'अब सब्र टूट रहा, चुप्पी को कमजोरी ना समझें', UNSC में क्यों भड़की इस्लामिक दुनिया

अल-अक्सा मस्जिद परिसर में इजरायल के राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री इतमार बेन गिवीर का विवादित दौरा अब UNSC पहुंच गया है. मुस्लिम देश संयुक्त अरब अमीरात और चीन ने इस मामले को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक बुलाई. इस बैठक में फिलिस्तीन के राजदूत ने इजरायल के राजदूत को जमकर खरीखोटी सुनाई.

Advertisement
अल-अक्सा मस्जिद में इजरायली मंत्री का दौरा विवादों में है (Photo-Reuters) अल-अक्सा मस्जिद में इजरायली मंत्री का दौरा विवादों में है (Photo-Reuters)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 06 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 6:32 AM IST
  • अल-अक्सा मस्जिद विवाद पर UNSC में आपात बैठक
  • UAE और चीन ने की पहल
  • फिलिस्तीनी राजदूत ने इजरायल के राजदूत को सुनाई खरीखोटी

इजरायल के नए राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री और धुर दक्षिणपंथी यहूदी नेता इतमार बेन गिवीर का यरूशलम के अल-अक्सा मस्जिद परिसर का औचक दौरा विवादों में है. ये विवाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) तक पहुंच गया जहां संयुक्त राष्ट्र में फिलिस्तीन के राजदूत रियाद मंसूर ने अपने इजरायली समकक्ष को जमकर खरी-खोटी सुनाई और कहा कि UNSC को चाहिए कि वो इजरायल को रोके. लेकिन अगर UNSC आपको नहीं रोकता है तो हम फिलिस्तीनी लोग आपको ऐसा करने से रोकेंगे.

Advertisement

अल-अक्सा मस्जिद यरूशलम में स्थित है जिसका परिसर 35 एकड़ में फैला है. ये धार्मिक स्थल तीन धर्मों इस्लाम, यहूदी और ईसाई के लिए बेहद अहम माना जाता है. मुसलमान इसे अल-हरम अल शरीफ कहते हैं और मक्का-मदीना के बाद ये उनका तीसरा सबसे महत्वपूर्ण प्रार्थना-स्थल है. यहूदी इसे टेंपल माउंट कहते हैं और ये उनका सबसे पवित्र धार्मिक स्थल है. ईसाई भी इस जगह को पवित्र मानते हैं. समझौते के मुताबिक, अल-अक्सा परिसर में यहूदियों को अंदर जाने की इजाजत तो है लेकिन वहां प्रार्थना करने की नहीं. 

UNSC में भड़के फिलिस्तीन के राजदूत

रिपोर्ट के मुताबिक, फिलिस्तीन के राजदूत ने सामने बैठे अपने इजरायली समकक्ष गिलाद एर्दन से कहा, 'मेरी बात ध्यान से सुनें, परिषद को चाहिए कि वो आपको ऐसा करने से रोकें. ये उसकी जिम्मेदारी है. ये सभी देशों की जिम्मेदारी है कि वो अंतरराष्ट्रीय कानून को बनाए रखें और अल-हरम अल-शरीफ (मुसलमानों के बीच मशहूर अल-अक्सा मस्जिद परिसर का पवित्र स्थल) की ऐतिहासिक यथास्थिति को बनाए रखें.'

Advertisement

उन्होंने आगे कहा, 'सभी देशों को आपको रोकना चाहिए. लेकिन अगर वो ऐसा नहीं करते तो आप ये समझने की गलती न करें कि हम चुप बैठेंगे. अगर आपको वो नहीं रोकेंगे तो हम फिलिस्तीनी लोग रोकेंगे.'

संयुक्त राष्ट्र की ये आपात बैठक मुस्लिम देश संयुक्त अरब अमीरात और चीन की पहल पर बुलाई गई थी. 

फिलिस्तीन के राजदूत ने सुरक्षा परिषद से कहा कि इजरायल ने ये कदम उठाकर फिलिस्तीन के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय कानून की अवमानना की है. इसके लिए उस पर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि बेन-गिवीर की यात्रा फिलिस्तीन की पवित्रता, अंतरराष्ट्रीय कानून की पवित्रता और अल-हरम अल-शरीफ की पवित्रता की घोर उपेक्षा है.

UNSC को भी लगाई फटकार

उन्होंने UNSC को फटकार लगाते हुए कहा, 'इतना सब होने के बाद भी ये परिषद दर्शक बनी देख रही है. आप सब बातें तो अच्छी करते हैं लेकिन अभी तक आपने इस मामले में दखल नहीं दिया है.'

मंसूर ने आगे कहा, "हमारा धैर्य अब खत्म हो रहा है. हम जिस संयम और जिम्मेदारी की भावना का प्रदर्शन करते हैं, उसे कभी भी कमजोरी नहीं समझा जाना चाहिए.'

उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में चेतावनी के अंदाज में कहा कि परिषद के देश, जो अंतरराष्ट्रीय कानून और शांति के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताते हैं, वो इस मुद्दे पर काम करें. ऐसा नहीं होने पर जब 'आग काबू से बाहर हो जाए तो किसी बात का रोना न रोएं.'

Advertisement

बेन-गिवीर को लेकर मंसूर ने कहा कि उन्हें नस्लवादी विचारों के लिए जाना जाता है. उन्होंने कहा कि गिवीर मस्जिद परिसर में प्रार्थना करने नहीं गए थे बल्कि अपने 'चरमपंथी विचारधारा' को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने ये दौरा किया.

फिलिस्तीन बेन-गिवीर के इस दौरे को अल-अक्सा मस्जिद की यथास्थिति को बदलने की कोशिश के तौर पर देख रहा है.

इजरायल के राजदूत ने जवाब में क्या कहा?

इजरायल के राजदूत गिलाद एर्दन ने कहा कि ये आपातकालीन बैठक 'गैर-जरूरी' है. उन्होंने कहा कि विश्व में अनगिनत सुरक्षा स्थितियों, ईरान में अयातुल्ला खामेनेई के क्रूर शासन आदि के खिलाफ बैठकें होना चाहिए.

उन्होंने बेन-गिवीर के दौरे को संक्षिप्त, शांतिपूर्ण और वैध बताया. उन्होंने कहा कि उनकी यात्रा यथास्थिति के अनुसार थी और जो कोई भी इससे अलग दावा कर रहा है वो केवल स्थिति को भड़का रहा है.

उन्होंने फिलिस्तीन पर ही यथास्थिति को बदलने का आरोप लगाते हुए कहा, 'इजरायल ने यथास्थिति को नुकसान नहीं पहुंचाया है और ऐसा करने की कोई योजना नहीं है. बल्कि फिलिस्तीन ने ही अल-अक्सा पर खतरे का झूठा दावा कर परिसर को युद्ध के मैदान में बदला, हथियार जमा किए, उकसाने और झूठे दावों के माध्यम से हिंसा को बढ़ावा दिया है.'

उन्होंने आगे कहा, 'फिलिस्तीन के अधिकारी कह रहे हैं कि टेंपल माउंट (यहूदियों की सबसे पवित्र पूजा स्थल) न तो यहूदी प्रार्थना कर सकते हैं और न ही वहां उनकी उपस्थिति को बर्दास्त किया जाएगा. ये यथास्थिति को बदलने जैसा है. ये कदम शुद्ध यहूदी-विरोधी है. इस संस्था (UN) और विशेष रूप से सुरक्षा परिषद को, फिलिस्तीनी झूठ को वैध बनाना बंद करना चाहिए.'

Advertisement

क्या बोला यूएई?

संयुक्त अरब अमीरात के उप स्थायी प्रतिनिधि, मोहम्मद अबुशहाब ने इजरायली सुरक्षाबलों के साथ बेन-गिवीर की अल-अक्सा मस्जिद परिसर के दौरे की कड़ी निंदा की. अबुशहाब ने कहा, 'इस तरह की भड़काऊ कार्रवाइयां दिखाती हैं कि इजरायल यरूशलम के पवित्र स्थलों की मौजूदा ऐतिहासिक और कानूनी स्थिति के प्रति कितना गैर-जिम्मेदार है. इससे कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्रों की नाजुक स्थिति और अस्थिर हो रही है. ऐसी कार्रवाईयों से नफरत और बढ़ेगा.'

उन्होंने जोर देकर कहा कि मध्य-पूर्व की शांति के लिए इस मसले का टू-नेशन सॉल्यूशन निकाला जाना चाहिए.

बेन-गिवीर की यात्रा पर चीन की टिप्पणी

चीन ने यूएई के साथ मिलकर इस बैठक का आह्वान किया था. बेन-गिवीर के दौरे को लेकर चीन ने UNSC में कहा कि पवित्र स्थलों की शांति को बनाए रखा जाना चाहिए. संयुक्त राष्ट्र में चीन के स्थायी प्रतिनिधि झांग जुन ने इजराइल से आह्वान किया कि वो 'सभी तरह के उकसावे वाली गतिविधियों को बंद करे और किसी भी एकतरफा कार्रवाई से परहेज करे जिससे स्थिति बिगड़ सकती है.'

अमेरिका का पक्ष

संयुक्त राष्ट्र में राजनीतिक मामलों के लिए अमेरिका के वैकल्पिक प्रतिनिधि रॉबर्ट वुड ने कहा कि उनका देश 'ऐतिहासिक यथास्थिति से हटकर सभी एकतरफा कार्रवाइयों का विरोध करता है.' उन्होंने दोनों पक्षों से संयम बरतने और किसी भी उत्तेजक कार्रवाई से बचने की अपील की.

Advertisement

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement