बुधवार रात एक बजकर पांच मिनट से रात डेढ़ बजे तक 25 मिनट के भीतर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में पांच जगह पर औऱ पाकिस्तान में सीधे घुसकर चार जगह पर भारत ने आतंक के नौ बड़े ठिकानों को मिट्टी मिट्टी कर दिया. भारत ने जिन ठिकानों पर हमला किया उसमें मुरीदके में हाफिज सईद और बहावलपुर में मौलाना मसूद अजहर का ठिकाना भी शामिल है.
ऑपरेशन सिंदूर में बहावलपुर के मरकज सुभान-अल्लाह को मिसाइल अटैक से जमींदोज कर दिया गया. ये वो जगह है जो मसूद अजहर का सबसे बड़ा ठिकाना रही है. वहीं मरकज तैयबा जो मुरीदके में है. वहां पर भारत ने हमला करके हाफिज सईद के सबसे बड़े टेरर प्वाइंट को तहस नहस कर दिया है. इसीलिए सवाल उठा है कि क्या पाकिस्तान में निकले ताबूतों का सीधा रिश्ता हाफिज सईद या मसूद अजहर से हो सकता है? अटकलें तेज हैं कि क्या भारत के ऑपरेशन में इन दोनों में कोई मारा भी गया. वैसे ताबूतों और जनाजे को देखकर यही लग रहा है कि कोई ब़ड़ा आतंकवादी मारा गया है. वैसे पाकिस्तान की तरफ से जनाजे पर जो फूल चढ़ाए गए उसमें से एक पर COAS (मतलब चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ) लिखा था. वहीं दूसरे पर राष्ट्रपति लिखा था. इसके अलावा एक अन्य ताबूत के सामने लश्कर का कमांडर हाफिज अब्दुल रउफ ने खुद नमाज पढ़ी. ऐसे में इन तीन सबूत और फोटो से यह सवाल उठने लगे कि हाफिज सईद या अजहर मसूद मारा गया है क्या ?
आसिम मुनीर के निकले आंसू ?
पाकिस्तान में पंजाब प्रांत के भीतर आतंकवादी के ताबूत पर जो फूल चढ़ाया गया है. उस पर लिखा है COAS, इसका मतलब है चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ. यानी पाकिस्तानी सेना का प्रमुख आसिम मुनीर ने ये फूल आतंकी के ताबूत के लिए भेजा है. तो क्या ये इतना बड़ा आतंकी है कि उसकी मौत पर आंसू आसिम मुनीर के निकल आए हैं.
प्रेसीडेंट आसिफ अली जरदारी ने भेजा आतंकवादी के लिए फूल
ऊपर लगी फोटो को फिर से देखिए. यहां लिखा है प्रेसीडेंट. यानी राष्ट्रपति मतलब पाकिस्तान के प्रेसीडेंट आसिफ अली जरदारी ने ये फूल आतकंकवादी की मौत के बाद भेजा है. तो क्या ये इतना बड़ा आतंकी भारत के हमले में मारा गया कि पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसिम मुनीर और पााकिस्तान के प्रेसीडेंट जरदारी की आत्मा रोने लगी है. इनको झटका लगा है.
लश्कर कमांडर हाफिज अब्दुल रउफ ने पढ़ी नमाज
ताबूत के सामने जो नमाज पढ़ा रहा है वो कोई आम आदमी नहीं है. ये लश्कर का कमांडर हाफिज अब्दुल रउफ है. जिसके पीछे पाकिस्तानी सेना के तमाम अफसर हाथ बांधकर दुखी होकर हमदर्दी जताते खड़े हैं. मानो इनके आंसू रुकने का नाम नहीं रहे हैं. इसीलिए ये सवाल उठ रहे हैं कि क्या भारत ने जो आतंकवाद पर सबसे बड़ा प्रहार किया उसमें हाफिज सईद या मसूद अजहर या फिर इतना ही बड़ा आतंकवादी मौत के मुंह में समा गया है.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बोले- जो लक्ष्य तय किए थे, उन्हें ध्वस्त किया
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर को भारतीय सशस्त्र बलों की शौर्य, सटीकता और मानवता का ऐतिहासिक उदाहरण बताया. राजनाथ सिंह ने कहा कि हमने जो लक्ष्य तय किए थे, उन्हें योजना के अनुसार सटीकता से ध्वस्त किया और नागरिक आबादी को कोई नुकसान न पहुंचे, इसका पूरा ध्यान रखा गया. उन्होंने कहा, यह कार्रवाई हमारी सैन्य क्षमता के साथ-साथ हमारी नैतिक जिम्मेदारी को भी दर्शाती है. जैसे भगवान हनुमान ने कहा था, जिन मोहि मारा, तिन मोहि मारे. हमने केवल उन्हीं को निशाना बनाया जिन्होंने हमारे निर्दोष नागरिकों पर हमला किया था. रक्षा मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी सेना को पूरा समर्थन देने के लिए धन्यवाद दिया.
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने भी बताया क्यों किया ऑपरेशन
पहलगाम आतंकवादी हमले की जांच से पाकिस्तान के साथ आतंकवादियों के संपर्क उजागर हुए थे. रेजिस्टेंस फ्रंट द्वारा किए गए दावे और लश्कर-ए-तैयबा से ज्ञात सोशल मीडिया हैंडल द्वारा इसको रिपोस्ट किया जाना इसकी पुष्टि करता है. चश्मदीद गवाहों और विभिन्न जांच एजेंसियों को उपलब्ध अन्य सूचनाओं के आधार पर हमलावरों की पहचान भी हुई है. हमारी इंटैलिजैंस ने इस टीम के योजनाकारों और उनके समर्थकों की जानकारी जुटाई . भारत ने सीमा पार हमलों का जवाब देने और उन्हें रोकने तथा उनका प्रतिरोध करने के अपने अधिकार का प्रयोग किया है. यह कार्रवाई नपी-तुली, नॉन-एस्केलेटरी, आनुपातिक और जिम्मेदारी पूर्ण है. यह आतंकवाद की इंफ्रास्ट्रक्चर को समाप्त करने और भारत में भेजे जाने वाले संभावित आतंकवादियों को अक्षम बनाने पर केंद्रित थी.
कर्नल सोफिया कुरैशी ने बताया कहां कहां कार्रवाई की है:
- सवाई नाला कैंप मुजफ्फराबाद जो कि POJK के लाइन ऑफ़ कंट्रोल से 30 किलोमीटर दूर है. यह एक लश्कर-ए-तैय्यबा का ट्रेनिंग सेंटर था. 20 अक्टूबर 2024 सोनमर्ग, 24 अक्टूबर 2024 गुलमर्ग, 22 अप्रैल 2025 पहलगाम इन हमलों के आतंकवादियों ने यहीं से प्रशिक्षण लिया था.
- सैयदाना बिलाल कैंप, मुज़फ़्फ़राबाद. यह एक जैश-ए-मोहम्मद का स्टेजिंग एरिया है. यह हथियार, विस्फोटक और जंगल सर्वाइवल ट्रेनिंग का केंद्र भी था.
- गुलपुर कैंप, कोटली. यह LoC से 30 किलोमीटर दूर था, लश्कर-ए-तैय्यबा का बेस था, जो राजौरी और पुंछ में सक्रिय था. 20 अप्रैल 2023 को पुंज में और 9 जून 2024 को तीर्थयात्रियों के बस हमले में यहीं से आतंकियों को ट्रेन किया गया था.
- बरनाला कैंप, बिंबर्ग. यह एलओसी से 9 किलोमीटर दूर है, यहाँ पर हथियार हैंडलिंग, IED एवं जंगल सर्वाइवल का प्रशिक्षण केंद्र था.
- अब्बास कैंप, कोटली. यह LoC से 13 किलोमीटर दूर है, लश्कर-ए-तैय्यबा का फिदायीन यहाँ तैयार होता था. इसकी capacity 15 terrorists को ट्रेन करने की थी.
- सरजाल कैंप, सियालकोट. ये अंतरराष्ट्रीय सीमा से 6 किलोमीटर की दूरी पर है, [Inaudible] के सामने. मार्च 2025 में जम्मू और कश्मीर पुलिस के चार जवानों की जो हत्या की गई थी, उन आतंकवादियों को इसी जगह पर ट्रेंड किया गया था.
- महमूना जाया कैंप, सियालकोट. यह 12 से 18 किलोमीटर IB से दूर था. हिज़बुल मुजाहिदीन का बहुत बड़ा कैंप था. यह कठुआ-जम्मू क्षेत्र में आतंक फैलाने का नियंत्रण केंद्र था. पठानकोट एयरफोर्स बेस पर किया गया हमला भी इसी कैंप से प्लान और डायरेक्ट किया गया था.
- मरकज़ तैय्यबा, मुरिदके. यह अंतरराष्ट्रीय सीमा से 18 से 25 किलोमीटर दूरी पर है. 2008 के मुंबई हमले के आतंकी भी यहीं से प्रशिक्षित हुए थे. अजमल कसाब और डेविड हेडली भी यहाँ ट्रेंड हुए थे.
- मरकज सुब्हानअल्लाह, बहावलपुर. यह इंटरनेशनल बाउंड्री से 100 किलोमीटर दूर है. जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय था. यहाँ पर ट्रेनिंग, रिक्रूटमेंट एवं इंडोक्ट्रिनेशन का केंद्र भी था. शीर्ष आतंकवादी अक्सर यहाँ आते थे. मैं आप सबको बताना चाहती हूँ कि किसी भी सैन्य ठिकाने को निशाना नहीं बनाया गया है, और अभी तक किसी तरहकी नागरिक क्षति की रिपोर्ट नहीं है.
आजतक ब्यूरो