्रोग्राम में शामिल हों. यह प्रोग्राम तथाकथित धार्मिक शिक्षा की आड़ में बुनियादी हथियारों की ट्रेनिंग और जिहादी ब्रेनवॉशिंग का हिस्सा है. कासिम के इन बयानों ने पाकिस्तान की उस कहानी की पोल खोल दी है जिसमें वह बार-बार अपने यहां आतंकवादी ट्रे्निंग कैंपों के होने से इनकार करता रहा है.

लश्कर के डिप्टी चीफ की भारत को गीदड़भभकी

इससे पहले पहलगाम हमले के मास्टरमाइंड और लश्कर के डिप्टी चीफ सैफुल्लाह कासुरी ने भारत को गीदड़भभकी देते हुए कहा था, 'भारत सरकार कान खोलकर सुन ले और अपने जालिम समाज को भी सुना दे कि वह वक्त आने वाला है जब इंशाअल्लाह ये दरिया भी हमारे होंगे, इनके डैम भी हमारे होंगे, यह सारा जम्मू-कश्मीर हमारा होगा.'

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उसने कहा, 'आज तुम जो भी कर रहे हो, उसका खामियाजा तुम्हें भुगतना पड़ेगा. तुम जो भी कर रहे हो, उसका बदला लिया जाएगा. ईंट का जवाब पत्थर से दिया जाएगा. हम अपने वतन-ए-अज़ीज़ के इंच-इंच, जर्रे-जर्रे का तहफ़्फ़ुज़ और दिफ़ा करेंगे.'

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