मध्य पूर्व के दो सबसे बड़े तेल उत्पादक देश सऊदी अरब और यूएई के बीच पैसे और पावर गेम को लेकर पिछले कुछ सालों से तकरार देखने को मिल रही है. क्षेत्रीय नीतियों और तेल निर्यातक देशों के संगठन ओपेक पर नियंत्रण को लेकर दोनों देशों के बीच रिश्तों में दरार आई है. इसी बीच वॉल स्ट्रीट जर्नल ने खुलासा किया है कि सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने पिछले साल दिसंबर में यूएई पर प्रतिबंध लगाने की धमकी दी थी.
अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक, सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने दिसंबर 2022 में पत्रकारों के साथ एक निजी बातचीत में यूएई पर प्रतिबंध लगाने की धमकी दी थी. सऊदी प्रिंस ने यह धमकी ऐसे समय दी थी जब दोनों देशों के बीच क्षेत्रीय नीतियों और ओपेक नियंत्रण को लेकर जारी मतभेद चरम पर था.
सऊदी पत्रकारों के साथ दिसंबर 2022 में ऑफ-द-रिकॉर्ड बातचीत में सऊदी क्राउन प्रिंस ने कहा था कि उन्होंने यूएई को मांगों की एक सूची (लिस्ट ऑफ डिमांड) भेजी थी. और चेतावनी दी थी कि अगर यूएई ने मध्य-पूर्व क्षेत्र में सऊदी अरब का दबदबा कम करने की कोशिश की तो सऊदी अरब यूएई के खिलाफ कठोरतम कदम उठाएगा. इस ब्रीफिंग में शामिल लोगों का कहना है कि सऊदी क्राउन प्रिंस सलमान ने यहां तक कह दिया था कि यह कदम इतना सख्त होगा कि यूएई का हाल कतर से भी बदतर होगा.
2017 में सऊदी अरब ने यूएई और बहरीन की मदद से कतर पर तीन साल से अधिक समय के लिए आर्थिक प्रतिबंध लगा दिया था. सऊदी अरब और बहरीन ने कतर एयरवेज की उड़ानों पर भी रोक लगा दी थी. कतर के चार पड़ोसी देश सऊदी अरब, बहरीन, मिस्र और यूएई ने कतर पर चरमपंथियों का वित्तपोषण करने का आरोप लगाते हुए कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए थे. हालांकि, कतर ने इन आरोपों को खारिज कर दिया था. लगभग साढ़े तीन साल बाद 2021 में सऊदी और कतर के बीच संबंध फिर से बहाल हुए थे.
6 महीने से सऊदी अरब और यूएई के बीच बातचीत नहीं
वॉल स्ट्रीट जर्नल के सूत्रों के अनुसार, खाड़ी क्षेत्र में प्रभुत्व के लिए सऊदी अरब और यूएई के बीच वर्चस्व की जंग जारी है. दोनों देशों के प्रमुख ने पिछले छह महीने से भी अधिक समय से बातचीत नहीं की है. रिपोर्ट के मुताबिक, मोहम्मद बिन सलमान ने कहा है कि यूएई ने हमारी पीठ में छुरा घोंपा है. सलमान ने यूएई को चेतावनी देते हुए कहा है कि अब वो देखेंगे कि मैं क्या कर सकता हूं.
दोनों देशों के बीच यह मतभेद मध्य पूर्व और वैश्विक तेल बाजार में भू-राजनीतिक और आर्थिक प्रभाव के लिए प्रतिस्पर्धा दिखाता है. खासकर इस क्षेत्र में अमेरिका की भागीदारी जब से कम हुई है, दोनों देशों के बीच प्रतिस्पर्धा और तेज हो गई है. दोनों देश रूस और चीन तक अपनी पहुंच सुनिश्चित करने के लिए भी एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं.
दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव ने अमेरिका की चिंता बढ़ा दी है. अमेरिका को इस बात का डर है कि अगर दोनों देशों के बीच इसी तरह से वर्चस्व की लड़ाई जारी रही तो उसे ईरान के खिलाफ संगठित सुरक्षा गठबंधन कायम करने, यमन युद्ध को हल करने और मुस्लिम देशों के साथ इजरायल के राजनयिक संबंधों को विस्तार देने में मुश्किल होगी.
दोनों देशों के बीच विवादों के कारण
सऊदी अरब और यूएई के बीच तनाव का मुख्य कारण मध्य पूर्व में वर्चस्व और ओपेक पर नियंत्रण को लेकर है. यमन और सूडान में दोनों देशों के अलग-अलग हित हैं. जबकि सऊदी अरब की और से वैश्विक तेल की कीमतें बढ़ाने की जिद ने यूएई के साथ इस विवाद को और गहरा कर दिया है.
इसके अलावा सऊदी अरब ने हाल ही में लगभग 12 साल बाद अरब लीग में सीरिया की वापसी करवाकर सुर्खियां बटोरीं, जिसके लिए यूएई लंबे समय से प्रयास कर रहा था. साथ ही साल की शुरुआत में ईरान के साथ सऊदी अरब के राजनयिक मेल-मिलाप ने भी यूएई को आश्चर्यचकित कर दिया.
दोनों देशों के बीच तनाव का सबसे बड़ा कारण यमन में वर्चस्व का मुद्दा भी है. सऊदी अरब और यूएई दोनों यमन में अपनी पावर बढ़ाने के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं. यमन में साल 2014 में गृहयुद्ध शुरू हुआ था. दोनों देशों के सैन्य गठबंधन ने 2015 में इस युद्ध में हस्तक्षेप किया था.
दोनों देशों के बीच आर्थिक विवाद
सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान सऊदी अरब की तेल आधारित अर्थव्यवस्था में विविधता लाने की कोशिश कर रहे हैं. इसके लिए सलमान ने अपने महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट 'विजन 2030' में भारी निवेश किया है. सऊदी अरब के इस कदम ने भी दोनों देशों को एक-दूसरे को आमने-सामने कर दिया है.
विजन 2030 के तहत सऊदी क्राउन प्रिंस का लक्ष्य पर्यटक और लॉजिस्टिक केंद्र स्थापित करने के लिए प्रमुख कंपनियों को सऊदी अरब की ओर आकर्षित करना है. इसका लक्ष्य यह भी है कि बड़ी कंपनियां रियाद में अपना क्षेत्रीय मुख्यालय शुरू करें. जो सीधे-सीधे दुबई को चुनौती देना है.
दोनों देशों के बीच विवाद उस वक्त खुल कर सामने आया जब ओपेक बैठक में यूएई ने सऊदी अरब पर उसे तेल उत्पादन में कटौती के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया. यहां तक कि यूएई ने ओपेक से हटने तक की इच्छा व्यक्त कर दी. जो सऊदी दबदबे वाले ओपेक के प्रति यूएई की नाराजगी को दर्शाता है.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने मई 2023 में सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और यूएई के राष्ट्रपति के छोटे भाई और यूएई के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शेख तहन्नोन बिन जायद के बीच एक बैठक आयोजित कर दोनों देशों के बीच सामंजस्य स्थापित करने का प्रयास किया था. इस बैठक में सऊदी प्रिंस ने कहा कि यूएई को यमन में सऊदी के नेतृत्व वाले सीजफायर में दखल नहीं देना चाहिए. साथ ही उन्होंने यूएई को रियायतें देने का वादा किया.
हालांकि, वॉल स्ट्रीट जर्नल के सूत्रों के अनुसार, बाद में सऊदी क्राउन प्रिंस ने अपने सलाहकारों ने कहा कि वे यूएई के प्रति किसी भी नीति में बदलाव नहीं करेंगे. सलमान ने कहा कि मुझे अब उन पर (यूएई) भरोसा नहीं है.
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