यूरोप के लिए मैक्रों की X पोस्ट का इशारा चर्चा में, राफेल को बताया अमेरिकी जेट्स का विकल्प!

मैक्रों लंबे समय से यूरोप की रणनीतिक आत्मनिर्भरता की बात करते आए हैं. इस साल मार्च में भी उन्होंने कहा था कि हमें उन देशों के लिए यूरोपीय विकल्प देना चाहिए जो अमेरिकी हथियारों पर निर्भर हैं. इन हथियारों का उत्पादन बढ़ाने से लागत कम होगी और यूरोप में एक आत्मनिर्भर रक्षा नेटवर्क बनेगा. 

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Emmanuel Macron inspecting a Rafale Emmanuel Macron inspecting a Rafale

aajtak.in

  • नई द‍िल्ली ,
  • 20 जून 2025,
  • अपडेटेड 9:03 PM IST

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने एक मजेदार पोस्ट में यूरोपीय देशों से कहा कि वे अमेरिकी फाइटर जेट्स पर निर्भरता कम करें और फ्रांस के राफेल जेट को चुनें. इससे यूरोप की रक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद मिलेगी. 

मैक्रों ने X पर एक पोस्ट शेयर की जिसमें राफेल जेट की तस्वीर थी और मोबाइल स्क्रीन पर लिखा था, 'Secure our Europe.  पोस्ट का कैप्शन था, 'European friends, you have a call'.  मैक्रों ने पोस्ट में ज्यादा कुछ नहीं बताया लेकिन इसे यूरोपीय देशों, खासकर नाटो सहयोगियों के लिए एक संदेश माना जा रहा है. वो चाहते हैं कि यूरोप अपनी रक्षा के लिए यूरोपीय हथियार खरीदे और अमेरिकी तकनीक पर कम निर्भर रहे. ये बात ऐसे समय में आई है जब डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिकी विदेश नीति को लेकर अनिश्चितता है. 
 
राफेल बनाम अमेरिकी F-35 जेट  

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पिछले कुछ सालों में पोलैंड और फिनलैंड जैसे देशों ने अमेरिका के F-35 स्टील्थ फाइटर जेट चुने हैं जो लॉकहीड मार्टिन बनाती है. साल 2020 में पोलैंड ने 32 F-35 जेट्स के लिए 4.6 बिलियन डॉलर का सौदा किया. फिनलैंड ने 2021 में 64 F-35 ऑर्डर किए. 

वहीं राफेल एक 4.5 जनरेशन का फाइटर जेट है जिसे फ्रांस की कंपनी डसॉल्ट एविएशन ने बनाया है. यह हवा से हवा और जमीन पर हमले करने में सक्षम है. भारत ने हाल ही में पाकिस्तान के खिलाफ आतंकी ठिकानों को नष्ट करने के लिए राफेल का इस्तेमाल किया था. 

मैक्रों की यह टिप्पणी सोशल मीडिया पर पहले से तेज उन अटकलों को हवा देती है जिसमें कहा गया कि F-35 लड़ाकू विमानों में 'किल स्विच' नाम की कोई तकनीक हो सकती है यानी ऐसा सिस्टम जिससे अमेरिका इन जेट्स को रिमोट से बंद या उनकी क्षमता को सीमित कर सके, चाहे वे किसी सहयोगी देश को ही क्यों न बेचे गए हों. हालांकि, पेंटागन (अमेरिकी रक्षा विभाग) ने इन अफवाहों को पूरी तरह खारिज कर दिया है. 

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  मैक्रों और ट्रंप में तनातनी  

मैक्रों की इस पोस्ट का इशारा एक और तरफ है. गौरतलब है कि हाल ही में अमेरिका ने रूस के साथ जंग लड़ रहे यूक्रेन को सैन्य सहायता देना कम कर दिया है. इसके अलावा मैक्रों और ट्रंप के बीच सोशल मीडिया पर भी तकरार देखने को मिल रही है. G7 समिट से ट्रंप के एक दिन पहले चले जाने के बाद मैक्रों ने कहा कि शायद वे इजरायल-ईरान युद्ध में सीजफायर के लिए बातचीत करने गए होंगे.   

ट्रंप ने तुरंत जवाब देते हुए मैक्रों पर निशाना साधा. उन्होंने ट्रुथ सोशल पर लिखा, 'मैक्रों ने गलत कहा कि मैं G7 समिट, कनाडा से इजरायल-ईरान सीजफायर के लिए वाशिंगटन गया. यह गलत है! उसे नहीं पता कि मैं वाशिंगटन क्यों जा रहा हूं. जानबूझकर या अनजाने में इमैनुएल हमेशा गलत ही बोलता है.'
  
यूरोप की आत्मनिर्भरता की वकालत  

मैक्रों लंबे समय से यूरोप की रणनीतिक आत्मनिर्भरता की बात करते आए हैं. इस साल मार्च में भी उन्होंने कहा था कि हमें उन देशों के लिए यूरोपीय विकल्प देना चाहिए जो अमेरिकी हथियारों पर निर्भर हैं. इन हथियारों का उत्पादन बढ़ाने से लागत कम होगी और यूरोप में एक आत्मनिर्भर रक्षा नेटवर्क बनेगा. 

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