'अच्छा है, ऐसे ही सपने देखते रहो...', US के ईरान के परमाणु केंद्रों को बमबारी से उड़ाने के दावे को खामेनेई ने किया खारिज

ईरानी सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह अली खामेनेई ने सोमवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की वार्ता की पेशकश को ठुकरा दिया और ट्रंप के दावों को खारिज कर दिया कि अमेरिका ने ईरान की परमाणु क्षमताओं को नष्ट कर दिया है. खामेनेई ने कहा कि जबरदस्ती और दबाव से किया गया सौदा स्वीकार्य नहीं है.

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ईरान के सर्वोच्च नेता खामेनेई ने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के प्रस्ताव को ठुकराया (Photo: ITG) ईरान के सर्वोच्च नेता खामेनेई ने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के प्रस्ताव को ठुकराया (Photo: ITG)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 21 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 11:32 AM IST

ईरान के सबसे बड़े नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बातचीत के प्रस्ताव को सोमवार को पूरी तरह से ठुकरा दिया. खामेनेई ने ट्रंप के उस दावे को भी गलत बताया कि अमेरिका ने ईरान के परमाणु केंद्रों को बमबारी करके खत्म कर दिया है. उनका कहना था कि अगर कोई समझौता जबरदस्ती या धमकी से किया जाए, तो वह समझौता नहीं बल्कि दबाव और डराने-धमकाने जैसा होता है.

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इससे पहले ट्रंप ने गाजा में इजरायल और हमास के बीच युद्धविराम के बाद इजरायली संसद में कहा था कि वाशिंगटन और तेहरान के बीच शांति समझौता होना बहुत अच्छा होगा. उन्होंने बातचीत की संभावना जाहिर की, लेकिन खामेनेई ने इसे ठुकरा दिया और कहा, "अमेरिका गर्व से कहता है कि उसने ईरान के परमाणु उद्योग को बर्बाद कर दिया, अच्छा है, ऐसे ही सपने देखते रहो!" उन्होंने साफ कहा कि ईरान को परमाणु सुविधाएं हो या न हों, अमेरिका का इसमें दखल देना गलत और जबरन थोपना है.

पश्चिमी देश, खासकर अमेरिका, ईरान पर आरोप लगाते हैं कि वह छुपकर परमाणु हथियार बनाने की कोशिश कर रहा है. लेकिन ईरान बार-बार कहता है कि उसका परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह से शांतिपूर्ण है, सिर्फ ऊर्जा उत्पादन के लिए है.

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अमेरिका और ईरान के बीच पिछले कुछ सालों में पांच बार परमाणु बातचीत हो चुकी हैं, लेकिन ये बातचीत खास कामयाब नहीं हुईं. जून महीने में हुए 12 दिन के वायु हमले के बाद ये बातचीत बन्द हो गई थीं, जब इजरायल और अमेरिका ने ईरान के कुछ परमाणु ठिकानों पर हमला किया था.

इस पूरी स्थिति ने मध्य पूर्व का माहौल और तनावपूर्ण कर दिया है. दोनों देशों के बीच ये मुद्दा अब भी बना हुआ है और आगे भी बातचीत या समाधान मुश्किल नजर आ रहा है क्योंकि दोनों में विश्वास कम है.

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