अमेरिका (USA) में मौजूद भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ऑपरेशन सिंदूर पर नई दिल्ली के रुख को फिर से दोहराया है. उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर करवाने के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बार-बार के दावों को खारिज कर दिया और कहा कि व्यापार वार्ता और संघर्ष विराम वार्ता के बीच कोई संबंध नहीं है.
जयशंकर ने Newsweek के सीईओ देव प्रसाद के साथ बातचीत के दौरान कहा, "मैं आपको बता सकता हूं कि मैं उस वक्त कमरे में मौजूद था, जब अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने 9 मई की रात को पीएम मोदी से बात की थी और चेतावनी दी थी कि पाकिस्तान, भारत पर बड़े हमले की योजना बना रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पाकिस्तान की धमकियों के प्रति असंवेदनशील थे. इसके उलट, उन्होंने संकेत दिया कि जवाब दिया जाएगा."
जयशंकर ने आगे बताया कि पाकिस्तान ने उस रात बड़े पैमाने पर हमला किया था, जिसका भारत ने तुरंत जवाब दिया.
'पाकिस्तान ने बात की...'
जयशंकर ने कहा, "अगली सुबह, अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने मुझसे संपर्क किया और कहा कि पाकिस्तान बातचीत के लिए तैयार है. उस दिन बाद में, पाकिस्तान के सैन्य संचालन महानिदेशक मेजर जनरल काशिफ अब्दुल्ला ने सीधे अपने भारतीय समकक्ष लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई से संपर्क कर सीजफायर की गुजारिश की."
डोनाल्ड ट्रंप ने कई मौकों पर दावा किया कि उन्होंने दोनों पक्षों को दुश्मनी खत्म करने के लिए राजी किया, जो जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में घातक आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकवादी ठिकानों को नष्ट करने के लिए भारत द्वारा ऑपरेशन सिंदूर शुरू किए जाने के बाद शुरू हुई थी.
यह भी पढ़ें: 'एलॉन मस्क को दुकान बंद कर अफ्रीका लौटना होगा', लड़ाई बढ़ी तो ट्रंप DOGE से जांच की देने लगे धमकी
डोनाल्ड ट्रंप के दावे...
पिछले हफ्ते हेग में पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने भारत के इनकार के बावजूद अपनी बात दोहराई. उन्होंने कहा, "मैंने ट्रेड को लेकर कई बार कॉल करके जंग को खत्म किया. मैंने कहा, देखो, अगर तुम एक-दूसरे से लड़ने जा रहे हो, तो हम कोई व्यापार सौदा नहीं कर रहे हैं."
इस दावे को खारिज करते हुए जयशंकर ने कहा कि घटनाक्रम उस तरह से नहीं हुआ. कूटनीति और व्यापार वार्ता पूरी तरह से अलग-अलग हैं. उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि व्यापार से जुड़े लोग वही कर रहे हैं, जो उन्हें करना चाहिए."
जयशंकर ने कहा कि आतंकवादी समूह पाकिस्तान में घनी आबादी वाले इलाकों से खुलेआम काम कर रहे हैं और अपने मुख्यालय चला रहे हैं, जो 'कॉर्पोरेट दफ्तरों' की तरह काम करते हैं. भारत के सख्त रुख को दोहराते हुए उन्होंने कहा, "आतंकवादियों को किसी भी तरह की छूट नहीं दी जाएगी. अब उन्हें प्रॉक्सी के तौर पर नहीं देखा जाएगा. उन्हें पनाह देने वाली और वित्तपोषित करने वाली सरकारों को नहीं बख्शा जाएगा. हम न्यूक्लियर ब्लैकमेल की वजह से प्रतिक्रिया को रोकने नहीं देंगे."
aajtak.in