मिडिल ईस्ट रीजन में बढ़ते तनाव के बीच रविवार को ईरान ने इजरायल पर हमला कर दिया है. ईरान ने इजरायल पर 300 से ज्यादा अलग-अलग तरह के ड्रोन्स से हमले किए हैं. इनमें किलर ड्रोन से लेकर बैलिस्टिक मिसाइल और क्रूज मिसाइलें भी शामिल हैं. 'बदले' की रणनीति के तहत ईरान की ओर से इजरायल पर किए गए इस हमले पर दुनियाभर के मुस्लिम देशों ने प्रतिक्रिया दी है.
दरअसल, एक अप्रैल को सीरिया में ईरान के कांसुलेट पर हमला कर दिया गया था. इस हमले में ईरान के दो जनरल समेत कुल 13 लोग मारे गए थे. इस हमले का आरोप इजरायल पर लगा था. ईरान उसी दिन से इजरायल पर हमला करने की धमकी दे रहा था.
पाकिस्तान ने क्या कहा?
पाकिस्तान विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी करते हुए कहा है, "मिडिल ईस्ट के हालिया घटनाक्रम पर पाकिस्तान गहरी चिंता व्यक्त करता है. 2 अप्रैल 2024 को सीरिया में ईरानी दूतावास पर हमले को पाकिस्तान ने पहले ही अस्थिर क्षेत्र में एक बड़ी घटना बताया था.
हालिया घटनाक्रम कूटनीति के नाकाम होने के नतीजों को दिखाता है. यह घटनाक्रम उन 'गंभीर' स्थितियों को भी उजागर करते हैं जहां संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने की अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने में असफल है. पाकिस्तान ने महीनों से इस रीजन में संघर्ष को कम करने और गाजा में युद्ध विराम के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रयासों की आवश्यकता पर जोर दिया है. मध्य पूर्व क्षेत्र में स्थिति को स्थिर करना और शांति बहाल करना बहुत जरूरी है. हम सभी पक्षों से अधिक से अधिक संयम बरतने की अपील करते हैं."
कतर ने क्या कहा?
मुस्लिम देश कतर के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी करते हुए कहा है, "मिडिल ईस्ट के हालिया घटनाक्रम पर कतर गहरी चिंता व्यक्त करता है और सभी पक्षों से तनाव को रोकने और शांति बहाल करने के लिए अधिक से अधिक संयम बरतने का आह्वान करता है. क्षेत्र में तनाव को कम करने और स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए कतर अंतरराष्ट्रीय समुदाय से तत्काल कदम उठाने का आग्रह करता है."
सऊदी अरब ने क्या कहा?
सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी करते हुए कहा है, "मिडिल ईस्ट में सैन्य शक्ति में बढ़ोतरी के घटनाक्रम और इसके गंभीर परिणाम पर सऊदी अरब गहरी चिंता व्यक्त करता है. सऊदी अरब सभी पक्षों से संयम बरतने और युद्ध के खतरों को टालने का आग्रह करता है. सऊदी अरब सुरक्षा परिषद से अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने में अपनी जिम्मेदारी को पूरा करने का आग्रह करता है. वैश्विक शांति और सुरक्षा के दृष्टिकोण से यह रीजन बहुत ही महत्वपूर्ण है और सुरक्षा परिषद को युद्ध के संकट को बढ़ने से रोकने के लिए कदम उठाने चाहिए."
तुर्की ने क्या कहा?
तुर्की के राजनयिक सूत्रों ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बात करते हुए कहा है कि इजरायल पर ईरान के हमले के बाद तुर्की के विदेश मंत्री हकन फिदान ने ईरान के विदेश मंत्री से फोन पर बात की है. इस दौरान फिदान ने ईरानी विदेश मंत्री को बताया है कि तुर्की नहीं चाहता है कि इजरायल के खिलाफ ड्रोन और मिसाइल हमले के बाद मिडिल ईस्ट रीजन में और तनाव बढ़े. फिदान ने ब्रिटिश विदेश मंत्री डेविड कैमरून से भी इस मुद्दे को लेकर फोन पर बात की है.
यमन ने भी दी प्रतिक्रिया
यमन के हूती विद्रोही समूह ने इजरायल पर ईरान के हमले का समर्थन किया है. हूती समूह के प्रवक्ता ने कहा है कि सीरिया में ईरानी दूतावास पर संदिग्ध इजरायली हमले के जवाब में इजरायल पर ईरान का हमला वैध था. हूती ने यह भी कहा है कि यमनी समूह अक्टूबर से ही इजरायल के दक्षिणी बंदरगाह पर मिसाइलों और ड्रोन्स से हमला करके इजरायली जहाजों को लाल सागर के माध्यम से जाने से रोक रहा है.
मुस्लिम बहुल देश मलेशिया ने क्या कहा?
मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने इजरायल पर ईरानी हमलों का कारण सीरिया में ईरानी दूतावास पर तथाकथित इजरायली हमले को बताया है. उन्होंने कहा है कि सीरिया में ईरानी दूतावास पर हमला कर इजरायली सरकार द्वारा अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन किया गया है. स्थानीय मलेशियाई न्यूज वेबसाइट के मुताबिक, इब्राहिम ने कहा है कि दोनों देशों के बीच हिंसा वैश्विक अर्थव्यवस्था और शांति के लिए ठीक नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि जब आप कानून का उल्लंघन करते हैं तो आप उसके परिणामों को आमंत्रित करते हैं.
मुस्लिम बहुल देश लेबनान ने ईरान की प्रशंसा की
लेबनान के हिजबुल्लाह ने एक बयान जारी करते हुए इजरायल पर ईरान के हमले की प्रशंसा की है और इसे साहसिक कदम बताया है. ईरान समर्थित हिजबुल्लाह ने यह भी कहा है कि ईरान ने धमकी और दबाव के बावजूद अपने कानूनी अधिकारों का इस्तेमाल किया है.
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