व्हाइट हाउस ने भारत पर भारी-भरकम टैरिफ लगाया है. वजह है रूसी तेल का आयात. इस कार्रवाई के निशाने पर हैं हीरे से लेकर फार्मास्यूटिकल्स जैसे अनेक प्रमुख निर्यात क्षेत्र. आइए इसे विस्तार से समझते हैं.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 1 अगस्त से भारत से होने वाले आयात पर 25% टैरिफ लगाने की धमकी दी थी, जो अब 7 अगस्त तक के लिए टल गया है. इसके पीछे उन्होंने भारत के रूस से तेल खरीदने और लंबे समय से लागू ऊंचे व्यापारिक शुल्कों को कारण बताया है.
यह क्यों अहम है?
यह कदम भारत के कई प्रमुख निर्यात क्षेत्रों को प्रभावित कर सकता है- जैसे फार्मास्यूटिकल्स (दवाएं), हीरे, कपड़े, चाय और मसाले. भारत अमेरिका के साथ $45.7 अरब डॉलर का व्यापार अधिशेष (surplus) रखता है. यानी अमेरिका भारत से ज्यादा खरीदता है, और यही ट्रंप के निशाने पर है. नई शुल्क दरें दोनों देशों के अरबों डॉलर के व्यापार को प्रभावित कर सकती हैं और भारत को अपनी अमेरिकी व्यापार रणनीति पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है.
आंकड़ों में:
$129.2 अरब डॉलर- भारत-अमेरिका कुल वस्तु व्यापार (2024)
$87.4 अरब डॉलर- भारत से अमेरिका को निर्यात (2024), जो 2023 से 4.5% अधिक.
$45.7 अरब डॉलर- अमेरिका का भारत के साथ व्यापार घाटा (2024)
35%- जनवरी-जून 2025 में भारत के तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी
44.5%- अमेरिका में आयातित हीरों में भारत का हिस्सा
$13 अरब डॉलर- अमेरिका की ओर से 2024 में भारत से दवाओं का आयात
आइए इसे विस्तार से समझते हैं
यह टैरिफ चेतावनी ट्रंप सरकार की व्यापक व्यापार नीति का हिस्सा है, जिसमें कई देशों पर टैरिफ दरें 50% तक बढ़ाई जा रही हैं. ट्रंप ने भले ही कहा कि 'भारत हमारा मित्र है', लेकिन उन्होंने भारत पर दुनिया के सबसे ऊंचे टैरिफ लागू करने और रूस से गहरे संबंध बनाए रखने का आरोप लगाया है, खासकर यूक्रेन युद्ध के बीच.
भारत और रूस के रिश्ते पुराने और मजबूत हैं- तेल, गैस, स्टील, रेलवे, डिफेंस और दवाओं तक फैले हुए. मार्च 2025 तक दोनों देशों का द्विपक्षीय व्यापार $68.7 अरब डॉलर तक पहुंच गया है, जिसमें रूसी कच्चा तेल भारत के कुल तेल आयात का एक-तिहाई से अधिक है.
सबसे प्रभावित भारतीय सेक्टर
दवाएं: अमेरिका का भारत से $13 अरब डॉलर का आयात (2024), जो अमेरिका के कुल दवा आयात का 5.3% है.
हीरे: भारत से $6.7 अरब डॉलर का आयात, अमेरिका के कुल हीरा आयात का 44.5%.
कपड़े: कालीन- 35.1%, सूती वस्त्र- 44.5%, परिधान- 14%
चाय और मसाले: अमेरिका के इस बाजार में भारत की हिस्सेदारी 14.5% है.
इन क्षेत्रों में मामूली टैरिफ वृद्धि भी बाजार हिस्सेदारी को प्रभावित कर सकती है क्योंकि भारत का इन पर गहरा दबदबा है.
पूरी दुनिया पर होगा असर
ट्रंप की यह टैरिफ नीति सिर्फ भारत नहीं, बल्कि कनाडा, मैक्सिको, मलेशिया, थाईलैंड और कई अन्य देशों को भी प्रभावित कर रही है. नए या बढ़े टैरिफ स्टील, एल्यूमीनियम, ऑटोमोबाइल, तांबे के पुर्जे जैसी वस्तुओं पर भी लागू होंगे.
अमेरिकी टैरिफ से भारतीय निर्यात की प्रतिस्पर्धात्मकता घट सकती है. रूस से तेल खरीद जारी रखने पर अमेरिका और दबाव डाल सकता है. भारत फिलहाल जवाबी कार्रवाई की योजना नहीं बना रहा, बल्कि अमेरिका को संतुष्ट करने के लिए वहां से आयात बढ़ाने जैसे विकल्प पर विचार कर रहा है.
दीपू राय