सीक्रेट प्लेटफॉर्म, खामेनेई के खिलाफ गुस्सा... क्या ईरान में होगा तख्तापलट? पहलवी के दावे से सनसनी

ईरान के पूर्व शासक के बेटे रजा शाह पहलवी का कहना है कि उन्होंने एक सीक्रेट डिजिटल प्लेटफॉर्म बनाया है, जिसके जरिए ईरानी सेना और सरकार से जुड़े लोग उनसे संपर्क कर रहे हैं. इनका मकसद है ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई की सरकार को गिराना और देश को लोकतंत्र की ओर ले जाना.

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ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई (Photo: Reuters) ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई (Photo: Reuters)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 29 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 3:25 PM IST

ईरान में अस्थिरता का दौर जारी है. इस बीच ईरान में सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई के खिलाफ लोगों के एकजुट होने के दावे किए जा रहे हैं. ईरान के पूर्व शासक के बेटे रजा शाह पहलवी ने दावा किया है कि खामेनेई सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए सेना के भीतर से बड़ी संख्या में अधिकारी उनसे संपर्क कर रहे हैं.

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पहलवी का कहना है कि उन्होंने एक सीक्रेट डिजिटल प्लेटफॉर्म बनाया है, जिसके जरिए ईरानी सेना और सरकार से जुड़े लोग उनसे संपर्क कर रहे हैं. इनका मकसद है ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई की सरकार को गिराना और देश को लोकतंत्र की ओर ले जाना.

उनका कहना है कि इस सीक्रेट नेटवर्क से हर हफ्ते नए लोग जुड़ रहे हैं. ऐसे में उनके डेटा का विश्लेषण कर विश्वसनीयता सुनिश्चित की जा रही है. उनका उद्देश्य खामेनेई की सरकार को हटाकर ईरान में लोकतंत्र स्थापित करना है. वे इसे एक गैर हिंसक, संगठित आंदोलन के रूप में देखते हैं, जिसमें सैन्य और प्रशासनिक समर्थन शामिल है.

बता दें कि 26 जुलाई 2025 को म्यूनिख में नेशनल कोऑपरेशन कन्वेंशन नाम का एक बड़ा सम्मेलन हुआ था, जिसमें ईरान के विपक्षी नेताओं, कलाकार, सामाजिक कार्यकर्ता और खिलाड़ी शामिल हुए. इसे 1979 की ईरानी क्रांति के बाद सबसे बड़ा विपक्षी सम्मेलन माना जा रहा है. 

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कुछ आलोचकों का कहना है कि पहलवी ने विपक्षी गुटों को एकजुट करने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं किए. उनके शाही परिवार से होने के कारण कुछ लोग मानते हैं कि वे लोकतांत्रिक प्रक्रिया में बाधा बन सकते हैं. हालांकि, पहलवी का दावा है कि पचास हजार से अधिक लोग उनके साथ हैं. इस दावे की स्वतंत्र पुष्टि नहीं हुई है.

ईरान में पहले भी खामेनेई और सत्तारूढ़ व्यवस्था के खिलाफ बड़े विरोध प्रदर्शन हो चुके हैं, जैसे 2022 में महसा अमीनी की हिरासत में मौत के बाद हिजाब विरोधी प्रदर्शन हुए. इन प्रदर्शनों में कई शहरों में हिंसक झड़पें हुईं और सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 26 लोगों की मौत हुई, जबकि सोशल मीडिया पर 40 से अधिक मौतों का दावा किया गया. 

हाल के इजरायल-ईरान तनाव और अमेरिकी हमलों के बाद ईरान में असंतोष बढ़ा है. कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि 80 फीसदी ईरानी अपनी सरकार से नाखुश हैं, जो विपक्षी आंदोलनों को बल दे सकता है. रजा पहलवी का दावा महत्वपूर्ण है, लेकिन यह अभी शुरुआती चरण में है. म्यूनिख सम्मेलन को उनकी छवि सुधारने और वैश्विक समर्थन जुटाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है.

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