'जनता की राय के साथ धोखा...', परमाणु समझौते पर बातचीत के लिए खामेनेई ने ठुकराई ट्रंप की मांग

ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामेनेई ने अमेरिकी परमाणु वार्ता को खारिज करते हुए ट्रंप के प्रस्ताव को 'धोखा' बताया. यूएई के जरिए भेजे गए ट्रंप के पत्र में ईरान को सैन्य कार्रवाई या समझौते की चेतावनी दी गई.

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अयातुल्ला खामेनेई (तस्वीर: रॉयटर्स) अयातुल्ला खामेनेई (तस्वीर: रॉयटर्स)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 13 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 6:41 AM IST

ईरान (Iran) के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने बुधवार को अमेरिका के साथ परमाणु समझौते पर बातचीत करने से इनकार कर दिया, क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से इस तरह की बातचीत के लिए एक पत्र भेजा गया था. पिछले हफ्ते ट्रंप ने कहा था कि उन्होंने खामेनेई को परमाणु वार्ता का प्रस्ताव देते हुए पत्र भेजा था, लेकिन साथ ही चेतावनी भी दी थी कि ईरान से निपटने के दो तरीके हैं, पहला सैन्य और दूसरा समझौता.

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यह पत्र बुधवार को संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति के राजनयिक सलाहकार अनवर गरगाश द्वारा ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराक्ची को सौंपा गया.

'बातचीत करने का क्या मतलब...'

सरकारी मीडिया के मुताबिक, अराकची और गारगाश की मुलाकात के वक्त खामेनेई ने विश्वविद्यालय के छात्रों के एक ग्रुप से कहा कि बातचीत के लिए ट्रंप का प्रस्ताव "एक धोखा" है. जब हम जानते हैं कि वे इसका सम्मान नहीं करेंगे, तो बातचीत करने का क्या मतलब है? इसलिए, बातचीत का निमंत्रण, जनता की राय को धोखा देना है. मैंने अभी तक पत्र नहीं देखा है.

खामेनेई ने कहा कि ट्रंप प्रशासन के साथ बातचीत प्रतिबंधों की गांठ को और मजबूत करेगी और ईरान पर दबाव बढ़ाएगी. 2018 में ट्रंप ने विश्व शक्तियों के साथ तेहरान के 2015 के परमाणु समझौते से अमेरिका को वापस ले लिया और ईरान की अर्थव्यवस्था को पंगु बनाने वाले प्रतिबंधों को फिर से लागू कर दिया. तेहरान ने एक साल बाद समझौते के परमाणु प्रतिबंधों का उल्लंघन करके प्रतिक्रिया व्यक्त की.

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'ईरान जवाबी हमला करने में सक्षम...'

खामेनेई के सोशल से किए गए पोस्ट में कहा गया, "अमेरिका ने ईरान पर सैन्य हमले की धमकी दी है. युद्ध शुरू करना या हमला करना ऐसा काम नहीं है, जो एक पक्ष बिना जवाब के कर सकता है. ईरान जवाबी हमला करने में सक्षम है और वह निश्चित रूप से ऐसा हमला करेगा. 

उन्होंने अगले पोस्ट में कहा कि अगर अमेरिका और उसके एजेंट ईरान के खिलाफ कोई गलत सैन्य कदम उठाते हैं, तो वे ही सबसे ज्यादा नुकसान उठाएंगे. युद्ध अच्छा नहीं है, हम युद्ध शुरू करने की कोशिश नहीं कर रहे हैं लेकिन अगर कोई कोई कार्रवाई करता है, तो हमारी ओर से जवाब दृढ़ और निश्चित होगा.

खामेनेई ने पिछले हफ्ते कहा था कि तेहरान को धमकी देकर बातचीत के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा. 

यह भी पढ़ें: ट्रंप ने शिक्षा विभाग के आधे स्टाफ को नौकरी से निकाला, भड़के डेमोक्रेट सांसद

ईरान पर दबाव डालने की कोशिश 

तेहरान के साथ परमाणु समझौते के लिए दरवाज़ा खुला छोड़ते हुए, ट्रंप ने ईरान को वैश्विक अर्थव्यवस्था से अलग-थलग करने और उसके तेल निर्यात को शून्य करने के लिए राष्ट्रपति के रूप में अपने पहले कार्यकाल में लागू किए गए "अधिकतम दबाव" अभियान को फिर से शुरू कर दिया है.

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यूएई, वाशिंगटन के प्रमुख मध्य पूर्व सुरक्षा साझेदारों में से एक और अमेरिकी सैनिकों का मेजबान, तेहरान के साथ भी अच्छे संबंध बनाए रखता है. पिछले तनावों के बावजूद, दोनों देशों के बीच व्यापार और व्यापारिक संबंध मजबूत बने हुए हैं, और दुबई एक सदी से भी ज्यादा वक्त से ईरान के लिए एक प्रमुख वाणिज्यिक केंद्र के रूप में काम कर रहा है.

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