भारत ने रूस से की ये मांग, क्या मान जाएंगे पुतिन?

यूक्रेन पर रूस के हमले के बीच दुनियाभर में तेल की कीमतों को लेकर उथल-पुथल मची हुई है. ऐसे में भारत, रूस से 70 डॉलर प्रति बैरल की कीमत पर कच्चा तेल खरीदने की कोशिशों में जुटा है. इसे लेकर अमेरिका सहित पश्चिमी देशों ने इस पर सवाल उठाए हैं.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 05 मई 2022,
  • अपडेटेड 9:01 PM IST

भारत पर रूस से तेल नहीं खरीदने का पश्चिमी देशों का दबाव है. इस दबाव को नकारते हुए भारत ने अब रूस से तेल पर और छूट देने की मांग की है.

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत रूस से 70 डॉलर प्रति बैरल से भी कम कीमत पर कच्चा तेल खरीदने की कोशिश कर रहा है. फिलहाल अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत लगभग 110 डॉलर प्रति बैरल है. 

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ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक भारत रूस से तमाम मुश्किलों के बीच तेल खरीद रहा है इसलिए और छूट की मांग कर रहा है. 

हालांकि, भारत सरकार ने इस रिपोर्ट पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.

रिपोर्ट में कहा गया कि 24 फरवरी को यूक्रेन पर रूस के हमला शुरू करने के बाद से भारत की सरकारी और निजी तेल रिफाइनरियों ने छूट पर रूस से चार करोड़ बैरल से अधिक का कच्चा तेल खरीदा है. व्यापार मंत्रालय के आंकड़ों के हवाले से ब्लूमबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि 2021 में रूस, भारत के बीच की गई कच्चे तेल की कुल खरीद से ये 20 फीसदी अधिक है. 

पिछले महीने भी रूस ने भारत को 1.5 करोड़ बैरल की कच्चे तेल की एकमुश्त खरीद पर छूट देने की पेशकश की थी. 

इस खरीद को लेकर अमेरिका और यूरोपीय संघ सहित पश्चिमी देशों ने भी टिप्पणी की लेकिन भारत सरकार ने यह कहकर इसका जवाब दिया कि यूरोपीय संघ ने भी रूस से अधिक मात्रा में कच्चा तेल खरीदा था और घरेलू मांग को पूरा करने के लिए भारत ने इस पेशकश का स्वागत किया.

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वहीं, यूरोपीय संघ प्रमुख उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने बुधवार को यूरोपीय संसद को ऐसे प्रस्ताव के बारे में बताया, जिससे रूस के तेल (कच्चे और संशोधित) पर निर्भरता को पूरी तरह से समाप्त किया जा सके.

भारत अनुमानित रूप से ईंधन की खपत करने वाला विश्व का तीसरा सबसे बड़ा देश है. भारत में प्रतिदिन लगभग पचास लाख बैरल तेल की खपत होती है और भारत अपनी जरूरत का लगभग 85 फीसदी तेल आयात करता है लेकिन इसमें रूस के तेल का योगदान कम ही है. 

एसएंडपी ग्लोबल कमोडिटी इनसाइट्स के अनुमान के मुताबिक, 2021 में यह तीन फीसदी से भी कम था.

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