'सबसे अहम स्तंभों में से एक हैं भारत-US के रक्षा संबंध', अमेरिकी रक्षा मंत्री से मुलाकात के बाद बोले जयशंकर

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पेंटागन में अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने भारत-अमेरिका रक्षा संबंधों के रणनीतिक महत्व पर प्रकाश डाला और उन्हें द्विपक्षीय संबंधों के "सबसे महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक" बताया.

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अमेरिकी रक्षा मंत्री के साथ में विदेश मंत्री एस जयशंकर अमेरिकी रक्षा मंत्री के साथ में विदेश मंत्री एस जयशंकर

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 02 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 6:37 AM IST

विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ से मंगलवार को पेंटागन में मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने भारत-अमेरिका रक्षा संबंधों को दोनों देशों की साझेदारी का "सबसे निर्णायक स्तंभ" बताया.

जयशंकर ने बैठक में कहा, “मैं आज पेंटागन में हूं क्योंकि हम मानते हैं कि हमारी रक्षा साझेदारी आज के दौर में द्विपक्षीय संबंधों के सबसे निर्णायक स्तंभों में से एक है.” यह मुलाकात क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक (QFMM) के तुरंत बाद हुई, जो हाल ही में वॉशिंगटन में आयोजित की गई थी. यह भारत-अमेरिका के उच्चस्तरीय संबंधों की श्रृंखला में एक और प्रमुख कड़ी है.

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अमेरिका ने जताई संतुष्टि
अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने भी भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग को लेकर उत्साह जताया. उन्होंने भारत के सशस्त्र बलों में अमेरिकी रक्षा प्रणालियों के एकीकरण पर प्रकाश डाला और औद्योगिक सहयोग और सह-उत्पादन नेटवर्क के विस्तार के लक्ष्य को रेखांकित किया.

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उन्होंने कहा, “हम भारत के साथ कई लंबित रक्षा सौदों को जल्द पूरा करने, रक्षा उत्पादन नेटवर्क को विस्तारित करने, और सहयोग बढ़ाने के लिए तत्पर हैं. हमारे साझा रक्षा औद्योगिक सहयोग और सह-उत्पादन नेटवर्क का विस्तार कर सकते हैं. ”

दस साल की नई डिफेंस फ्रेमवर्क डील की तैयारी
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस वर्ष फरवरी में अमेरिका यात्रा के दौरान, उन्होंने और तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अगले 10 वर्षों के लिए भारत-अमेरिका मेजर डिफेंस पार्टनरशिप का नया ढांचा तैयार करने की घोषणा की थी.

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इस दौरान भारत की सेना में कई अमेरिकी उपकरणों को सफलतापूर्वक शामिल किए जाने की भी चर्चा हुई थी, जिनमें शामिल हैं: C-130J सुपर हरक्यूलिस, C-17 ग्लोबमास्टर III, P-8I पोसाइडन एयरक्राफ्ट, CH-47F चिनूक हेलीकॉप्टर, MH-60R सीहॉक, AH-64E अपाचे, M777 हॉवित्जर,MQ-9B ड्रोन और हारपून एंटी-शिप मिसाइलें.

इसके अलावा जैवलिन एंटी टैंक मिसाइलों और स्ट्राइकर इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल्स के सह-निर्माण की भी योजना है, ताकि भारत की रक्षा जरूरतें शीघ्र पूरी की जा सकें.
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