बीयर-सिगरेट से आसान बंदूक खरीदना, अमेरिका में रह रहे भारतीयों से जानें गन कल्चर की दहशत

अमेरिका में नाबालिगों के लिए बीयर-सिगरेट-लॉटरी या पोर्न मैगजीन हासिल कर पाना बेहद मुश्किल काम है, लेकिन उन्हें अगर गन चाहिए तो वो घर के पास की किसी भी दुकान पर जाकर मनपसंद बंदूक खरीद सकते हैं. वहीं, अमेरिकी संस्था Gallup के 2014 में किए गए सर्वे के मुताबिक 52 फीसदी अमेरिकी नागरिक गन कल्चर के खिलाफ कड़े कानून चाहते हैं, वहीं 35 फीसदी लोग ऐसे भी हैं, जो वर्तमान कानून से सहमत हैं.

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गन कल्चर को लेकर अमेरिका में रहने वाले लोग ही बंटे हुए हैं. कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो इसे सपोर्ट करते हैं.-16:9 गन कल्चर को लेकर अमेरिका में रहने वाले लोग ही बंटे हुए हैं. कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो इसे सपोर्ट करते हैं.-16:9

अक्षय श्रीवास्तव

  • नई दिल्ली/वॉशिंगटन,
  • 22 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 3:47 AM IST
  • 2021 में शूटिंग के 693 मामले सामने आए
  • खुलेआम गन कल्चर पर बोलने से डरते हैं लोग
  • US में प्रति 100 नागरिकों के पास 120 से ज्यादा हथियार

तेरह साल का जैक एक शॉपिंग मार्ट जाता है. मार्ट से एक बीयर की बॉटल हाथ में लेकर वह बिलिंग काउंटर में मौजूद महिला से बिल बनाने के लिए कहता है, लेकिन महिला ऐसा नहीं करती. वह कहती है, 'तुम दिखने में सिर्फ 12 साल के लगते हो और अमेरिका में बच्चे बीयर नहीं खरीद सकते'.

जैक दूसरे मार्ट पहुंचकर सिगरेट खरीदना चाहता है. यहां कैशियर से उसे उम्र कम होने के कारण सिगरेट नहीं मिलती. जैक के साथ लॉटरी और पोर्न मैगजीन की दुकान पर भी यही होता है. यहां से वह सीधे गन शॉप जाता है और पॉइंट 22 कैलिबर राइफल पसंद करता है. दुकानदार बिना किसी सवाल-जवाब के जैक को बंदूक बेच देता है.

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यह वाकया अमेरिका के वर्जीनिया प्रांत का है. इस वाकये से समझा जा सकता है कि अमेरिका में बीयर, सिगरेट या लॉटरी से ज्यादा आसान गन खरीदना है. 

देखें, गन खरीदने वाले बच्चे का वीडियो

गन कल्चर आज अमेरिका के लोगों के लिए मुसीबत बन गया है. Gun Violence Archive की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका में इस साल मई महीने तक मास शूटिंग के 212 केस हो चुके हैं. वहीं, 2021 में शूटिंग के 693 मामले सामने आए थे. गन कल्चर की गंभीरता को समझने के लिए आजतक ने अमेरिका में रह रहे कुछ भारतीय नागरिकों से बात की. नाम सार्वजनिक न करने की शर्त पर उन्होंने हमें कई चौंकाने वाली बातें बताईं. उन्होंने बताया कि अमेरिका में खुलेआम गन कल्चर के खिलाफ वे कुछ नहीं बोल सकते. अगर ऐसा करते हैं तो उनकी जान को खतरा हो सकता है. इसलिए इस रिपोर्ट में उनके नाम बदल दिए गए हैं.

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मैरीलैंड के डॉ. ने बताई उनके साथ घटी 2 घटनाएं

अमेरिका के मैरीलैंड राज्य के बाल्टीमोर शहर में रहने वाले राहुल वाधवानी पेशे से डॉक्टर हैं. राहुल बताते हैं कि दूसरे देशों में रहने वाले लोग अमेरिकी गन कल्चर के बारे में सिर्फ उतना ही जानते हैं, जितना मीडिया रिपोर्ट्स में बताया जाता है. वह बताते हैं कि यूएस में गन कल्चर को बढ़ावा देने वाले ज्यादातर लोग दबंग हैं. कोई भी उनका विरोध करने की हिम्मत नहीं कर पाता. अपने साथ घटी एक घटना के बारे में राहुल ने बताया कि एक बार उनके शहर में गन कल्चर को लेकर एक सर्वे हुआ. उस सर्वे में उन्होंने भी अपनी एक छोटा सी राय दी.

अपने ओपीनियन में उन्होंने लिखा कि दुनिया में कई ऐसे देश हैं, जहां आम आदमी को बंदूक रखने की मनाही है, लेकिन वहां पर भी कानून व्यवस्था बेहतर है. सर्वे में हिस्सा लेने का नुकसान ये हुआ कि डॉ. वाधवानी के पास 2 दिन में धमकी भरे 5 मेल आ गए. मेल में कहा गया कि वे सिर्फ अपने काम से काम रखें. अगर दोबारा गन कल्चर पर विचार रखने की कोशिश की तो उन्हें इसका अंजाम भुगतना पड़ेगा. इस घटना को करीब 8 साल बीत चुके हैं. इसके बाद से डॉ. वाधवानी ने कभी गन कल्चर पर बात नहीं की.

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शक होने पर किसी को भी गोली मार सकते हैं पुलिसवाले

डॉ. वाधवानी आगे बताते हैं कि एक बार वो अपने भाई से मिलने वाया रोड मैरीलैंड से न्यूजर्सी जा रहे थे. उनके साथ उनका परिवार भी था इसलिए वे अंधेरा होने से पहले वहां पहुंचना चाहते थे. उन्होंने अपनी कार की स्पीड बढ़ाई ही थी कि एक पुलिस वैन उनका पीछा करने लगी. कॉप्स ने उन्हें रुकने का इशारा किया. सड़क किनारे डॉ. वाधवानी ने कार रोकी. पुलिस वैन उनकी कार से करीब 30 मीटर पीछे रुकी. डॉ. वाधवानी डॉक्यूमेंट हाथ में लेकर पुलिस वैन की तरफ बढ़ने लगे. 

अचानक पुलिसकर्मी उन पर बरस पड़े और उन्हें चुपचाप कार में बैठने के लिए कहा. डॉ. वाधवानी अपने परिवार के साथ कार में करीब आधा घंटे यू हीं बैठे रहे. इसके बाद पुलिसवाले अपनी वैन से उतरे और डॉ. वाधवानी के पास आकर उनसे बात करने लगे. डॉ. वाधवानी ने उन्हें बताया कि भारत में किसी पुलिस वाले के रोकने पर हम इसी तरह दस्तावेज लेकर उनके पास जाते हैं. कॉप्स उनकी बात सुनकर हैरान हुए. उन्होंने कहा कि अमेरिका में कई बार लोग गाड़ी से उतरकर सीधे पुलिस वालों पर फायरिंग कर देते हैं. इसलिए यहां जब तक पुलिस नहीं कहती, गाड़ी से उतरने की मनाही है. अगर पुलिसवालों को डॉ. वाधवानी पर शक होता तो वो उन्हें गोली भी मार सकते थे.

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अमेरिका में रहने वाले भारतीय गन रखना पसंद नहीं करते

न्यूजर्सी में रहने वाले नवीन कौशल पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं. नवीन बताते हैं कि अब स्कूल में भी फायरिंग की घटनाएं बढ़ी हैं. इसलिए बच्चों को भेजने में डर लगने लगा है, लेकिन इसका कोई हल फिलहाल नजर नहीं आता.

नवीन बताते हैं कि अमेरिका में अधिकतर लोग अकेले रहना पसंद करते हैं. इसलिए उनमें असुरक्षा की भावना ज्यादा होती है. खुद को सुरक्षित महसूस कराने के लिए लोग अपने पास गन रखते हैं. यहां के नियमों के मुताबिक अगर आप बिना इजाजत किसी की प्रॉपर्टी (जमीन) पर चले जाते हैं तो वह आपको गोली मार सकता है. 

न्यूजर्सी में भारतीय काफी तादाद में रहते हैं. नवीन बताते हैं कि ज्यादातर अमेरिकी मूल के लोग ही गन रखते हैं. यहां ऐसे भारतीय परिवारों की संख्या न के बराबर है, जिनके घर पर बंदूक है. ऐसा नहीं है कि गैर अमेरिकी लोगों को गन खरीदने की मनाही है, वो चाहें तो अपनी पसंदीदा गन खरीद सकते हैं, लेकिन फिर भी हम भारतीय घर में इस तरह के हथियार रखना ठीक नहीं समझते.

US में अकेलेपन के कारण बच्चों में बढ़ रहा डिप्रेशन

आरुषि शर्मा अपने पति और बेटी के साथ कैलिफोर्निया के लॉस एंजेलिस में रहती हैं. उनके पति यहां लैब असिस्टेंट का काम करते हैं. आरुषि बताती हैं कि फायरिंग की घटनाएं पहले भी होती थीं, लेकिन पिछले कुछ समय में इसमें तेजी से इजाफा हुआ है. 4 जुलाई को अमेरिका के स्वतंत्रता दिवस पर शिकागो में हुई फायरिंग ने लोगों को काफी डरा दिया है. अब लोग पब्लिग गैदरिंग में जाने से भी डरने लगे हैं. आरुषि मास शूटिंग की घटनाओं के पीछे की एक बड़ी वजह यहां के लोगों के एकांत जीवन को मानती हैं.

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आरुषि बताती हैं कि उनके पड़ोस में 3 ऐसे परिवार रहते हैं, जिनमें सिंगल पैरेंट अपने बच्चों का पालन-पोषण कर रहे हैं. यहां महंगाई इतनी ज्यादा है कि बिना काम किए जीवन चलाना मुश्किल है. पैरेंट्स के काम पर चले जाने के बाद बच्चे घर में अकेले रह जाते हैं. यहां हमारे भारत की तरह अड़ोस-पड़ोस के बच्चे आपस में ज्यादा घुलते-मिलते भी नहीं है. यही अकेलापन उन्हें डिप्रेशन की तरफ ले जाता है. ज्यादातर फायरिंग की घटनाओं को डिप्रेशन का शिकार बच्चे ही अंजाम देते हैं.

गल कल्चर के कारण 49 साल में मारे गए 15 लाख लोग

गन कल्चर की कीमत अमेरिका के लाखों लोगों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 1968 से लेकर 2017 तक अमेरिका में गोलीबारी से 15 लाख लोगों की जान गई. यह अमेरिका की आजादी के बाद से लड़े गए किसी भी युद्ध में मारे गए सैनिकों की संख्या से भी ज्यादा है. साल 2020 में ही मास शूटिंग के चलते 45 हजार लोगों की मौत हुई. स्वीडन बेस्ड एक रिसर्च संस्था के शोध के मुताबिक अमेरिका में प्रति 100 नागरिकों के पास 120 से ज्यादा हथियार हैं. अमेरिका में समय-समय पर गन कल्चर रोकने की मांग होती रही है. 

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तस्वीर टेक्सास की है. उवाल्डे शहर में 18 साल के लड़के ने स्कूल में घुसकर गोलियां बरसाईं थीं. 23 लोग मारे गए थे. मरने वालों में स्कूल के 19 बच्चे भी शामिल थे.

गन कल्चर को लेकर बंटा हुआ है अमेरिका का समाज

अमेरिकी संस्था Gallup के 2014 में किए गए सर्वे के मुताबिक 52 फीसदी अमेरिकी नागरिक गन कल्चर के खिलाफ कड़े कानून चाहते हैं, वहीं 35 फीसदी लोग ऐसे भी हैं, जो वर्तमान कानून से सहमत हैं. गन कल्चर को लेकर अमेरिका राजनीतिक तौर पर भी बंटा हुआ है. अमेरिका के डेमोक्रेट्स (जो बाइडेन की पार्टी) के 91 फीसदी लोग गन कल्चर के खिलाफ हैं तो वहीं महज 24 फीसदी रिपब्लिकन (डोनाल्ड ट्रंप की पार्टी) कानून लाने पर सहमत दिखाई देते हैं. अमेरिका के कई दबंग लोग गन कल्चर का समर्थन करते हैं. ऐसी ही एक संस्था है नेशनल राइफल एसोसिएशन. आंकड़ों के मुताबिक हर साल गन कल्चर के खिलाफ खर्च किए गए पैसों की तुलना में गन कल्चर के समर्थक उसे बढ़ावा देने में ज्यादा पैसे खर्च कर देते हैं.

मास शूटिंग की दिल दहलाने वाली 5 घटनाएं

1. अमेरिका के इंडियाना में 18 जुलाई को ग्रीनवुड पार्क मॉल में फायरिंग की घटना हुई. मास शूटिंग के दौरान 10 लोग गोलीबारी का शिकार हुए. इनमें से 3 की मौत हो गई.

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2. कैलिफोर्निया के दक्षिणी हिस्से में हाउस पार्टी के दौरान 11 जुलाई को हमलावर ने अंधाधुंध गोलियां बरसाईं. इस घटना में एक महिला समेत 5 लोगों को गोली लगी, जिसमें से 3 को जान गंवानी पड़ी.

3. अमेरिका में 4 जुलाई को 246वां स्वतंत्रता दिवस मनाया जा रहा था. इस दौरान शिकागो के इलिनॉय के हाईलैंड पार्क में परेड का आयोजन किया गया. यहां अचानक फायरिंग होने लगी, जिसमें 6 लोगों की मौत हो गई. इसके ठीक अगले ही दिन 5 जुलाई को इंडियाना के ब्रेइंडियाना के गैरी इलाके में फायरिंग के चलते 3 लोगों की जान चली गई.

4. ओकलाहोमा के टुलसा में 1 जून को एक शख्स अस्पताल की बिल्डिंग में घुस गया और ताबड़तोड़ गोलीबारी शुरू कर दी. घटना में 4 लोगों की मौत हो गई. वारदात को अंजाम देने के बाद हमलावार ने खुद की भी जान ले ली.

5. सबसे  ज्यादा खतरनाक घटना 15 मई को अमेरिका के टेक्सास में सामने आई. जब उवाल्डे शहर में 18 साल के लड़के ने स्कूल में घुसकर गोलियां बरसाईं और 19 छात्रों समेत 23 लोगों की मौत हो गई. इस हमले में 3 शिक्षक भी अपनी जान गंवा बैठे.

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