ईरान और इजरायल के बीच तनाव लगातार बढ़ता ही जा रहा है. इस संघर्ष के दौरान ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के ठिकाने के बारे में एक अहम सवाल सामने आया है. कुछ लोगों के द्वारा दावा किया गया कि वो किसी बंकर में छिपे हुए थे क्योंकि इजरायल के आक्रामक हवाई हमलों के बाद उन्हें अपनी जान का डर था. यह भी सामने आया है कि क्या वो एतिकाफ़ की आध्यात्मिक साधना में लगे हुए थे, जो एक प्राचीन इस्लामी परंपरा है?
आध्यात्मिक एकांत या सामरिक पलायन?
तमाम तरह की अफवाहों के बीच कुछ स्थानीय सूत्रों ने दावा किया है कि अयातुल्ला खामेनेई रविवार को हजरत अली बिन मूसा अल-रजा के पवित्र मकबरे में एक मजहबी प्रोग्राम में भाग ले रहे थे, जो मशहद के आध्यात्मिक वातावरण में आयोजित वार्षिक समारोह का एक हिस्सा था. सूत्रों के मुताबिक, खामेनेई एतिकाफ़ बैठे थे. एतिकाफ़ एक तरह का एकांत का प्रोसेस होता है और दौरान इबादत की जाती है. इसको मुसलमान खास तौर से रमजान के दौरान करते हैं. खामेनेई के ठिकाने का सवाल न केवल इसके सियासी तौर से अहम है, बल्कि यह प्रतीकात्मक मूल्य की भी एक वजह है, जो इस बात की ओर इशारा करता है कि उन्हें एक लचीले आध्यात्मिक नेता या या बढ़ते क्षेत्रीय तनावों के बीच एक सतर्क राजनीतिक व्यक्ति के रूप में देखा जाता है.
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एतिकाफ़ एक गहन आध्यात्मिक अभ्यास है, जिसमें दुनियावी मसलों में पड़े बिना, नमाज, दुआ और चिंतन पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मस्जिद या किसी अन्य एकांत वाली जगह में वक्त बिताना शामिल है. आम तौर पर इसे रमजान के आखिरी दस दिनों में किया जाता है. इसे किसी भी वक्त किया जा सकता है, जिससे यह नमाजी-परहेजी मुसलमानों के लिए एक ‘मुस्तहब’ (अनुशंसित) कार्य बन जाता है. इस सिलसिले में खामेनेई की इस तरह की रस्म में भागीदारी क्षेत्रीय संघर्ष की उथल-पुथल के बीच आस्था और व्यक्तिगत भक्ति पर उनके ध्यान को प्रदर्शित करेगी. फिर भी, आलोचकों के लिए, ऐसा वक्त भी सवाल उठाता है.
क्षेत्रीय तनाव के बीच खामेनेई की भूमिका
खामेनेई का अलगाव ईरान के एक प्रमुख सहयोगी हिज्बुल्लाह के खिलाफ इजरायल के बड़े सैन्य अभियानों और लेबनान में बढ़ते युद्ध के साथ बिल्कुल विपरीत है. हाल के हफ्तों में, इजरायल ने अपने हमले तेज कर दिए हैं, हिज्बुल्लाह नेता हसन नसरल्लाह को मार डाला है और नसरल्लाह के संभावित उत्तराधिकारी हाशेम सफीदीन जैसे सीनियर अधिकारियों को निशाना बनाया है. इजरायल के हवाई हमलों के बाद, ईरान के समर्थन से हिज्बुल्लाह जवाबी कार्रवाई की तैयारी कर रहा है. जैसे-जैसे क्षेत्रीय तनाव बढ़ता जा रहा है, खामेनेई के नेतृत्व और निर्देशन पर ज्यादा से ज्यादा नजर रखी जा रही है.
ईरान द्वारा इजरायल पर किए गए जवाबी मिसाइल हमलों को हिज्बुल्लाह के नेताओं की हत्या के जवाब के रूप में पेश किया गया था.इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) ने इन हमलों को अपनी 'आत्मरक्षा' का हिस्सा बताया. संघर्ष के इस बैकग्राउंड को देखते हुए, खामेनेई की सुरक्षा को लेकर अटकलें समझ में आती हैं. कई रिपोर्ट्स में बताया गया कि खामेनेई ईरानी नेतृत्व पर इजरायली हमले के डर से बंकर में छिपे हो सकते हैं क्योंकि दोनों देशों के बीच तनाव बड़े स्तर तक बढ़ गया है.
खामेनेई छिपे थे या एतिकाफ़ बैठे थे?
कुछ पश्चिमी और इजरायली मीडिया में यह कहानी चल रही है कि खामेनेई, अन्य ईरानी नेताओं की तरह, संभावित इजरायली जवाबी कार्रवाई की तैयारी के लिए बंकर में छिप गए होंगे. आखिरकार, इजरायल ने ईरान के प्रॉक्सी नेटवर्क में टॉप अधिकारियों को तेजी से निशाना बनाया है और हिज्बुल्लाह चीफ नसरल्लाह की हत्या तेहरान के लिए एक बड़ा नुकसान है. कुछ लोगों के लिए, ऐसे अहम मौकों के दौरान ईरान के सर्वोच्च नेता का छिपना काबिल-ए-तारीफ लगता है.
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हालांकि, खामेनेई के एतिकाफ बैठने की रिपोर्ट्स एक अलग ही इमेज पेश करती हैं. एक ऐसे नेता की जो भू-राजनीतिक उथल-पुथल के दौर में भी सैन्य रणनीति पर धार्मिक प्रथाओं को प्राथमिकता देता है. यह याद रखना जरूरी है कि ईरान का इतिहास राजनीतिक उथल-पुथल के बीच भी धार्मिक रवायतों को अहमियत देने का रहा है. इसलिए धार्मिक प्रोग्राम में खामेनेई की मौजूदगी को ताकत के प्रतीकात्मक संकेत के रूप में देखा जा सकता है, जो उनके नेतृत्व में यकीन और अल्लाह की ताकत में विश्वास को दर्शाता है, न कि डर या पीछे हटने के प्रदर्शन के रूप में.
राजनीतिक क्षेत्र में एतिकाफ का प्रतीकवाद
अगर अयातुल्ला खामेनेई सच में एतिकाफ बैठे थे, तो यह उनके समर्थकों और विरोधियों दोनों को एक ताकतवर मैसेज जाता है. उनके फॉलोवर्स के लिए, यह उनके अटूट आध्यात्मिक नेतृत्व की याद दिलाता है, खासकर ऐसे वक्त में जब ईरान को इजरायल और उसके पश्चिमी सहयोगियों से भारी दबाव का सामना करना पड़ रहा है. पश्चिम और इजरायल के लिए, इसे खामेनेई द्वारा एक ऐसे नेता के रूप में अपनी इमेज को मजबूत करने की कोशिश के रूप में समझा जा सकता है, जिसका संकल्प विश्वास में शामिल है, जो बाहरी दबावों से अप्रभावित है.
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दूसरी तरफ, खामेनेई के कथन पर संदेह करने वाले लोग तर्क दे सकते हैं कि एतिकाफ एक सुविधाजनक कवर-अप है, जो आध्यात्मिक बहाना प्रोवाइड करता है जबकि वह अपनी सुरक्षा के लिए एक बंकर में छिपे हुए थे. इसका मतलब संकट के वक्त में राजनीतिक मोर्चे से खामेनेई की अनुपस्थिति आध्यात्मिक वापसी के बजाय आत्म-संरक्षण के लिए ज्यादा व्यावहारिक नजरिए का सुझाव दे सकती है.
फ्यूचर के लिए इसका क्या मतलब?
खामेनेई की धार्मिक भागीदारी या संभावित एकांतवास, चाहे इसे किसी भी रूप में देखा जाए, इस फैक्ट को नहीं बदलता है कि ईरान इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण सैन्य और राजनीतिक चुनौतियों में सबसे आगे है. नसरल्लाह की मौत के बाद हिज्बुल्लाह अपने नेतृत्व संकट से निपट रहा है और इजरायल अपने अगले कदमों पर विचार कर रहा है. खामेनेई की भूमिका, चाहे आध्यात्मिक हो या सामरिक, संघर्ष की दिशा तय करने में अहम साबित होगी.
जैसे-जैसे ईरान और इजरायल के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे यह सवाल उठता है कि खामेनेई कहां हैं, एतिकाफ बैठे हैं या बंकर में हुए हैं.
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